जान का भी डर है और काम धंधा भी नहीं, घर लौटना ही बेहतर
जागरण संवाददाता ऊधमपुर श्रीनगर में माहौल काफी खराब हो गया है। हर समय जान की सुरक्ष
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : श्रीनगर में माहौल काफी खराब हो गया है। हर समय जान की सुरक्षा का डर सताता है। गैर मुस्लिम समुदाय पर आतंकी हमलों के बढ़ने के बाद काम भी नहीं रहा। काम मिले तो भी जान जाने का डर हर समय लगा रहता है। इन हमलों का असर पूरे कश्मीर में है। ऐसे माहौल में रहने से अच्छा है कि घर को लौट जाएं। हालात ठीक होंगे तो वापस आएंगे। घरों को वापस लौटने के लिए दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के बिजबिहाड़ा से ऊधमपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे बिहार, छत्तीसगढ़ और बिलासपुर के प्रवासी मजदूरों ने ये बातें कहीं।
बिजबिहाड़ा में कारपेंटर का काम करने वाले बिलासपुर के रहने वाले मुख्तार आलम, राज मिस्त्री का काम करने वाले बिहार निवासी मुन्ना कुमार, खेतों में काम करन वाले छत्तीसगढ़ निवासी जियाउल हक व मोहम्मद रफीक, पेंटर का काम करने वाले बिहार निवासी धनिराम पासवान ने कहा कि प्रावासी लोगों पर हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। आतंकी आए दिन किसी न किसी प्रवासी की हत्या कर रहे हैं। हालांकि बिजबिहाड़ा में हालात अभी ऐसे नहीं हैं, मगर जैसे हालात हो चुके हैं, उससे उनके सहित वहां पर रह रहा हर प्रवासी डर गया है।
कुछ दिन पहले आतंकियों ने एक घर में घुस कर प्रवासियों पर हमला कर मार डाला। इस तरह के हालात से उन सभी को अपनी जान का डर सताने लगा था। श्रीनगर में इस तरह की घटनाओं की वजह से काम भी काफी कम हो रहा है। एक तो जान जाने का खतरा और ऊपर से काम-धंधा न रहने के कारण उन सभी लोगों ने अपने और अपने परिवारों की सुरक्षा के लिए घरों को लौटने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि वे बिजबिहाजड़ा से तड़के घर जाने के लिए निकले थे। वहां से वाहनों से वे ऊधमपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे हैं। यहां से वे लोग ट्रेन से जम्मू और वहां से आगे अपने घरों तक रेल से सफर करेंगे।
उन्होंने कहा कि जिस तरह का माहौल बना हुआ है, उसके चलते अगले कई महीनों तक उनके वापस लौटने की संभावना नहीं है। हां हालात सामान्य हुए तो वे जरूर आएंगे। हालांकि उन्होंने बताया कि किसी ने वापस लौट जाने के लिए धमकाया तो नहीं है, मगर वे लोग घाटी में बने माहौल से डर कर वापस लौट रहे हैं।