दूरी का रखें ध्यान, नहीं तो कोरोना ले लेगा जान

जागरण संवाददाता बोकारो कोरोना की महामारी में यदि अपनी रक्षा करनी है तो टीका लीजिए

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 08:57 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 08:57 PM (IST)
दूरी का रखें ध्यान, नहीं तो कोरोना ले लेगा जान
दूरी का रखें ध्यान, नहीं तो कोरोना ले लेगा जान

जागरण संवाददाता, बोकारो : कोरोना की महामारी में यदि अपनी रक्षा करनी है तो टीका लीजिए, अच्छे से मास्क पहनें और शारीरिक दूरी का ख्याल रखें। वरना कोरोना की चपेट में आएंगे अस्पताल में इलाज का पैसा खर्च होगा और संक्रमण बढ़ गया तो आपकी जान भी जा सकती है। यह सावधानी स्वयं के साथ परिवार के लोगों के लिए भी होनी चाहिए। चूंकि कोरोना से मौत के अलावा इलाज के बिना भी लोगों की जान जा रही है। सरकारी आंकड़ों में प्रत्येक दिन भले ही दो से तीन मौत के मामले सामने आ रहे हों पर वास्तविक आंकड़े आपको परेशान कर सकते हैं। इससे बचने के लिए प्रशासन व चिकित्सकों की बातों को मानने की जरूरत है। चूंकि एक अप्रैल से आठ मई तक दो सौ से अधिक लोगों की मौत हुई है। यह हम नहीं यह आंकड़ा चास के श्मशान घाट का है।

स्वास्थ्य विभाग ने जो आंकड़ा दिया है उसके अनुसार लगभग 80 लोगों की मौत कोरोना से हुई है। अकेले चास श्मशान घाट में हिन्दू रीति रिवाज से 693 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया। उनके स्वजनों की घोषणा के अनुसार 190 लोगों की मौत कोरोना से हुई है। मुस्लिम समाज के चास व बोकारो में दस से अधिक लोगों की मौत हुई। कांग्रेस नेता भर्रा निवासी जमील अख्तर का कहना है कि पांच लोग कोरोना से संक्रमित थे। इसके अतिरिक्त तेनुघाट, फुसरो, दमोदर के आलावा चंदनकियारी के इजरी व गोवाई नदी में भी अंतिम संस्कार होता है। तब यह सबकी जवाबदेही है कि चिकित्सकों की राय मानकर कोरोना के चेन व संक्रमण रोकने में प्रशासन की मदद करें।

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निजी अस्पताल छुपा रहे रिपोर्ट :

आंकड़ों में इतने बड़े अंतर पर सूत्रों का कहना है कि पूरा गड़बड़ी निजी अस्पतालों की ओर से ही रही है। जिला में रिपोर्ट नहीं दी जा रही है। चूंकि एक-एक मरीज से एक-एक दिन का 25 से तीस हजार रुपये वसूला जा रहा है। बेड की बोली लग रही है, मरीज को पहले कहा जाता है कि बेड नहीं है। बेड के बाद कई बहाना बनाया जाता है। जब अस्पताल वाले इत्मीनान हो जाते हैं कि मरीज का स्वजन कहीं जानेवाला नहीं है और मांग के अनुसार पैसा दे देगा तो उसे भर्ती ले लिया जाता है। इलाज के लिए प्रयुक्त होने वाला ऑक्सीजन चार सौ रुपये का है, सरकार की ओर से रेमडेसिविर इंजेक्शन निश्शुल्क है कोरोना की दवा मुश्किल से एक हजार रुपये तक का है। इसके बाद भी अस्पताल मरीजों से मनमानी वसूल रहे हैं। ऐसे ही अस्पताल मरीजों की मौत के बाद ज्यादा शोर न हो और अस्पताल की बदनामी नहीं हो इसके लिए मरीज के स्वजन को इस बात की ताकीद की जाती है कि उनके मरीज की कोरोना से मौत हुई यह जानकारी किसी को न दें।

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कोट :

श्मशान में जितने भी शव का अंतिम संस्कार होता है। उसका रिकार्ड रखा जाता है। जबसे कोरोना का संक्रमण बढ़ा है। तब से हम लोग मरीजों के स्वजनों की घोषणा के अनुसार लिखते हैं कि कोरोना से मौत हुई या नहीं। निजी अस्पताल रिपोर्ट नहीं कर रहे हैं। या घर में मौत की जानकारी प्रशासन को नहीं मिल रही है।

गोपाल मुरारका, सदस्य श्मशान समिति

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कोट :

निजी अस्पतालों के लिए इलाज की राशि भी सरकार ने तय कर रखी है। रिपोर्टिंग का फार्मेट भी है पर कुछ निजी अस्पताल रिपोर्ट नहीं कर रहे हैं। इससे कई प्रकार की परेशानी है। ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

डॉ. एके पाठक, सिविल सर्जन

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