निगम आयुक्त श्रीनगर ने कोरम पूरा न होने के कारण श्रीनगर डिप्टी मेयर परवेज अविश्वास प्रस्ताव से बचे

श्रीनगर नगर निगम के डिप्टी मेयर परवेज कादरी सोमवार फिर अविश्वासमत प्रस्ताव से बच गए। निगम आयुक्त श्रीनगर ने कोरम पूरा न होने के कारण सदन को स्थगित कर दिया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Nov 2020 07:01 AM (IST) Updated:Tue, 03 Nov 2020 07:01 AM (IST)
निगम आयुक्त श्रीनगर ने कोरम पूरा न होने के कारण श्रीनगर डिप्टी मेयर परवेज अविश्वास प्रस्ताव से बचे
निगम आयुक्त श्रीनगर ने कोरम पूरा न होने के कारण श्रीनगर डिप्टी मेयर परवेज अविश्वास प्रस्ताव से बचे

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : श्रीनगर नगर निगम के डिप्टी मेयर परवेज कादरी सोमवार फिर अविश्वासमत प्रस्ताव से बच गए। निगम आयुक्त श्रीनगर ने कोरम पूरा न होने के कारण सदन को स्थगित कर दिया। अगस्त में भी परवेज के खिलाफ लाया अविश्वासमत कोरम पूरा न होने के कारण रद हो गया था। दो कॉरपोरेटरों ने नासिर अहमद नाइकू व दानिश बट ने अविश्वासमत प्रस्ताव लाया था।

गौरतलब है कि परवेज जो नेका से जुड़े हुए हैं, गत जून से कार्यवाहक मेयर की जिम्मेदारी तत्कालीन मेयर जुनैद मट्टू को अवश्विासमत प्रस्ताव के जरिए हटाने के बाद से संभाल रहे हैं। मेयर के चुनाव को कोरोना के तहत प्रशासन ने दिसंबर तक स्थगित कर रखा है। श्रीनगर निगम के आयुक्त गजनफर अली ने बताया कि हमने अविश्वासमत प्रस्ताव लाने वालों और डिप्टी मेयर परवेज को बहुमत साबित करने का मौका देते हुए वोटिंग कराने का फैसला किया था। मतदान में हिस्सा लेने के लिए सदन में सिर्फ 40 कॉरपोरेटर ही मौजूद नजर आए। जम्मू कश्मीर नगर निगम अधिनियम में संशोधन के मुताबिक 53 कॉरपोरेटर मौजूद होने चाहिए थे। निगम में 74 काउंसलर हैं। इसलिए हमने दोबारा स्थगित कर दिया है। गजनफर अली ने कहा कि हमने संबंधित अधिनियम में संशोधन व अन्य संबधित मुद्दों पर कानून विभाग से राय मागी थी। कानून एव संसदीय मामले विभाग द्वारा सहमति देने के बाद अविश्वासमत प्रस्ताव पर वोटिंग कराने का फैसला लिया था।

दो माह में दूसरा अविश्वासमत कैसा : डिप्टी मेयर परवेज कादरी ने कहा कि अगस्त में मेरे खिलाफ अविश्वासमत प्रस्ताव लाया था, लेकिन वह नाकाम रहा था। भविष्य में भी अगर कभी इस तरह का प्रस्ताव लाया तो वह नाकाम ही होगा। अगस्त में 26 कॉरपोरेटरों ने अविश्वासमत प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि दो माह में यह लोग मेरे खिलाफ दूसरा अविश्वासमत कैसे ले आए। जुनैद मट्टू को उनकी कारगुजारियों के कारण मेयर पद से हटना पड़ा है,लेकिन वह गलती सुधारने के बावजूद निगम में जोड़ तोड़ करने में लगे हैं। यह है अधिनियम : नगर निगम अधिनियम 2000 के मुताबिक, अगर मेयर या डिप्टी मेयर के खिलाफ लाया अविश्वासमत प्रस्ताव सदन में लाया जाता है और वह गिर जाता है तो दूसरा प्रस्ताव अगले छह माह के बाद लाया जा सकता है। शेख गैर हाजिर और जुनैद मौजूद रहे : अविश्वासमत प्रस्ताव के दौरान निगम के पूर्व डिप्टी मेयर जो इस समय शेख इमरान के समर्थ हैं, सदन से गैर हाजिर थे। पूर्व मेयर जुनैद अविश्वास मत प्रस्ताव पर बहस के दौरान सदन में ही मौजूद थे।

सदन में मौजूद 40 कॉरपोरेटरों में 17 काग्रेस से संबंधित थे जबकि 23 अन्य में एक दर्जन निर्दलीय थे और शेष का संबंध पीपुल्स काफ्रेंस,भाजपा और नेका से था।

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