आधा दर्जन ब्लैक स्पॉट चिह्नित, गढ्डे कर रहा तांडव
जागरण संवाददाता बोकारो जिले में होनी वाली सड़क दुघर्टनाओं की एक बड़ी वजह खराब सड़को
जागरण संवाददाता बोकारो: जिले में होनी वाली सड़क दुघर्टनाओं की एक बड़ी वजह खराब सड़कों के साथ-साथ ट्रैफिक सिग्नल का न होना भी है। बोकारो जिला धीरे-धीरे इंडस्ट्रीयल हब की ओर अग्रसर हो रहा है। आबादी भी लगातार बढ़ती जा रही है। राज्य बनने के बाद शहर की सूरत भी बदल गई है। खस्ताहाल सड़कों की स्थिति भी बदली है, लेकिन जिस गति से इसमें बदलाव होने चाहिए वैसा नहीं दिख रहा है। परिवहन विभाग के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो हर वर्ष 15 हजार से अधिक नए छोटे-बड़े वाहन पंजीकृत होकर सड़क पर उतर रहे हैं। सड़क पर लगातार दबाव बढ़ रहा है। एक समय था जब सड़क से गुजरने वाले वाहन फर्राटा भरकर दौड़ते थे। अब स्थिति बदल गई है। जिले की आबादी बढ़कर लगभग 22 लाख हो गई है। बढ़ी जनसंख्या के साथ-साथ सड़कों पर बढ़े वाहनों के बोझ की वजह से कई जगहों पर रेंग कर शहर के अंदर से वाहन निकलते हैं। प्रमुख सड़कों के किनारे अतिक्रमण भी इसकी एक वजह है। यहां हैं चिह्नित ब्लैक स्पॉट
पांच या पांच से अधिक सड़क हादसों के बाद प्रशासनिक अमला ब्लैक स्पॉट चिह्नित करता है। वर्तमान में कागजों पर बोकारो एयरपोर्ट के आस-पास का इलाका, चास-रामगढ़ रोड में रितुडीह के पास, चास रामगढ़ रोड में सिवनडीह के पास, चास रामगढ़ रोड में बालीडीह थाना इलाके के हॉली क्रास स्कूल के पास, दूबे पेट्रोल पंप के पास, बोकारो-धनबाद हाईवे पर तालगड़िया मोड़ के पास सिटी थाना इलाके में नया मोड़ के पास, एडीएम बिल्डिग के पास, ऊषा पेट्रोप पंप के पास, मुफस्सिल में चमशोबाद के पास ब्लैक स्पॉट है।
यहां पांच सौ मीटर के दायरे में पांच या उसके अधिक हादसे हुए हैं।
-- स्टील प्लांट की सड़क पर नहीं है ट्रैफिक सिग्लन : एशिया के सबसे बड़े बोकारो स्टील प्लांट के शहर में बनी लंबी-चौड़ी चमचमाती सड़कों पर भी आए दिन हादसे होते रहते हैं। हादसों की एक बड़ी वजह ट्रैफिक सिग्नल का न होना है। 1980 के लगभग शहर में व्यवस्था पुख्ता थी। राम मंदिर सेक्टर चार समेत अन्य जगहों पर यातायात संकेतक हुआ करते थे। बोझ बढ़ा तो रखरखाव के अभाव कुछ खराब हो गया। अब व्यवस्था राम भरोसे ही है।
-सड़कों पर मवेशी करते विचरण : सड़कों पर मवेशियों की वजह से भी कई बार हादसे होते रहते हैं। पहले इसे रोकने की व्यवस्था थी। सेक्टर दो में कांजी हाउस बना हुआ था। शहर की सड़कों पर दिखने वाले मवेशियों को यहां पकड़कर ले जाया जाता था और जुर्माना व हिदायत के बाद ही छोड़ा जाता था। वर्तमान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। शहर व चास के चीरा चास की सड़कों पर खुलेआम मवेशी घूमते हुए दिखते हैं। इससे हादसों की संभावना प्रतिदिन बनी रहती है।