नृत्य से कोण व घुंघरु की आवाज से ध्वनि का वेग जानेंगे बच्चे

बोकारो : सरकारी विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थी अब नृत्य से कोण व घुंघरु की आवाज से ध्वनि के व

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 11:00 AM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 11:00 AM (IST)
नृत्य से कोण व घुंघरु की आवाज से ध्वनि का वेग जानेंगे बच्चे
नृत्य से कोण व घुंघरु की आवाज से ध्वनि का वेग जानेंगे बच्चे

बोकारो : सरकारी विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थी अब नृत्य से कोण व घुंघरु की आवाज से ध्वनि के वेग की जानकारी हासिल करेंगे। दर्शनीय स्थल के माध्यम से अंग्रेजी व अन्य विषयों से संबंधित जानकारी प्रदान की जाएगी। शिक्षा में कला व संस्कृति का समावेश किया जाएगा। इसके माध्यम से विद्यार्थी झारखंड सहित देश के विभिन्न राज्य की लोक कला व संस्कृति से परिचित होंगे। इन्हें बेहतर तरीके से विषयवार जानकारी मिलेगी। इससे विद्यार्थियों को काफी लाभ होगा।

क्या है योजना

भारत सरकार के सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र की ओर से शिक्षा में कला व संस्कृति का समावेश करने के लिए योजना को धरातल पर उतारा गया। इस योजना के तहत सरकारी विद्यालयों के विद्यार्थियों को लोक कला व संस्कृति से परिचित कराना है। देश के हर राज्य की लोक कला व सांस्कृतिक विरासत विशिष्ट है। इसके माध्यम से विद्यार्थियों को लोक कला व संस्कृति से परिचित कराया जाएगा। गीत, नृत्य, तीज-त्योहार, दर्शनीय व ऐतिहासिक स्थलों के जरिए बच्चों को विज्ञान, गणित, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान सहित अन्य विषयों से संबंधित जानकारी प्रदान की जाएगी। झारखंड में करमा पूजा में नृत्य व गीत का प्रचलन है। स्कूली बच्चों को करमा पूजा की महत्ता से अवगत कराया जाएगा। नृत्य करनेवाले नर्तक व नर्तकी की भाव-भंगिमा के माध्यम से बच्चों को कोण से संबंधित जानकारी प्रदान की जाएगी। इससे वे कोण से संबंधित जानकारी हासिल कर सकेंगे। वहीं नर्तक व नर्तकी की घुंघरु की आवाज से ध्वनि की जानकारी दी जाएगी। बच्चे ध्वनि के वेग से परिचित होंगे। जब नर्तक अपने शरीर को संतुलित करते हैं तो बल का प्रयोग करते हैं। इससे बच्चों को बल व ऊर्जा के बारे में बताया जाएगा। इससे बच्चे न केवल तीज-त्योहार से अवगत होंगे, वरन वे कोण, ध्वनि, ऊर्जा आदि से संबंधित जानकारी भी हासिल कर सकेंगे। बच्चों को ऑडियो-व्यूजुअल सिस्टम से लोक गीत से संबंधित भी जानकारी दी जाएगी। इन्हें राज्य व देश के ऐतिहासिक व दर्शनीय स्थल के बारे में भी बताया जाएगा। साथ ही सामाजिक व्यवस्था से भी परिचित कराया जाएगा। इससे विद्यार्थियों को अंग्रेजी व सामाजिक विज्ञान से संबंधित विषय की जानकारी मिलेगी। नवंबर माह के अंतिम सप्ताह से बोकारो के रामरुद्र प्लस टू उच्च विद्यालय चास, राजकीयकृत उच्च विद्यालय लकड़ाखंदा सहित अन्य सरकारी विद्यालयों में कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। यहां ऑडियो-व्यूजुअल सिस्टम के माध्यम से बच्चों को लोक कला व संस्कृति से संबंधित जानकारी प्रदान की जाएगी। लोक कला व संस्कृति को शिक्षा से जोड़कर विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, अंग्रेजी आदि के बारे में भी बताया जाएगा।

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वर्जन

सरकारी विद्यालय के विद्यार्थियों को राज्य की लोक कला व संस्कृति से परिचित कराया जाएगा। इसके माध्यम से बच्चों को विषय से संबंधित जानकारी दी जाएगी। इससे विद्यार्थियों को कला व संस्कृति के साथ-साथ विषय से संबंधित जानकारी मिलेगी। वे गीत व नृत्य के माध्यम विषय से भी परिचित होंगे।

नीलम आइलिन टोप्पो, जिला शिक्षा पदाधिकारी

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वर्जन

सांस्कृति स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र की ओर से इस योजना को धरातल पर उतारा गया है। शिक्षा में लोक कला व संस्कृति का समावेश किया जाएगा। इसके माध्यम से विद्यार्थी जहां एक ओर अपनी सांस्कृति विरासत से परिचित होंगे, वहीं दूसरी ओर इनका विषय से संबंधित ज्ञान भी बढ़ेगा।

अजय कुमार ठाकुर, मुख्य उत्प्रेरक

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