कसमार में हर वर्ष पकड़ा जाता एक घूसखोर कर्मचारी
संवाद सहयोगी कसमार कसमार प्रखंड सह अंचल कार्यालय में वर्ष 2013 से लेकर वर्ष 2020 तक यानि अब
संवाद सहयोगी, कसमार : कसमार प्रखंड सह अंचल कार्यालय में वर्ष 2013 से लेकर वर्ष 2020 तक यानि अबतक कुल सात साल के भीतर एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने प्रखंड व अंचल कर्मियों द्वारा आमलोगों से रिश्वत लिये जाने पर छठा ट्रैप किया है। फिर भी आमलोगों के कार्यों के बदले रिश्वत लेने की आदत कर्मियों को नहीं छूटी है। सबसे पहला ट्रैप कसमार प्रखंड में वर्ष 2013 में रघुनाथ पुर निवासी अनिल महतो से किसान सहकारिता समिति के निबंध के एवज में प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी विरेन्द्र रविदास द्वारा रिश्वत मांगे जाने पर एसीबी ने दर दबोचा था। दूसरा ट्रैप वर्ष 2013 में ही राजस्व कर्मचारी मदन महतो पर किया गया था।
इसने सिवनडीह निवासी नसरूल होदा से भूमि के दाखिल-खारिज के बदले रिश्वत की मांग की थी। वहीं एसीबी का तीसरा ट्रैप वर्ष 2016 में राजस्व कर्मचारी श्याम बिहारी रजक पर हुआ था। इस पर भी भूमि दाखिल-खारिज के बदले गौरयाकुदर निवासी विधान चंद्र महतो से रिश्वत मांगने का मामला था। इस तरह एसीबी ने चौथा शिकार प्रभारी अंचल निरीक्षक रामनरेश मिश्रा को 2018 में बनाया था। जिसे बोकारो रेलवे स्टेशन से पकड़ा था। इस पर खूंटा गांव निवासी उगेश्वर महतो से भूमि दाखिल- खारीज के एवज में रिश्वत मांगने का आरोप था। वहीं एसीबी का पांचवां ट्रैप वर्ष 2019 में प्रखंड उर्दू सहायक गौहर इकबाल पर हुई। इसने अपने कार्यालय के ही पंचायत सचिव अजय रविदास से वेतन एरियर निकालने के एवज में रिश्वत ली थी। वहीं छठा ट्रैप शनिवार को पंचायत सचिव रामाजस चौधरी का हुआ है। इस पंचायत सचिव ने सोनपुरा पंचायत के बीबी मरियम खातून से पीएम आवास का संचिका बढ़ाने के एवज में दो हजार रुपये घूस की मांग की थी।
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घूसखोरी के आरोपियों को नहीं मिल रही सजा : वैसे तो जिले से राज्य बनने के बाद दो दर्जन से अधिक घूसखोरों की गिरफ्तारी हो चुकी है पर इन्हें सजा के नाम पर अब तक जिले से पकड़े गए एक भी घूसखोर को सजा नहीं मिली है। पकड़े जाने के बाद तीन माह जेल में रहने के बाद उन्हें जमानत मिल जाती है और वे बेल लेकर फिर से उसी काम में लग जाते हैं।