Jammu And Kashmir: हिजबुल को किनारे लगा अल-बदर को आगे बढ़ा रहा पाकिस्तान, आत्मघाती हमलों की दी ट्रेनिंग
Jammu And Kashmir घाटी में शीर्ष कमांडरों के सफाए के बाद हिजबुल को उसके हाल पर छोड़ पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ हथियार और पैसे की मदद कर अल-बदर के कैडर को आगे बढ़ा रही है। उसके आतंकी पाकिस्तानी सेना के बैट दस्तों में शामिल किए गए हैं।
श्रीनगर, नवीन नवाज। Jammu And Kashmir: कश्मीर के सबसे बड़े आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन पर सुरक्षा बलों का शिकंजा कसता देख पाकिस्तान अब पुराने मोहरे अल-बदर मुजाहिद्दीन को जिंदा करने में जुटा है। घाटी में शीर्ष कमांडरों के सफाए के बाद हिजबुल को उसके हाल पर छोड़ पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ हथियार और पैसे की मदद कर अल-बदर के कैडर को आगे बढ़ा रही है। इसके अलावा उसके आतंकी पाकिस्तानी सेना के बैट दस्तों में शामिल किए गए हैं और आत्मघाती हमलों के लिए भी प्रशिक्षण दे रही है। दावा है कि एक माह के दौरान दो दर्जन आतंकियों की कथित तौर पर राजौरी-पुंछ के रास्ते घुसपैठ करा दी गई। घाटी में सक्रिय करीब 250 आतंकियाें में लगभग 65 आतंकी अल-बदर के हैं, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां इस आंकड़े पर असहमत हैं।
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने अल-बदर की कमान स्थानीय आतंकी अर्जमंद गुलजार डार को सौंपी है पर पूरा नियंत्रण अपने हाथ में ही रखा है। आइएसआइ की बदली रणनीति का ही हिस्सा है कि उत्तरी कश्मीर के नियंत्रण रेखा (एलओसी) के करीब बारामुला व कुपवाड़ा में दो माह में पकड़े गए अधिकांश हथियार अल-बदर के लिए ही थे। श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर वाहनों की तलाशी के दौरान पकड़े गए हथियार भी जैश ए मोहम्मद व अल-बदर के लिए ही थे। सितंबर में छह लाख रुपये की हवाला राशि संग अल-बदर के चार ओवरग्राउंड वर्कर पकड़े गए। दर्जनभर उसके मददगार पकड़े जा चुके हैं और अलबदर से जुड़े चार युवाओं को सुरक्षाबल मुख्यधारा में शामिल करने में सफल रहे। साजिश है कि नए युवाओं की भर्ती को सार्वजनिक नहीं किया जाए और यही वजह है कि अल-बदर में शामिल होने वाला चार में से एक आतंकी ही सोशल मीडिया पर पहचान उजागर कर रहा है। अर्जमंद सीधे नए आतंकियों से बातचीत कर उसके लिए हथियार व पैसे का बंदोबस्त कर रहा है।
सूत्रों ने बताया कि अल-बदर के करीब 85 आतंकी इस समय राजौरी, पु़ंछ, बारामुला, कुपवाड़ा और बांडीपाेर के उस पार गुलाम कश्मीर के अग्रिम हिस्सों में पाकिस्तानी सेना की निगरानी में चल रहे लांचिंग पैड पर मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि नौ-10 अक्टूबर को अल-बदर के करीब एक दर्जन आतंकियों ने गुलाम कश्मीर के समानी सेक्टर के रास्ते राजौरी में घुसपैठ का प्रयास किया था। इसे अलावा इसी इलाके में बैट कार्रवाई के लिए अल-बदर के छह आतंकियों का एक दस्ता भी पाकिस्तानी सेना के कमांडो के साथ तैनात है। इसी दस्ते का एक आतंकी गत सप्ताह सज्जाद भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई में मारा गया है। सूत्रों ने बताया कि आठ आतंकियाें का गुट राजौरी-पुंछ इलाके से घुसपैठ के लिए तैयार बैठा है। इस गुट को दक्षिण कश्मीर पहुंचना है। इनकी सुरक्षित घुसपैठ कराने के लिए अर्जमंद गुलजार खुद समानी में डेरा डाले हुए है।
जानें, कौन है अल-बदर मुजाहिदीन
आतंकी संगठन अल-बदर मुजाहिदीन बांग्लादेश और अफगानिस्तान में दशकों से सक्रिय रहा है, लेकिन कश्मीर में यह 1998 में सक्रिय हुआ। उस समय इसकी कमान गुलाम कश्मीर के रहने वाले आतंकी कमांडर लुकमान को सौंपी गई थी। बाद में लुकमान के स्थान पर पाकिस्तानी पंजाब के आतंकी बख्त जमीन ने अल-बदर की कमान संभाली। इस समय बख्त जमीन ही इसका प्रमुख कमांडर है। युसुफ बलोच उसके करीबियों में एक है। शुरू में अल-बदर के आतंकी मुख्य तौर पर राजौरी, पु़ंछ, बारामुला, कुपवाड़ा के सीमावर्ती इलाकों में ही सक्रिय रहे। 2005 के बाद जम्मू-कश्मीर में इसकी गतिविधियां नाममात्र ही रह गई थी। वर्ष 2012 के बाद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने अल-बदर के कैडर को एलओसी के साथ सटे इलाकों में बैट कार्रवाइयों के लिए शामिल करना शुरू कर दिया। इसका खुलासा करीब पांच साल पहले रफियाबाद में पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकी सज्जाद ने किया था।
स्थानीय कलेवर देने के लिए अर्जमंद को बनाया चेहरा
अल-बदर को स्थानीय कलेवर देने के लिए कश्मीर में ऑपरेशनल गतिविधियों और कैडर की भर्ती का जिम्मा अर्जमंद गुलजान डार को सौंपा गया। वह दक्षिण कश्मीर में जिला पुलवामा के खरबटपोरा गांव का रहने वाला है और आतंकी बनने से पहले वह एमबीबीएस का छात्र था। अर्जमंद के साथ आइएसआइ के करीबी युसुफ बलोच को रखा गया है। अर्जमंद के बारे में कहा जाता है कि वह दो साल पहले एक वैध वीजा पर पाकिस्तान गया था और उसके बाद से फरार है। पाकिस्तान में कुछ समय तक जिहादी कैंप में रहने के बाद वह एलओसी पार कर कश्मीर में दाखिल हुआ। दक्षिण कश्मीर में एक ही रात में करीब एक आठ पुलिसकर्मियों व उनके परिजनों काे अगवा करने में अर्जमंद गुलजार का ही दिमाग था। बीते साल कुलगाम में अल-बदर के कमांडर जीनत उल इस्लाम उर्फ अबु अलकामा के मारे जाने के बाद उसकी रिश्तेदार युवती को आतंकियों ने मुखबिरी के आरोप में कत्ल कर दिया था। वह हत्या भी अर्जमंद के इशारे पर हुई था। बताया जाता कि पिछले साल मई माह में एक मुठभेड़ में जख्मी होने के बाद वह केरन के रास्ते पाकिस्तान भाग गया था।
जानें, क्यों जिंदा किया गया अल-बदर
अल-कायदा और तालिबान का करीबी अल-बदर पूरी दुनिया में इस्लामिक राज चाहता है। कश्मीर में बीते कुछ सालों से पाकिस्तान और हिजबुल की नीतियों के प्रति युवाओं में गुस्सा बढ़ा है। वह अलकायदा और इस्लामिक स्टेट की विचारधारा से ज्यादा प्रभावित नजर आते हैं और उसी आधार पर आतंकी संगठन का चुनाव कर रहे हैं। जमात ए इस्लामी पर पाबंदी और जम्मू-कश्मीर में पुनर्गठन अधिनियम के लागू होने के बाद हिजबुल मुजाहिदीन अत्यंत दबाव में है। उसके सभी प्रमुख कमांडर मारे जा चुके हैं। इसके अलावा हिजबुल कोई बड़ी आतंकी वारदात काे अंजाम देने में नाकाम रहा है। स्थानीय युवाओं में भी हिजबुल के प्रति दिलचस्पी घटी है। इसलिए कट्टरपंथी कैडर के माध्यम से कश्मीर में आतंकी घोड़े की लगाम अपने हाथ में रखने के लिए अब अल-बदर को पाकिस्तान द्वारा फिर से जिंदा किया गया है। इसके अलावा इसमें स्थानीय कैडर की भर्ती कर यह साबित करने का प्रयास है कि यह कोई विदेशी नहीं बल्कि कश्मीरी आतंकी संगठन है।
चीनी सेना भी दे रही ट्रेनिंग
अल-बदर के आतंकियों की ट्रेनिंग, हथियार व पैसे के मामले में चीन के सेना भी मदद कर रही है। चीनी सैन्याधिकारियों के एक दल ने अप्रैल-मई माह के दौेरान दुदनियाल, केल,जोढ़ा व मनशेरा स्थित अल-बदर के शिविरों का दौरा किया था। चीनी सैन्य अधिकारियों ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में अल-बदर के सरगना बख्त जमीन व कुछ अन्य आतंकी कमांडरों के साथ बैठक भी की थी।