दुबई में बिक रही उग्रवाद प्रभावित गोमिया की सब्जियां
बेरमो बेरमो अनुमंडल के गोमिया प्रखंड में है उग्रवादग्रस्त महुआटांड़ जहां के कंडेर ग्रा
बेरमो : बेरमो अनुमंडल के गोमिया प्रखंड में है उग्रवादग्रस्त महुआटांड़, जहां के कंडेर ग्राम में उपजाई गई सब्जियों का जायका दुबई में लिया जा रहा है। सब्जियों की हरियाली से खुशहाली लाई जा रही है। यह कारनामा गांव के राजू महतो ने छह एकड़ बंजर भूमि में हरियाली लाकर किया है। वे क्षेत्र के युवाओं को भी खेती-किसानी कर आत्मनिर्भर बनने की राह दिखा रहे हैं। राजू महतो ने अपने भाई रंजन महतो के साथ जैविक विधि से की गई खेती से उपजे ढाई सौ क्विटल करेला की पहली खेप दुबई भेजी। अब उन्हें अगला आर्डर आलू की आपूर्ति करने का मिला है।
राजू महतो भारतीय रिजर्व बैंक के सालबनी मुद्रणालय में कार्य करते हैं। जब कभी भी वह गांव आते हैं तो खेती में जुट जाते हैं। उन्होंने खेती करने के लिए गांव के ही चार लोगों को स्थायी तौर पर और अस्थायी रूप से 30 महिलाओं को कार्य पर रखा है। स्थाई तौर पर रखे गए लोगों को वह योग्यता अनुसार 12 हजार से आठ हजार रुपये मासिक वेतन देते हैं।
मौसम की मार से तरबूज की फसल हो गई थी बर्बाद :
राजू महतो ने बताया कि लगातार बारिश होने के कारण पांच एकड़ भूमि में लगाई गई तरबूज की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी। इससे उन्हें 13 लाख का नुकसान हुआ था। तब लगा था कि अब खेती छोड़ देनी चाहिए। हालांकि किसान प्रो एग्रोटेक्नोलाजी झारखंड के सहसंस्थापक पंकज कुमार के कहने पर करेला व खीरा की खेती की। उनके खेत से उपजे 250 क्विटल करेला किसान प्रो एग्रोटेक्नोलाजी ने खरीदकर दुबई निर्यात किया। फिलहाल राजू के खेत में मिर्च व बैंगन की फसल लगी हुई है। वहीं, दुबई भेजने के लिए वह आलू की बुआई करने की तैयारी कर रहे हैं। राजू ने बताया कि किसान प्रो एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां किसानों को एक छत के नीचे सब कुछ मिल जाता है। चाहे वह खाद हो, बीज, बाजार में फसल बेचना हो सब की सुविधा प्रदान की जाती है। किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
राजू महतो ने बताया कि स्थानीय बाजार या सब्जी मंडियों में मिलने वाले भाव की अपेक्षा गुणवत्ता के आधार पर किसान प्रो एग्रोटेक्नोलाजी 20 प्रतिशत से 70 फीसद अधिक मुनाफा देता है।
कुछ अलग करने की चाहत में खेती की ठानी :
राजू महतो वर्ष-2019 में अपने भाई के साथ रांची के ओरमांझी अपने दोस्त से मिलने गए तो वहां उनके खेत को देखकर प्रभावित हुए। इसके बाद उनके मन में भी कुछ अलग करने की चाहत जगी। छत्तीसगढ़ व महाराष्ट्र जाकर खेती की बारीकियां सीखी। उसके बाद अपने गांव आकर आजमाया, तो आज सफलता उनके कदम चूम रही है। खेती-बारी का कार्य उनके भाई रंजन महतो देख रहे हैं।