कश्मीर में एनजीओ के जरिये पाकिस्तान कर रहा आतंकी फंडिंग
राज्य ब्यूरो श्रीनगर कश्मीर में आतंकी और अलगाववादी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान कथित मानवाधिकार संगठनों और एनजीओ के जरिए भाी वित्तीस मदद कर रहा है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर में आतंकी और अलगाववादी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान कथित मानवाधिकार संगठनों और स्वयंसेवी संगठनों (एनजीओ) के जरिए भी वित्तीय मदद उपलब्ध करा रहा है। इस मामले में स्थानीय मीडिया समूह से लेकर कई संगठनों के तार जुड़ रहे हैं। इन्हीं कड़ियों को जोड़ने के लिएबुधवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने श्रीनगर में एक मीडिया हाउस के कार्यालय और वर्ष 2000 में गठित तीन एनजीओ के कार्यालयों व उनसे संबंधित लोगों के ठिकानों पर छापे मारे। श्रीनगर और बांडीपोर में 10 जगह और बेंगलुरु में भी एनजीओ के ठिकाने पर छापामारी की गई। जांच एजेंसी ने इस दौरान कई दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण कब्जे में लिए हैं। एनआइए की टीम ने बुधवार सुबह से ही पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों के साथ श्रीनगर के विभिन्न हिस्सों में छापामारी आंरभ कर दी। इस दौरान एक स्थानीय समाचारपत्र के कार्यालय में छापा मारा गया और उससे जुड़े जीके फाउंडेशन ट्रस्ट के लोगों से पूछताछ की गई। कुछ दस्तावेजों को एनआइए ने कब्जे में लिया है। बता दें कि अखबार के मालिक से एनआइए पहले भी कथित तौर पर दिल्ली में पूछताछ कर चुकी है। देश-विदेश से हर साल जमा होते हैं करोड़ों रुपये :
एनआइए के प्रवक्ता ने बताया कि बुधवार को तथाकथित एनजीओ और ट्रस्टों की आड़ में टेरर फंडिंग के सिलसिले में तलाशी ली गई है। यह एनजीओ और ट्रस्ट परोपकारी गतिविधियों के नाम पर देश-विदेश से हर साल करोड़ों रुपये जमा करते हैं और यह राशि जम्मू-कश्मीर में आतंकी व अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए खर्च की जाती है। इस संदर्भ में आइपीसी और यूएपीए की धाराओं के तहत आठ अक्टूबर को ही एफआइआर दर्ज की गई थी। यह एफआइआर इन एनजीओ और ट्रस्टों के आतंकी व अलगाववादी रिश्तों की एक पुख्ता खबर के आधार पर दर्ज की गई है। मीडिया और एनजीओ के नाम पर चल रहा खेल :
एनजीओ अथरोट : अथरोट नामक एनजीओ के कार्यालय पहुंच उसके वित्तीय लेन-देन और गतिविधियों से संबंधित दस्तावेजों को एनआइए ने जब्त किया और तीन लोगों से पूछताछ की। टेरर फंडिंग में तिहाड़ में बंद पूर्व विधायक इंजीनियर रशीद भी कथित तौर पर इससे संबंधित रहे हैं। जहीरुदीन : एनआइए ने जहीरुदीन नामक एक पत्रकार के घर की भी तलाशी ली। जहीरुदीन एनजीओ कोएलेशन ऑफ सिविल सोसाइटी (जेकेसीसीएस) और एसोसिएशन आफ पेरेंट्स ऑफ डिस्एपेयर्ड पर्सस (एपीडीपी) से जुडे़ हैं। इनके लेख हमेशा कश्मीर में आतंकी व अलगाववादी गतिविधियों को न्यायोचित ठहराने वाले रहे हैं।
अरुंधति राय के करीबी हैं परवेज : एनआइए ने पत्रकार परवेज बुखारी के घर में भी तलाशी ली। परवेज पहले एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल के साथ जुड़े थे। वह एक फोटो न्यूज एजेंसी के लिए भी काम करते रहे हैं। जेकेसीसीएस के अलावा मानवाधिकार कार्यकर्ता अंगना चटर्जी व देवाशीष के अलावा लेखिका अरुंधति राय के भी करीबी हैं। इसके अलावा इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय रहने वाले एक पत्रकार से भी पूछताछ की गई। उसे बीते साल कथित तौर पर विदेश जाने से रोका गया था। परवेज मट्टा नामक एक मानवाधिकार कार्यकर्ता के घर की भी तलाशी ली गई। र्खुरम परवेज : जेकेसीसीएस के कोआर्डिनेटर खुर्रम परवेज के कार्यालय और घर की भी तलाशी ली गई है। करीब 16 वर्ष पहले कुपवाड़ा में आतंकियों द्वारा लगाई बारूदी सुरंग धमाके में टैक्सी में सवार खुर्रम बाल-बाल बच गए, लेकिन उनकी टाग कट गई थी।
परवीन अहंगर : एपीडीपी की अध्यक्ष परवीन अहंगर के बटमालू स्थित मकान और कार्यालय की भी तलाशी ली गई। अहंगर के पुत्र के बारे में कहा जाता है कि उसे 1990 की शुरुआत में सुरक्षाबलों ने गिरफ्तार किया था और उसके बाद से वह लापता है। बाडीपोर में भी एक एनजीओ के ठिकाने को खंगाला गया है।
स्वाति शेषाद्री : बेंगलुरु में कथित मानवाधिकार कार्यकर्ता स्वाति शेषाद्री के ठिकानों की भी तलाशी ली गई है। स्वाति भी जेकेसीसीएस और अथरोट के अलावा परवेज बुखारी और खुर्रम परवेज की करीबी हैं। 2017 में शुरू की गई थी जांच :
एनआइए वर्ष 2017 से कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद के लिए पाकिस्तान समेत अन्य मुल्कों से होने वाली फंडिंग की जाच कर रही है। इस सिलसिले में करीब दो दर्जन अलगाववादियों के अलावा कश्मीर के एक नामी व्यापारी और एक पूर्व विधायक को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। गिरफ्तार लोगों में कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी का दामाद अल्ताफ शाह उर्फ फंतोश, उदारवादी हुर्रियत प्रमुख मीरवाइज मौलवी उमर फारूक का करीबी शाहिद उल इस्लाम के अलावा शब्बीर शाह, नईम खान और बिट्टा कराटे जैसे अलगाववादी शामिल हैं।