मचैल यात्रा स्थगित, फिर भी आ रहे माता के भक्त

मचैल माता की यात्रा स्थगित किए जाने के बाद से किश्तवाड़ प्रशासन बार-बार लोगों से मचैल न आने की अपील कर रहा है लेकिन श्रद्धालु मानने को तैयार नहीं हैं। श्रद्धालुओं से भरी छोटी-बड़ी गाड़िया रोजाना किश्तवाड़ की तरफ आ रही हैं जिन्हें फाखरी किश्तवाड़ डुल पडीयारना और गुलाब गढ़ से वापस किया जा रहा है। इससे नाराज सोमवार को भी गुलाबगढ़ पहुंचे यात्रियों ने धरना-प्रदर्शन किया और जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की लेकिन प्रशासन ने उनको जाने की अनुमति नहीं दी और गुलाब गढ़ से वापस लौटा दिया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 01:40 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 01:40 AM (IST)
मचैल यात्रा स्थगित, फिर भी आ रहे माता के भक्त
मचैल यात्रा स्थगित, फिर भी आ रहे माता के भक्त

बलवीर सिंह,जम्वाल : मचैल माता की यात्रा स्थगित किए जाने के बाद से किश्तवाड़ प्रशासन बार-बार लोगों से मचैल न आने की अपील कर रहा है, लेकिन श्रद्धालु मानने को तैयार नहीं हैं। श्रद्धालुओं से भरी छोटी-बड़ी गाड़िया रोजाना किश्तवाड़ की तरफ आ रही हैं, जिन्हें फाखरी, किश्तवाड़, डुल, पडीयारना, और गुलाब गढ़ से वापस किया जा रहा है। इससे नाराज सोमवार को भी गुलाबगढ़ पहुंचे यात्रियों ने धरना-प्रदर्शन किया और जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की, लेकिन प्रशासन ने उनको जाने की अनुमति नहीं दी और गुलाब गढ़ से वापस लौटा दिया।

बता दें कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका को लेकर मचैल यात्रा लगातार तीसरी बार भी स्थगित कर दी गई है। इससे माता के भक्तों को ठेस पहुंच है। पहले जब मंदिर के कपाट बंद थे तो इक्का-दुक्का ही श्रद्धालु ही दर्शन करने जाते रहे, लेकिन 25 जुलाई को मंदिर के कपाट खुलने के बाद मचैल जाने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है। हालांकि प्रशासन लोगों से अपील कर रहा है कि की यात्रा में न आए, क्योंकि सरकार की तरफ से कोई सुविधा नहीं दी जा सकती है। यहां पर सुरक्षा का कोई बंदोबस्त नहीं है।

पहले यात्रा 25 जुलाई से शुरू होकर 5 सितंबर तक चलती थी। यात्रा की सुरक्षा सहित अन्य तैयारियां पहले ही कर ली जाती थी। यात्रा मार्ग ठाठरी से लेकर मचैल गांव तक जगह नाके लगाए जाते थे। मचैल गाव और यात्रा मार्ग पर में भी सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त होते थे ताकि किसी भी यात्री को कोई परेशानी न हो। इसके लिए सेना सीआरपीएफ तथा जम्मू कश्मीर पुलिस के जवान और अधिकारी तैनात होते थे, लेकिन अब सरकारी तौर पर यात्रा की अनुमति नहीं है तो सुरक्षा का भी बंदोबस्त नहीं किया गया है।

चिकित्सा का भी कोई बंदोबस्त नहीं

यात्रा के दौरान स्वास्थ्य विभाग की ओर से यात्रा मार्ग पर बसे गांवों में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को तैनात किया जाता था, लेकिन यात्रा न होने से गुलाबगढ़ और आगे कहीं भी स्वास्थ्य कर्मी तैनात नहीं हैं, सिर्फ चशोती में एक छोटी सी डिस्पेंसरी है वह भी स्थानीय लोगों के लिए है।

खाने पीने की कोई व्यवस्था नहीं

यात्रा के दौरान बटोत से लेकर मचैल धाम तक रास्ते में दो दर्जन से ज्यादा लंगर लगाए जाते थे और लंगरों में यात्रियों के लिए पकवान परोसे जाते थे, लेकिन इस बार लंगर नहीं लगाया गया है, जिससे श्रद्धालु को खाने के लिए कुछ भी नहीं मिल सकता। पिछले दिनों कुछ श्रद्धालुओं ने कहा कि रास्ते में मैंगी खाकर गुजारा कर वापस लौटे हैं। पहले ही लोगों से इंटरनेट मीडिया, प्रिंट मीडिया के माध्यम से अपील की थी कि सरकारी तौर पर यात्रा चलाने की इजाजत नहीं है, इसलिए यहा न आएं। इसके बावजूद श्रद्धालु चल आ रहे हैं इसलिए उन्हें वापस भेजा रहा है। क्योंकि प्रशासन की तरफ से यात्रियों के लिए कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है। जब तक सरकारी तौर पर यात्रा की इजाजत नहीं मिलती तब तक यात्रा में न आए। अगर कोई आ जाता है उसे वापस लौटा दिया जाएगा।

-अशोक शर्मा, जिला उपायुक्त किश्तवाड़

अगर यात्रा न चलने का आदेश पास किया था तो मंडलायुक्त को चाहिए था कि वह हर लिे के अंदर इसका संदेश पहुंचा दे, लेकिन जब लोग घरों से निकल आ रहे हैं तो उन्हें किश्तवाड़ में रोकना नाइंसाफी है। उन्हें अपने जिला में ही रोक दिया जाए, ताकि वह लोग अपने घरों से ही न निकले ।

नेकराम मन्हास, प्रदेश प्रधान सर्व शक्ति सेवा संस्था

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