Jammu Kashmir : पीसी के चेयरमैन सज्जाद ने उमर पर लगाया आरोप, कहा-पर्दे के पीछे भाजपा के साथ हैं उमर
जम्मू कश्मीर में हरेक अच्छी तरह जानता है कि नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी पूरी तरह से नई दिल्ली के इशारे पर चलने वाली सियासी जमाते हैं। वर्ष 1996 से पूर्व नेकां जरुर एक कैडर वाली जमात थी और उसके बाद यह नई दिल्ली की जमात बन गई।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन ने नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को खरी खरी सुनाते हुए कहा कि यह उमर अब्दुल्ला और उनकी पार्टी नेकां ही है,जिसने भाजपा को घाटी का रास्ता दिखाया और उसे कश्मीर में जगह बनाने की मौका दिया। वह पीडीपी पर इसका दोष मढ़ अपने गुनाह नहीं छिपा सकते। पीपुल्स कांफ्रेंस या किसी दूसरे को भाजपा का पिछलग्गू कहने वाले उमर अब्दुल्ला खुद भाजपा के समर्थक रहे हैं।
आज यहां अपने कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में सज्जाद गनी लोन ने कहा कि उमर अब्दुल्ला किस अनुच्छेद 370 की बात करते हैं, जब इसे संसद में हटाया जा रहा था तो नेशनल कांफ्रेंस के सांसद वहां हंस रहे थे। उनके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकला। हमारे एक साथी फैयाज मीर जो उस समय राज्यसभा के सदस्य थे, ने ही विरोधस्वरुप अपने कपड़े फाड़े थे।
सज्जाद गनी लोन ने कहा कि उमर अब्दुल्ला ने गत दिनों डोडा-किश्तवाड़ में अपने दौरे के दौरान पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के संस्थापक स्व मुफ्ती मोहम्मद सईद पर भाजपा से हाथ मिलाने और जम्मू कश्मीर को तबाह करने का आरोप लगाया है। मैं इसे सुनकर बहुत आहत और निराश हूं।
आज मुफ्ती साहब अपने बचाव के लिए जिंदा नहीं है। खैर, उमर अब्दुल्ला को मुफ्ती सईद पर आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबां में देखना चाहिए। उन्होंने ही भाजपा को जम्मू कश्मीर का रास्ता दिखाया था। उमर तो आज जम्मू कश्मीर के नंबर एक झूठे व्यक्ति बनने जा रहे हैं। कश्मीरी में ऐसे व्यक्ति को टर बाज कहा जाता और उनकी बयानबाजी को सुनकर कोई भी उन्हें कश्मीर का सबसे बड़ा टर बाज कह सकता है। झूठी शेखियां बघारने वाले को भी टरबाज कहा जाता है।
पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन ने कहा कि उमर कहते हैं कि अगर वह उमर सत्ता में होते तो यहां कुछ नहीं होता। वह 2010 में यहां सत्ता में थे,उस समय भी यहां सैंकड़ों लोग मारे गए थे। उस समय भी यहां हर चीज केंद्र सरकार द्वारा ही चलाई जा रही थी, उनकी सरकार तो उस समय केंद्र की कठपुतली थी। पीएजीडी के साथ किसी तरह के संबंध को नकारते हुए सज्जाद गनी ने कहा कि मैंने इससे नाता तोड़ लिया है। पीएजीडी में शामिल लोग विश्वसनीय नहीं हैं। पीडीपी तो पीएजीडी का हिस्सा है,लेकिन पीएजीडी के अन्य नेता उनके खिलाफ बोलने से परहेज नहीं करते।
उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला खुद भाजपा का पर्दे के पीछे साथ देते हैं। वह डोडा-किश्तवाड का दौरा कर रहे हैं और यह भाजपा के इशारे पर ही हो रहा है। इस क्षेत्र में वोटों के बंटवारे के आधार पर ही भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनावों मे चार सीटें जीती थी। नेकां के आटोनामी प्रस्ताव को जब केंद्र ने ठंडे बस्ते में फेंका था, उस समय नेकां केंद्र में गठबंधन सरकार का हिस्सा बनी रही।
कृषि सुधार कानूनों की वापसी को अनुच्छेद 370 की वापसी की उम्मीद से जोड़ने पर उन्होंने कहा कि हमें अपने हालात केा किसानों के साथ नहीं जोड़ना चाहिए। हमें भ्रम में नहीं रहना चाहिए। पूरे हिंदोस्तान में किसी को भी अनुच्छेद 370 की पुनर्बहाली में कोई भी रुची नहीं है। किसी को कश्मीरियों की उम्मीदों और कश्मीरी मुस्लिमों की चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि बेशक अनुच्छेद 370 पर चर्चा बंद हो जाए,लेकिन इसकी बहाली की मांग कभी समाप्त नहीं होगी।
मुझे यकीन है कि एक दिन केंद्र खुद ही इसे किसी राजनीतिक दल की वकालत या दबाव के बगैर बहाल करेगा। इसके सिर्फ संसद बहाल करेगी या फिर अदालत और इसकी पुनर्बहाली के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने वाली पीपुल्स कांफ्रेंस ही जम्मू कश्मीर की पहली सियासी जमात है।
सज्जाद गनी लोन ने कहा कि हमारी पार्टी 45 साल पुरानी है। हमारे दो नेताओं कीहिरासत में मौत हुई है, हमारे लगभग एक हजार नेता व कार्यकर्ता जन सुरक्षा अधिनियम के तहत जेल जा चुके हैं, कई गोलियों का शिकार हो चुके हैं। मेरे पिता भी आतंकी हमले में शहीद हुए हैं, वह भी जोधपुर और तिहाड़ जेल में बंद रह चुके हैं। हमारी पार्टी को नई दिल्ली ने तैयार नहीं किया है। जम्मू कश्मीर में हरेक अच्छी तरह जानता है कि नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी पूरी तरह से नई दिल्ली के इशारे पर चलने वाली सियासी जमाते हैं। वर्ष 1996 से पूर्व नेकां जरुर एक कैडर वाली जमात थी और उसके बाद यह नई दिल्ली की जमात बन गई।
सज्जाद गनी लाेन ने कहा कि सियासत दरिया में बहने वाले पानी की तरह एक हकीकत है जिसे कभी नहीं रोका जा सकता। मुझे लगता है कि लोग हमारे समर्थन में आगे आ रहे हैं। एक लोकप्रिय और निर्वाचित सरकार की अनुपस्थिति में आम लोग विभिन्न मुश्किलात का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह कहना सही नहीं होगा कि नौकरशाही सही तरीके से काम नहीं कर रही है, बल्कि लाेकतंत्र में आम लोग खुद को ज्यादा सहज महसूस करते हैं।