फायर फाइटर के लिए समर्पण, लक्ष्य व प्रशिक्षण जरूरी
उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि फायर एंड इमरजेंसी विभाग के पास जम्मू व कश्मीर में तीन जगह प्रशिक्षण की सुविधाएं हैं। अच्छी फायर फाइटर टीम के तीन समर्पण व्यक्तिगत लक्ष्य व प्रशिक्षण यह तीनों जरूरी है। बदलते फायर सेफ्टी नॉर्मस के मुताबिक फायर फाइटर व अन्य को लगातार प्रशिक्षण देना जरूरी है। इसलिए विभाग को फायर एकेडमी स्थापित करने पर विचार करना चाहिए।
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि फायर एंड इमरजेंसी विभाग के पास जम्मू व कश्मीर में तीन जगह प्रशिक्षण की सुविधाएं हैं। अच्छी फायर फाइटर टीम के तीन समर्पण, व्यक्तिगत लक्ष्य व प्रशिक्षण यह तीनों जरूरी है। बदलते फायर सेफ्टी नॉर्मस के मुताबिक फायर फाइटर व अन्य को लगातार प्रशिक्षण देना जरूरी है। इसलिए विभाग को फायर एकेडमी स्थापित करने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने इसे स्थापित करने के लिए ढांचागत व अन्य सहायता मुहैया कराने का आश्वासन भी दिया।
शेर-ए-कश्मीर पुलिस अकादमी फायर एंड इमरजेंसी विभाग के पासिग आउट परेड में उपराज्यपाल ने कहा कि जम्मू कश्मीर की भौगोलिक स्थिति के चलते यहां पर फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज की जरूरत 1885 से ही महसूस की जा रही थी। शताब्दी का सबसे बड़ा भूकंप आया था, जिसमें हजारों लोग तबाह हुए थे। दस्तावेजों के मुताबिक 35 सौ लोगों की मौत हुई थी। स्थापना के तुरंत बाद विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती झेलनी पड़ी थी। 52 घंटो की लगातार बारिश से उफान पर आई झेलम नदी ने श्रीनगर की सड़क को तहस नहस कर दिया। बचाव अभियान के महत्व को देखते हुए प्रशासन ने फायर एंड इमरजेंसी विभाग को अवाम की सेवा में लगाया। उन्होंने कहा कि जून में बारामुला व भवन में हुई आग की घटनाओं में विभाग के जवानों ने दिलेरी से जान माल की रक्षा की। उन्होंने कहा किसी भी पेशे में जुनून और जज्बे का होना जरूरी है। कई वरिष्ठ अधिकारी हैं जिनके ऐसे जज्बे की वजह से न जाने कितनी जिदगियां आज सुरक्षित हैं, कितने ही घर सलामत खड़े हैं और कितने जंगल हरे भरे हैं। यही उन अधिकारियों के जीवन की सबसे बड़ी कमाई है और आप सबके लिए आदर्श प्रेरणा का स्त्रोत । पूरी उम्मीद है सभी आदर्शों पर खरा उतरेंगे।
उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू कश्मीर में जनमानस सुरक्षा व मानव सुरक्षा की शपथ लेकर सेवा को समर्पित हुए 669 फायर मैन व चालकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि पुरस्कार प्राप्त करने वाले परिश्रम व कर्तव्यपरायनता के लिए विशेष बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि सभी कैडेट्स उस संस्थान का हिस्सा बनने जा रहा हैं, जिसका इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। 1803 में मुंबई और 1822 कोलकाता के बाद 1893 में जम्मू कश्मीर में फायर एंड इमरजेंसी विभाग की शुरुआत श्रीनगर फायर ब्रिगेड के रूप में हुई। यहां तक कि दिल्ली में भी आर्गेनाईज्ड तरीके से तीन साल बाद 1898 में यह सेवा शुरु हो पाई थी। उन्होंने सभी को विभाग के नाले वी सर्व टू सेव पर चल कर लोगों की जिदगी की बचाने, घटनाओं को नियंत्रित करने, लोगों की जीवन भर की कमाई की रक्षा करने, प्राकृतिक व औद्योगिक संपदा को बचाने और सबको अग्नी सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए काम करने को कहा। उन्होंने कहा कि अब वह कैडेट से हीरो बनने वाले हैं। एकेडमी में प्राप्त प्रशिक्षण के बलबूते पर अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि वर्ष 1984 बाद से जेके पुलिस के अधिकारियों को जवानों का प्रशिक्षण इसी एकेडमी में हुआ है। इस मिट्टी ने कैडेट को प्रशिक्षण देकर वीर जवान बना कर आतंरिक सुरक्षा को कायम रखने में संबल प्रदान किया है।
खाली पद भरने की जरूरत
उन्होंने कहा कि प्रशासन ने बड़ी जिम्मेदारी से विभागों की रिक्तियों को भरने का प्रयास किया है। फायर सर्विसेज में भी वर्तमान मे जो पद खाली है उनको चिन्हित कर फास्ट ट्रैक पर भरने की जरूरत है। जिससे की मानव संस्थानों की वजह से जनसेवा से जुड़ा एक महत्वपूर्ण विभाग में कोई कमी न रहे।
आतंरिक सुरक्षा ढांचे में फायर एंड इमरजेंसी विभाग भूमिका अहम
उपराज्यपाल ने कहा कि आतंरिक सुरक्षा ढांचे में भी फायर एंड इमरजेंसी विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है। पूर्ण विश्वास है कि कर्म क्षेत्र में अपना पराक्रम दिखाएंगे व जम्मू कश्मीर के लोगों की जान माल की हिफाजत की जो शपथ उन्होंने ली है, उस पर खरा उतरेंगे। उन्होंने फर्ज के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले फायर फाइटरों को ाद्धांजलि अर्पित की।