महाअष्टमी पर कई श्रद्धालुओं ने कंजक पूजन कर संपन्न किए नवरात्र

पिछले शनिवार को अश्विन शुक्ल प्रतिपदा के साथ प्रारंभ हुए पावन नवरात्र अपने समापन के करीब है। शुक्रवार को कई लोगों ने महाअष्टमी पर कन्या पूजन कर नवरात्र पूजन संपन्न किए। वहीं शनिवार को नवमी के दिन ज्यादातर लोग कन्यापूजन करेंगे।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 06:26 AM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 06:26 AM (IST)
महाअष्टमी पर कई श्रद्धालुओं ने कंजक पूजन कर संपन्न किए नवरात्र
महाअष्टमी पर कई श्रद्धालुओं ने कंजक पूजन कर संपन्न किए नवरात्र

जागरण संवाददाता, ऊधमपुर :

पिछले शनिवार को अश्विन शुक्ल प्रतिपदा के साथ प्रारंभ हुए पावन नवरात्र अपने समापन के करीब है। शुक्रवार को कई लोगों ने महाअष्टमी पर कन्या पूजन कर नवरात्र पूजन संपन्न किए। वहीं शनिवार को नवमी के दिन ज्यादातर लोग कन्यापूजन करेंगे।

नवरात्र शुरू होने के बाद लोगों ने घरों में माता की साख लगा कर नवरात्र पूजन शुरू किया था। लोगों ने नवरात्र में उपवास कर देवी पूजन किया और दुर्गा सप्तशति, दुर्गा स्तुति सहित अन्य पाठ कर देवी का ध्यान, पूजन और अराधना की। कई लोगों ने अपने घरों में नवरात्र पर हवन यज्ञ और अनुष्ठान भी करवाए।

वहीं नवरात्र में अष्टमी पूजन करने वाले लोगों ने शुक्रवार को अष्टमी के दिन कन्या पूजन कर नवरात्र पूजन संपन्न किया। शुक्रवार को लोगों ने मां का स्वरूप मानी जाने वाले कंजकों को बुला कर उनका विधिवत पूजन किया। कोरोना संक्रमण की वजह से कंजकों के लिए लोगों को परेशान होना पड़ा। लोगों ने अपने परिवार और आस पड़ोस में जितने कंजकें उपलब्ध हुई उनको घर बुला कर विधिवत पूजन कर हलवा, चने और पूड़ी के प्रसाद का भोग लगा कर विभिन्न चीजें और उपहार के साथ शगुन के तौर पर कुछ नकदी दी। इसके बाद कई लोगों ने देविका व तवी सहित अन्य स्थानों पर मां की पवित्र साख को पूजन अर्चना के बाद विसर्जित कर मां को भाव भीनी विदाई दी।

वहीं महाअष्टमी के दिन ऊधमपुर के गंगेडा स्थित शारदा माता मंदिर, टिकरी काली माता मंदिर, देविका मंदिर समूह, वैष्णो देवी मंदिर, काली माता मंदिर बाड़यां, टी-मोड़ काली माता मंदिर, काली माता मंदिर रैंबल, महामाया माता मंदिर सहित इलाके के सभी देवी मंदिरों में दर्शनों के लिए लोग पहुंचे। हालांकि, कोरोना महामारी के चलते मंदिरों में शारीरिक दूरी का पालन लोग करते नजर आए। ज्यादातर मंदिर में पुजारी बारी बारी से भक्तों को दर्शन के लिए अंदर आने की अनुमति दे रहे थे। जिससे शारीरिक दूरी बन रहे।

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कल 24 अक्तूबर को होगा नवमीं पूजन

ज्योतिष वाचस्पति के मुताबिक इस बाद नवरात्र पूरे नौ हैं, लेकिन सूर्योदय के बाद दो तिथियां सप्तमी और अष्टमी तिथि कुछ सेकेंड के लिए हैं। एक घंटे से कम होने की वजह से इस बार अष्टमी पूजन 23 अक्टूबर और नवमी पूजन 24 अक्टूबर को किया जाएगा। ज्योतिष वाचस्पति ने बताया कि ज्योतिष शास्त्रों में उद्यव्यापिनी अर्थात सूर्य उदय के समय लगी तिथि मान्य होती है। मगर इस बार नवरात्र में 23 अक्टूबर को सप्तमी तिथि सूर्य उदय के बाद महज 43 सेकेंड के लिए है, उसके बाद अष्टमी लग रही है। । इसी तरह 24 अक्टूबर को अष्टमी तिथि भी महज 45 सेकेंड के लिए और फिर नवमी तिथि लग जाएगी। ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक सूर्योदय के बाद एक घंटे से कम समय के लिए रहने वाली तिथि मान्य नहीं होती। उसकी जगह पर अगली लगने वाली तिथि मान्य होती है। इसलिए इस बार अष्टमी 23 अक्टूबर और नवमी 24 अक्टूबर को मान्य होगी। 25 को भी 7.42 बजे तक नवमी तिथि रहेगी। ऐसे में लोग चाहे तो 25 को 7.42 से पहले नवमी पूजन कर सकते हैं। मगर 24 को नमवी पूजन करना उचित रहेगा।

पूर्व संध्या पर लोगों ने की खरीदारी

रामनवमी शनिवार को है। ज्यादातर लोग नवमीं पूजन कर पावन नवरात्र संपन्न करेंगे। नवमी के दिन घरों में पूजन के लिए लोगों ने एक दिन पहले ही पूजन सामग्री, फल, फूल व अन्य आवश्यक चीजों की खरीदारी की। इसके चलते बाजार में माता की चुनरी, पूजन सामग्री, मनियारी, फल और बर्तन व उपहारों की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ देखने को मिली। बाजार में भी दोपहर बाद खासी भीड़ देखने को मिली। शाम को बाजार में भीड़ इतनी ज्यादा थी कि दोपहिया व चार पहिया वाहनों को गुजरने में काफी समय लग रहा। बार-बार जाम की स्थिति बनती रही। भीड़ में कहीं भी शारीरिक दूर नियमों का पालन होता नजर नहीं आया।

एक वर्ष में पांच बार आते है नवरात्र

वर्ष के 12 महीनों में नवरात्र पांच बार आते हैं। यह चैत्र, आषाढ़, अश्विन, पौष और माघ मास में आते हैं। मगर चैत्र और अश्विन मास की नवरात्र को ही मुख्य तौर पर मनाया जाता है। कई लोग केवल शारदीय नवरात्रि पर ही पूजन और उपवास करते हैं। जबकि आषाढ़, पौष और माघ मास में आने वाले नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है।

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