दर्द एक जैसा झेला तो मरहम में भेदभाव क्यों ?

कश्मीर और जम्मू संभाग के विस्थापितों ने आतंकवाद का दंश एक जैसा झेला है तो फिर मरहम में भेदभाव क्यों? तलवाड़ा विस्थापितों की यह प्रतिक्रिया उस समय सामने आई है जब सरकार ने कश्मीरी विस्थापितों को कश्मीर में उनकी जबरन तरीके से कबजाई पुश्तैनी संपत्ति को वापस दिलवाने के लिए खास नीति बनाई है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 Sep 2021 08:40 AM (IST) Updated:Thu, 09 Sep 2021 08:40 AM (IST)
दर्द एक जैसा झेला तो मरहम में भेदभाव क्यों ?
दर्द एक जैसा झेला तो मरहम में भेदभाव क्यों ?

राजेश डोगरा रियासी : कश्मीर और जम्मू संभाग के विस्थापितों ने आतंकवाद का दंश एक जैसा झेला है तो फिर मरहम में भेदभाव क्यों? तलवाड़ा विस्थापितों की यह प्रतिक्रिया उस समय सामने आई है जब सरकार ने कश्मीरी विस्थापितों को कश्मीर में उनकी जबरन तरीके से कबजाई पुश्तैनी संपत्ति को वापस दिलवाने के लिए खास नीति बनाई है।

सरकार की इस नीति को तलवाड़ा विस्थापित सराहनीय कदम करार देने के साथ ही खुद को ठगा तथा उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि आतंकवाद के कारण उनके भी सबकुछ छिन गए और बसे बसाए घर उजड़ गए। उन्होंने भी आतंकवाद की वही पीड़ा सही है जो कश्मीरी विस्थापितों ने सही है तो फिर सरकारी सहायता में अलग-अलग मापदंड और भेदभाव क्यों है।

तलवाड़ा विस्थापित एक्शन कमेटी के प्रधान जगदेव सिंह ने कहा कि पलायन से पहले वह भी अपने घरों में हंसी खुशी जीवन बिताया करते थे, लेकिन आतंकवाद का कहर और फिर सरकार की बेरुखी से पिछले ढाई दशक से उनकी जिंदगी बेनूर हो गई है। कश्मीरी विस्थापितों को उनकी पुश्तैनी संपत्ति वापस दिलाने का सरकारी कदम वाकई में सराहनीय है, लेकिन सरकार की नजरें इनायत जरा जम्मू संभाग के विस्थापितों की तरफ भी हो जानी चाहिए जो अपने पुश्तैनी मकान भूमि और माल मवेशी सब कुछ लुटा कर विस्थापन की दयनीय जिंदगी जी रहे हैं। जगदेव सिंह ने कहा कि तलवाड़ा में रह रहे कई विस्थापितों की पुश्तैनी संपत्ति पर दबंग जबरन कब्जा जमाए हैं। जीवन सामान्य हो जाने की उम्मीद में कई विस्थापित जवानी से बुढ़ापे की दहलीज पर तो कई आखों में सपने संजोए स्वर्ग सिधार गए। उनका यह जीवन तो बर्बाद हो गया। तलवाड़ा के जिन क्वार्टरों में विस्थापितों का बसेरा है वह लगभग साढ़े चार दशक पुराने हैं, जिनकी मरम्मत न होने से वह जर्जर हालत में हैं। बारिश में पानी भीतर टपकता है तो उनके लिए सिर छुपाना और सामान को भीगने से बचाना मुश्किल हो जाता है। वर्षो से माग के बावजूद कॉलोनी के क्वार्टरों की हालत नहीं सुधारी गई।

एक निशान पर अलग-अलग विधान : बलवान सिंह

विस्थापितों ने कहा कि देश के कानून तथा न्याय प्रक्रिया से बढ़कर कोई नहीं। लेकिन कानूनी तौर पर किए संघर्ष के बावजूद उन्हें उनका हक नहीं मिला। तलवाड़ा विस्थापित एक्शन कमेटी के चेयरमैन बलवान सिंह ने कहा कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यह कहा गया है कि विस्थापित विस्थापित हैं, उन्हे बराबर का हक मिलना चाहिए, वह चाहे कहीं से भी हो। कोर्ट का साफ निर्देश है कि जम्मू संभाग के विस्थापितों को कश्मीरी विस्थापितों के बराबर सुविधा तथा सहायता दी जाए, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। अब तो प्रदेश सरकार का परिचालन भी केंद्र सरकार के हाथ में है, लेकिन अब भी जम्मू संभाग से वही 70 वर्षो पहले जैसा भेदभाव जारी है। उन्होंने कहा कि अब तो जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है। यहा निशान तो एक बना दिया है लेकिन सहायता के मामले में विधान अभी भी अलग-अलग है। उन्होंने कहा यहा कोर्ट के निर्देश का ही उल्लंघन किया जाता हो तो फिर हक व न्याय पाने के लिए खटखटाने लायक दूसरा कोई द्वार नहीं रह जाता। ऐसे में आदोलन ही एकमात्र रास्ता है।

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