30 जून की हड़ताल के विरोध में भरपूर उत्पादन का ददई गुट ने किया ऐलान

बोकारो श्रम विभाग से बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन इंटक ददई दूबे गुट को सेल में मान्यता मिलने

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 11:16 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 11:16 PM (IST)
30 जून की हड़ताल के विरोध में भरपूर उत्पादन का ददई गुट ने किया ऐलान
30 जून की हड़ताल के विरोध में भरपूर उत्पादन का ददई गुट ने किया ऐलान

बोकारो : श्रम विभाग से बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन इंटक ददई दूबे गुट को सेल में मान्यता मिलने के बाद पूर्व सांसद चंद्रशेखर दूबे रेस में आ गए है। उन्होंने केंद्रीय इस्पात मंत्री व सेल अध्यक्ष को पत्र लिखकर संजीवा रेड्डी गुट को भंग करने की मांग की है। पत्र में सेलकर्मियों के पे रिवीजन सहित किसी मसले पर बातचीत के लिए बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन ददई दूबे गुट को वैधानिक रूप से सही करार की बात कही है।

उन्होंने शनिवार को बोकारो इस्पात संयंत्र के निदेशक प्रभारी से मुलाकात कर संगठन की कार्यप्रणाली से अवगत कराया। साथ ही, एनजेसीएस के मंच से संजीवा रेड्डी गुट के बजाय ददई दूबे गुट के प्रतिनिधित्व को लेकर चर्चा की। वार्ता के बाद ददई दूबे ने जागरण से कहा की सेल में असली मान्यता प्राप्त यूनियन हमारी है। संजीवा रेड्डी व बिरेंद्र चौबे कंपनी प्रबंधन व मजदूरों को गफलत में रखकर दुकानदारी चला रहे थे। श्रम विभाग के निर्णय के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो गया।

अब हमारी यूनियन पूरी ताकत के साथ मजदूरों के हक एवं अधिकार के लिए उनके साथ खड़ा रहेगी। बोकारो इस्पात संयंत्र बेहतर उत्पादन के साथ अच्छा मुनाफा कमा रही है। इसलिए हम लोगों का यह प्रयास होगा की सेल में विभिन्न श्रमिक संगठन की 30 जून की हड़ताल को कैसे असफल बनाया जाए। हमारे सभी कार्यकर्ता पूरे जोश के साथ 30 जून को उत्पादन की गति को बरकरार रखेंगे। हड़ताल करने से कंपनी फिर से मुनाफा के बजाय घाटे की पटरी पर चली जाएगी, जो भी मसला हो वो बातचीत से सुलझाना चाहिए। मालूम हो की बीते चार जून को श्रम विभाग ने बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन के असली दावेदार को लेकर सभी पक्ष की दलील सुनने के बाद चंद्रशेखर दूबे उर्फ ददई दूबे को मान्यता देते हुए पंजीकरण का प्रमाण पत्र दे दिया। इस संबंध में विभाग की ओर जारी आदेश में बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन नामक यूनियन अब ददई दूबे की होगी अन्य किसी भी गुट को इस संबंध में दावा करने का अधिकार नहीं रहेगा।

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