कोरोनाकाल में 54 साथियों को खोया, फिर भी नहीं हुए हताश

बेरमो सीसीएल के डायरेक्टर टेक्निकल प्रोजेक्ट एंड प्लानिग (डीटी पीएंडपी) भोला सिंह ने कहा

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 11:33 PM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 11:33 PM (IST)
कोरोनाकाल में 54 साथियों को खोया, फिर भी नहीं हुए हताश
कोरोनाकाल में 54 साथियों को खोया, फिर भी नहीं हुए हताश

बेरमो : सीसीएल के डायरेक्टर टेक्निकल प्रोजेक्ट एंड प्लानिग (डीटी पीएंडपी) भोला सिंह ने कहा कि कोल इंडिया के कर्मियों ने कोरोनाकाल में 54 साथियों को खोया, फिर भी हताश नहीं हुए। विपरीत परिस्थितियों में भी उत्पादन कर देश को कोयला देने को तत्पर रहे। यह बातें उन्होंने गुरुवार को कारो परियोजना का निरीक्षण कर करगली रेस्टहाउस में भविष्य की कार्ययोजना का खाका पेश करते हुए कही। बताया इस वर्ष अप्रैल से जून माह में अबतक 159 वर्षों में सबसे ज्यादा बारिश हुई, जो अनहोनी के समान है। पिछले वर्ष-2020 के अप्रैल से जून माह में 320 मिलीमीटर बारिश हुई थी, लेकिन इस वर्ष उस अवधि में अबतक 650 एमएम बारिश हो चुकी, जो पिछले वर्ष से 120 फीसद ज्यादा है। इसके बावजूद सीसीएल चालू वित्तीय वर्ष-2021-22 के कोयला उत्पादन लक्ष्य में वर्तमान समय तक 80 फीसद ग्रोथ में है। कोयला के संप्रेषण मामले में भी कंपनी काफी बेहतर कार्य कर रही है। बीते साल कोरोनाकाल की अपेक्षा इस वर्ष कोयले की डिमांड रेल, सेल, स्टील प्लांट एवं बिजली कारखानों में ज्यादा है। पिछले वित्तीय वर्ष के 99 लाख टन स्टॉक में से 50 लाख टन कोयला डिस्पैच किया जा चुका है। सीसीएल की ओर से प्रतिदिन लगभग दो लाख टन कोयला डिस्पैच किया जा रहा है। एक लाख 70 हजार टन रेल रैक से तो 30 लाख टन कोयला डंपरों व ट्रकों से लोकल उपभोक्ताओं को दिया जा रहा है।

--सीसीएल का 74 लाख मीट्रिक टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य : डीटी पीएंडपी ने बताया कि सीसीएल का 74 लाख मीट्रिक टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य है। मानसून ने साथ दिया तो उस लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा। कहा कि बेरमो कोयलांचल अंतर्गत बीएंडके एरिया का भविष्य बेहतर है। यह प्रक्षेत्र प्रतिवर्ष 15 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने की स्थिति में आने वाला है। कहा, वर्ष-2025 तक प्रतिवर्ष 145 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य है। इसके लिए कोल माइंस विस्तार करने को प्रतिवर्ष लगभग 500 हेक्टेयर अतिरिक्त जमीन की जरूरत पड़ेगी। जमीन उपलब्ध कराने में प्रशासन एवं ग्रामीणों से सहयोग की अपेक्षा है।

--विस्थापितों के लिए कंपनी ने बनाई आरआर पॉलिसी : डीटी पीएंडपी ने बताया कि विस्थापितों के नियोजन के लिए कंपनी ने बेहतर आरआर पॉलिसी बनाई है। वहां दिक्कत होती है, जहां एक ही जमीन के कई दावेदार हो जाते हैं। कई स्थानों पर एक ही जमीन के वन विभाग, झारखंड सरकार एवं विस्थापितों के कई परिवार दावेदार बनकर सामने आते हैं। तब कंपनी के लिए विकट स्थिति पैदा हो जाती है। कारो माइंस के निरीक्षण के इस क्रम में स्थानीय ग्रामीणों ने डीटी पीएंडपी बात कर विस्थापन की समस्या का समाधान करने की मांग की। जवाब में डीटी पीएंडपी ने जमीन के कागजात जमा करने और शिफ्टिग के लिए चयनित स्थान में जाने की सलाह देते हुए वहां बेहतर सुविधा देने का आश्वासन दिया। उनके साथ बीएंडके महाप्रबंधक एमके राव, क्षेत्रीय सुरक्षा पदाधिकारी एसके झा, कारो परियोजना के पीओ, मैनेजर आदि मौजूद थे।

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