स्टील उद्योग को बचाने के लिए सरकार को उठाने होंगे जरूरी कदम
बोकारो खनिज संपदा से भरपूर और औद्योगिक राज्य होने के बावजूद झारखंड आज संकट से जूझ र
बोकारो : खनिज संपदा से भरपूर और औद्योगिक राज्य होने के बावजूद झारखंड आज संकट से जूझ रहा है। राज्य के स्टील उद्योग को लौह अयस्क की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति सिर्फ राज्य में ही नहीं बल्कि पूरे देश में है। जबकि, स्टील उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। यह कहना है इस्पात उद्योग क्षेत्र के विशेषज्ञ आशीष गुप्ता का। कहा कि खनिज संपदा से भरपूर राज्य में लौह अयस्क का उत्पादन कम होने के कारण यहां के कई स्टील निर्माता परेशानी में हैं। पिछले एक साल में झारखंड में आयरन ओर के उत्पादन में 25 फीसद से भी ज्यादा गिरावट आई है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में मात्र 28.2 मिलियन टन का उत्पादन हुआ। नई स्टील नीति के अनुसार देश में 300 मिलियन टन सालाना आयरन ओर के उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया है। ऐसे में स्थिति काफी गंभीर है। कहा कि राज्य में मर्चेंट आयरन ओर माइंस से आउटपुट बहुत कम या न के बराबर है। झारखंड में मर्चेंट आयरन ओर की लीज 2020 में समाप्त हो गई है और पिछले एक साल में इन खानों से लोहे का उत्पादन नहीं होने के कारण राज्य के स्टील निर्माण उद्योगों को आयरन ओर की कमी से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में स्टील निर्माताओं के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। कहा कि ऐसे में झारखंड के स्टील उद्योग को सरकार से मदद की है। झारखंड सरकार को कच्चे माल की परिस्थितियों की समीक्षा करनी चाहिए और उन निजी उद्योगों की मदद करनी चाहिए, जिनके पास अपनी खुद की खान नहीं हैं।