नशे के युवा आदी, कर रहे जिन्दगी की बर्बादी
14यूडीएम1-रियासी में एक स्थान पर चिट्टा का नशा करने के लिए सिल्वर पेपर पर रखी गई ड्रग्स
14यूडीएम1-रियासी में एक स्थान पर चिट्टा का नशा करने के लिए सिल्वर पेपर पर रखी गई ड्रग्स
14यूडीएम2-सिल्वर पेपर पर रखी ड्रग्स को आग से पिघलाता युवक।
14यूडीएम3-ड्रग्स को घोलने के बाद लाइटर जलाकर धुंए को नोट से मुंह में खींचता युवक
14यूडीएम4-एसएसपी रियासी निशा नथियाल राजेश डोगरा, रियासी
रियासी में कई युवक हेरोइन यानि चिट्टा की दलदल में धंसे हुए हैं जिन्हें इस गर्त से बाहर निकालना अत्यंत जरूरी है। अगरयुवा खुद न समझे और अभिभावकों ने बच्चों पर निगरानी और पुलिस ने कड़े व उचित कदम न उठाए तो आने वाले समय में इसके परिणाम गंभीर होंगे। नशे में जमापूंजी खर्च करने के बाद कई युवा तो कर्ज में भी डूब चुके हैं। अगर यही हालात रहे तो वह दिन दूर नहीं जब युवा नशे की लत को पूरा करने के लिए जुर्म भी करने लगेंगे।
नाम न छापने की शर्त पर हेरोइन की लत मे फंसे कुछ युवकों ने बताया कि शुरुआत में उन्होंने शौक में इसे दूसरों से लिया था, लेकिन धीरे-धीरे इसकी लत लग गई। फिर खुद इसे पैसों से खरीदने लगे। उन्होंने कहा कि वह इसे छोड़ना चाहते हैं, लेकिन छोड़ नहीं पा रहे। ऐसे में उन्हें नहीं सूझ रहा कि अब वह क्या करें वह खुद मानते हैं कि जो भी इस की लत में फंसा तो उसके लिए पहला चरण बर्बादी और दूसरा चरण मौत है।
रियासी में हालांकि हेरोइन का मुख्य सप्लायर तो नहीं है लेकिन इसकी लत में फंसे लोगों को जितनी डोज की जरूरत होती है वह उन्हें कटड़ा या जम्मू से आसानी से मिल जाती है। हालांकि पुलिस ने पिछले साल और इस साल मादक पदार्थो की तस्करी में लिप्त लोगों कई लोगों को गिरफ्तार किया है, फिर भी नशे को सौदागरों पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। नशाखोरी फैलने के कारण
-आज भी कई युवा कम पढ़े लिखे हैं। शिक्षा की कमी के चलते युवाओं को नशे के दुष्प्रभावों की जानकारी नहीं होती और वे इसकी चपेट में आ जाते हैं।
-नशीले पदार्थो की खुलेआम बिक्री
हालांकि नशीले पदार्थो की बिक्री पर सरकार अंकुश लगाने के दावे करती हो पर हकीकत यह है कि इनकी बिक्री खुलेआम होती है। नशा आसानी से युवाओं को उपलब्ध हो जाता है जिससे वे इसकी ओर आकर्षित होते हैं।
-मॉडर्न बनने का दिखावा
-नशे को युवा वर्ग आधुनिकता का साधन मानते हैं। उनका मानना है कि नशा करने से उन्हें लोग एडवांस और आधुनिक समझेंगे। इसी के चक्कर में नशों के जाल में फंस जाते हैं।
-सिनेमा और गानों का प्रभाव
फिल्मों, टीवी सीरियलों में भी खुलेआम शराब का सेवन, सिगरेट पीते हुए दिखाया जाता है जिससे आम लोग विशेषकर बच्चे और युवा प्रभावित होते हैं।
तनाव और परेशानी
-अकसर देखा जाता है कि किसी पारिवारिक परेशानी, समस्या के चलते भी इंसान नशे का सहारा लेने लगता है। पहले तो वह इसे शौकिया तौर पर लेता है पर बाद में यह आदत बन जाती है।
-माता-पिता क्या करें
-बच्चे के नशे का आदी होने पर माता-पिता उसे डांटे नहीं, बल्कि प्यार से समझाकर नशा छोड़ने के लिए प्रेरित करें।
-नशे की दलदल में फंसे युवाओं को नशा मुक्ति केंद्रों में भर्ती करवाया जाए ताकि उनकी यह लत छूट सके।
-जहां तक संभव हो सके बच्चों की संगति पर नजर रखें ---------
नशे के दुष्प्रभाव
घरेलू हिंसा को बढ़ावा
-नशे की दलदल में फंसा इंसान अपना आपा खो देता है। उसे इतना भी होश नहीं होता कि वह क्या कर रहा है जिसके चलते वह घरेलू हिंसा पर उतर आता है।
-अपराध को बुलावा
-जब युवाओं को नशा करने के लिए पैसे नहीं मिलते तो वह अपराध करने से भी गुरेज नहीं करते। नशाखोरी पर ऐसे लगेगी लगाम
-मादक पदार्थो की खुलेआम बिक्री पर अंकुश लगना चाहिए
-सिनेमा और टेलीविजन पर नशीले पदार्थो के सेवन के दृश्य न दिखाए जाएं।
-अधिक से अधिक नशामुक्त केंद्र खोले जाएं। युवाओं को ड्रिग्स की लत से बचाने के लिए पुलिस हर संभव प्रयास कर रही है। नशे के सौदागरों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। हाल ही में कुछ ऐसे मामलों में लिप्त लोगों को पकड़ा है। पुलिस नशे के खिलाफ विशेष अभियान चला रखा है। जो कोई भी नशे को छोड़ना चाहता है वह पुलिस से संपर्क करे। उनको पुलिस जम्मू स्थित नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करवा कर अपने खर्च पर नशा मुक्ति के लिए ईलाज करवाएगी।
निशा नथेयाल, एसएसपी रियासी।