मां के दूध से तन व मातृभाषा की समृद्धि से मन होता मजबूत

जागरण संवाददाता बोकारो शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास सह भारतीय भाषा मंच बोकारो की ओर से इ

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 08:47 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 08:47 PM (IST)
मां के दूध से तन व मातृभाषा 
की समृद्धि से मन होता मजबूत
मां के दूध से तन व मातृभाषा की समृद्धि से मन होता मजबूत

जागरण संवाददाता, बोकारो: शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास सह भारतीय भाषा मंच बोकारो की ओर से ई-संगोष्ठी हुई। मुख्य वक्ता रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. गिरिधारी राम गंझू ने नई शिक्षा नीति में मातृभाषा के महत्व विषय पर विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मां के दूध से व्यक्ति का तन मजबूत होता है और मातृभाषा में अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति से मन सशक्त और सबल होता है।

भारत में बोली जानेवाली मातृभाषा की अस्मिता पर लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति का जिस गति से प्रहार हुआ था और अंग्रेजी शिक्षा नीति को एक विकल्प के रूप में दिया गया था, इससे देश की भाषाई विरासत बिल्कुल पराधीन सी हो गई थी। मातृभाषा की महत्ता शून्य हो गई। इस विराट शून्य को 1986 की शिक्षा नीति के पश्चात नई शिक्षा नीति 2020 संजीवनी के रूप में आ चुकी है, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। नई शिक्षा नीति की राह 2040 तक संपूर्ण दृष्टि से हमारे देश के लिए मील का पत्थर साबित होगा क्योंकि इस शिक्षा नीति में प्रारंभिक पांच वर्षों में त्रिभाषा सूत्र के अंतर्गत मातृभाषा के शिक्षण पर आधारभूत बल प्रदान किया गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, बोकारो के अध्यक्ष सह सिटी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ सत्येंद्र कुमार शर्मा ने की।

भारतीय भाषा मंच, बोकारो की सह संयोजक डॉ. निरुपमा कुमारी ,डॉ. भगवान पाठक, डॉ. सत्यदेव तिवारी, डॉ. नरनारायण तिवारी, डॉ. नरेंद्र कुमार राय, उपेंद्र विद्यार्थी, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास सह भारतीय भाषा मंच, बोकारो जिला इकाई के संयोजक एवं भारतीय संस्कृति ज्ञान मंदिर ट्रस्ट के सचिव दयाल कुमार ईश्वर, अखौरी गोपाल सहाय, विद्या भारती धनबाद विभाग प्रमुख अमरकांत झा, ओंकार प्रसाद सिन्हा, प्रभा शंकर द्विवेदी, बालेश्वर नाथ पाठक, दिनेश कुमार मिश्रा, मार्कण्डेय पांडेय व डॉ. शारदा रानी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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