सही काम का दावा करने वाले आखिर क्यों नहीं दे रहे डीपीआर

अमित माही ऊधमपुर पावन देविका नदी ऊधमपुर की पहचान और यहां के लोगों की आस्था का कें

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 12:55 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 12:55 AM (IST)
सही काम का दावा करने वाले आखिर क्यों नहीं दे रहे डीपीआर
सही काम का दावा करने वाले आखिर क्यों नहीं दे रहे डीपीआर

अमित माही, ऊधमपुर :

पावन देविका नदी ऊधमपुर की पहचान और यहां के लोगों की आस्था का केंद्र है। शास्त्रों में गंगा जी की बड़ी बहन का दर्जा पाने वाली यह पवित्र नदी प्रशासन और स्थानीय लोगों की लापरवाही व उपेक्षा के चलते बदहाल हो चुकी है। पिछले दो दशकों से देविका के नाम पर केवल राजनीति होती आ रही है। 2019 में राष्ट्रीय नदी संरक्षण कार्यक्रम के तहत देविका प्रोजेक्ट के मंजूर होने पर ऊधमपुर के लोगों के मन में देविका को फिर से निर्मल और पावन स्वरूप में देखने की आस जगी थी। मगर देविका प्रोजेक्ट का काम जिस स्तर और तरीके से किया जा रहा है, उस पर लोग और विभिन्न संगठन सवाल उठाने लगे हैं। इस प्रोजेक्ट में क्या-क्या होगा, आज तक इसकी डीपीआर को सार्वजनिक करना तो दूर इसे नगर परिषद तक के साथ साझा नहीं किया गया है। नगर परिषद की ओर से कई बार इसकी मांग करने के बावजूद नहीं।

देविका नदी लोगों की आस्था का केंद्र तो है ही, साथ ही इस पावन नदी के कारण ही ऊधमपुर को देवकनगरी का नाम भी मिला है। दशकों से नदी के प्रति हर किसी के उदासीन और उपेक्षित रवैये ने इसे आज इस कदर बदहाल कर दिया है कि बाहर से आकर पहली बार इस पावन नदी को देखने वाले इसे दूषित नाला समझ लेते हैं। देविका को निर्मल और पावन स्वरूप में देखना तो हर कोई चाहता है, मगर ईमानदारी भरे प्रयास कहीं से भी आज तक नहीं हुए। किसी ने अपने राजनीतिक लाभ तो किसी ने खुद को चमकाने के लिए इस पावन नदी के नाम का सहारा लिया।

नवंबर 2014 में देश के प्रधानमंत्री ने विधानसभा चुनावों से पहले ऊधमपुर में अपनी चुनावी रैली में शास्त्रों में पावन देविका नदी को गंगा मां की बहन के तौर वर्णित होने का उल्लेख किया और चुनावों में जीत के बाद इसका विकास कराने का वादा किया। जीत के बाद इस दिशा में काम हुआ और पावन देविका को नदी संरक्षण कार्यक्रम में शामिल कराने की कवायद हुई। पानी के सैंपलों की जांच के साथ ही केंद्र से आई कई टीमों ने दौरा किया। सर्वे और अन्य लंबी प्रक्रियाओं के बाद 186.74 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट बनाने से देविका नदी के संकट में पड़े अस्तित्व को बचाने के लिए जद्दोजहद करने वाले चंद लोगों के साथ आस्था रखने वाले लोगों में नदी को जल्द फिर से उसके पवित्र व निर्मल स्वरूप में वापस देखने की उम्मीद जगी।

जनवरी 2019 में 186.74 करोड़ रुपये के देविका प्रोजेक्ट का शिलान्यास हो गया। जिसके चंद दिनों के बाद काम शुरू हो गया। आखिरकार प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने के बाद 5 जनवरी 2019 को प्रोजेक्ट का शिलान्यास हुआ, मगर शुरू हुए इस प्रोजेक्ट के काम की गति, तरीके और गुणवत्ता को लेकर चंद महीनों बाद ही सवाल उठने लगे। अनेक बार यूईईडी विभाग से डीपीआर मांगी गई, मगर आज तक डीपीआर न तो नगर परिषद या किसी पार्षद को उपलब्ध कराई गई है और न ही इसे सार्वजनिक किया गया और न यूईईडी विभाग के स्थानीय दफ्तर में यह उपलब्ध है, जहां पर लोग डीपीआर को देख सकें। डीपीआर का उपलब्ध न होना, कछुआ गति से पूरे शहर को खोदकर रख देने से विरोध इतना ज्यादा बढ़ गया है कि हर कोई अब प्रोजेक्ट का नाम देविका के नाम पर रखकर देविका की गरिमा से खिलवाड़ करने जैसे आरोप लगा रहा है। डीपीआर के लिए अनेक बार यूईईडी विभाग को लिखने के साथ बार-बार मांग की गई है। यहां तक कि हाउस की बैठक में डीपीआर न सौंपे जाने तक काम शुरू न करने देने की बात तय हुई थी। मगर इसके बावजूद आज तक डीपीआर दी ही नहीं गई है। डीपीआर नगर परिषद को सौंपे बिना ही 35 फीसद काम कर लिया गया है। नगर परिषद या अन्य शहरवासी कैसे जान सकते हैं कि कंपनी और विभाग जो काम करवा रहा है, वह डीपीआर के मुताबिक ही है। गलियों में जितना डाया की पाइप पड़नी चाहिए, उतनी ही पड़ रही है, यह सब जानकारियां डीपीआर में होती है। इसलिए यदि कंपनी सही और डीपीआर के मुताबिक काम कर रही है तो फिर डीपीआर नगर परिषद को सौंपे जाने से एतराज क्यों है।

- विक्रम सलाथिया, पार्षद, वार्ड नंबर छह यूईईडी से एक बार नहीं अनेक बार डीपीआर देने की मांग की है, मगर आज तक यह नहीं दी गई है। ऊधमपुर के लोगों को देविका प्रोजेक्ट के नाम पर सुनहरे सपने दिखाए थे, तीन साल में काम पूरा होना था, मगर विभाग के दावों के मुताबिक 30 स 35 फीसद काम ही हो पाया है। इस गति से काम होता रहा तो चार से पांच साल और लग जाएंगे। डीपीआर में क्या है यह सार्वजनिक करने से बचने से लग रहा है कि प्रोजेक्ट डीपीआर के मुताबिक नहीं बन रहा और इसमें गड़बड़ है।

- प्रीति खजूरिया, पार्षद, वार्ड नंबर एक पहले भी कई बार डीपीआर देने को कहा गया है, मगर डीपीआर नहीं दी गई है। यूईईडी को डीपीआर देने के लिए नगर परिषद द्वारा लिखा जाएगा, जिससे की पार्षद जान सकें कि वार्ड में क्या काम होगा। इसके साथ ही प्रोजेक्ट का काम और उसकी निगरानी सही तरह से हो, इसके लिए यूईईडी विभाग के एक्सईएन स्तर के अधिकारी को तैनात करने को कहा है।

-डा. जोगेश्वर गुप्ता, नगर परिषद अध्यक्ष ऊधमपुर करीब साढ़े तीन साल में अब तक सीवरेज बिछाने का 30 से 35 फीसद काम ही हो पाया है। जबकि इस प्रोजेक्ट का काम दिसंबर 2021 तक पूरा किया जाना था। कोरोना की वजह से कंपनी ने मार्च 2022 तक इसे पूरा करने की बात कही है। घाट का काम 70 फीसद हो चुका है। नगर परिषद को डीपीआर उपलब्ध करवाई जा सके, इसके लिए उच्चाधिकारियों से बात करेंगे। वैसे प्रशासन को डीपीआर की कापी प्रोजेक्ट का काम शुरू होने के दौरान सौंपी गई थी।

- पारस,जेई, यूईईडी विभाग

chat bot
आपका साथी