पावर प्लांटों की राख से दूर होगी बेरोजगारी

जासं बेरमो राज्य के उद्योग विभाग ने पावर प्लांटों से उत्सर्जित छाई का उपयोग कर उसे फौला

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Nov 2019 01:04 AM (IST) Updated:Thu, 21 Nov 2019 06:18 AM (IST)
पावर प्लांटों की राख से दूर होगी बेरोजगारी
पावर प्लांटों की राख से दूर होगी बेरोजगारी

जासं, बेरमो : राज्य के उद्योग विभाग ने पावर प्लांटों से उत्सर्जित छाई का उपयोग कर उसे फौलादी ईंट का रूप देने की कार्ययोजना बनाई है। प्रारंभिक चरण में चंद्रपुरा, चास व पेटरवार में प्रयोग के तौर पर इकाइयां स्थापित की जाएंगी। इसमें पावर प्लांटों की राख से ऐश ब्रिक्स व एएसी ब्लॉक का निर्माण कराया जाएगा।

विभाग ने इसे बेरोजगारी उन्मूलन कार्यक्रम के साथ जोड़ते हुए स्टार्टअप इंडिया में शामिल करने की घोषणा की है। फ्लाई ऐश ब्रिक्स और एएसी (ऑटोक्लेव्ड एयरेटेड कंक्रीट) ब्लॉक का उपयोग रियल एस्टेट सेक्टर में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है, क्योंकि अब दुनिया भर में मकानों व अन्य निर्माण कार्यों में ईंट की जगह तेजी से फ्लाई ऐश ब्रिक्स और एएसी (ऑटोक्लेव्ड एयरेटेड कंक्रीट) जगह ले रहा है। बोकारो जिले में हाउसिग सेक्टर के विशाल कारोबार को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में फ्लाई ऐश ब्रिक्स और एएसी ब्लॉक की मांग लगातार बढ़ेगी। यह किफायती होने के साथ-साथ पर्यावरणीय द्दष्टिकोण से इको फ्रेंडली भी है।

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छोटे शहरों में प्रचलन तेज

राज्य के उद्योग विभाग ने सार्वजनिक उपक्रमों के साथ मिलकर इस दिशा में काम करने की योजना तैयार की है। फ्लाई ऐश ब्रिक्स और एएसी ब्लॉक को लेकर अभी जागरूकता अधिक नहीं है, लेकिन शहरी क्षेत्रों खासकर टीयर-1 में हाउसिग सेक्टर में इसके इस्तेमाल की काफी संभावनाओं को देखते हुए उद्योग विभाग इसे लेकर उत्साहित है। इसके अलावा सरकारी भवनों के निर्माण में भी फ्लाई ऐश ब्रिक्स और एएसी को प्राथमिकता दिए जाने पर विचार किया जा रहा है। निर्माण में लगी एजेंसियों का कहना है कि विदेशों में इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है। अपने देश में यह अभी दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों तक ही सीमित है। छोटे शहरों में इसका प्रचार तेज करने के लिए उद्योग विभाग सार्वजनिक कंपनियों के साथ मिलकर काम करने की रणनीति तैयार कर रही है।

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फ्लाई ऐश ब्रिक्स व एएसी ब्लॉक की खायिसत :

फ्लाई ऐश ब्रिक्स एवं एएसी ब्लॉक परंपरागत ईंट की तुलना में हल्का,आकार में बड़ा और मजबूत होता है। इसका निर्माण भी इको फ्रेंडली तरीके से होता है। ईंट भट्ठा स्थापित करने के लिए उद्यमियों को जहां दो एकड़ जमीन की मिट्टी का इस्तेमाल करना पड़ता है, वहीं फ्लाई ऐश ब्रिक्स और एएसी ब्लॉक का निर्माण थर्मल पावर प्लांट की राख से किया जाता है। एक एएसी ब्लॉक 8 ईंटों के बराबर काम करता है। इयह आग प्रतिरोधी, कीट प्रतिरोधी, ध्वनि अवशोषक, ताप रोधक तथा भूकंप प्रतिरोधी भी होता है।

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पावर प्लांटों की छाई से फ्लाई ऐश ब्रिक्स और एएसी ब्लॉक के निर्माण के लिए उद्योग विभाग एवं बीएसएल ने मिलकर कार्ययोजना तैयार की है। फिलहाल चास, पेटरवार व चंद्रपुरा में कुछ नए उद्यमियों को स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम के तहत ऐश ब्रिक्स की इकाई स्थापित करने का लाइसेंस दिया गया है। इसके सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। पूरे जिले में चार पावर प्लांट हैं, जिसकी छाई से बोकारो जिला फ्लाई ऐश ब्रिक्स व एएसी ब्लॉक के निर्माण के मामले में देश में स्थान बना सकता है।

- राजेश्वर सिंह, उद्योग विस्तार पदाधिकारी, बोकारो।

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