कोरोना से मरने वालों को दफनाने के विवाद पर मुफ्ती सख्त, कहा- विरोध करने वालों पर हो कार्रवाई
मुफ्ती नासिर ने कहा कि कोविड-19 के प्रोटोकाल का पालन करते हुए दिवंगत को दफनाया जाता है। अगर कोई इसका विरोध करता है तो वह गैर इस्लामिक है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। कोविड-19 के संक्रमित मरीजों की मौत पर उन्हें दफनाने को लेकर पैदा हुई विवाद की घटनाओं पर कश्मीर के मजहबी संगठन और उलेमा सख्त होने लगे हैं। कश्मीर के मुफ्ती-ए-आजम मुफ्ती नासिर उल इस्लाम ने कहा कि कोरोना से मरने वालों के अपने कब्रिस्तान में दफनाने पर एतराज जताना गैर इस्लामिक है। हम इस मामले पर सभी उलेमाओं और प्रमुख मजहबी संगठनों के साझा मंच मुत्तहिदा मजलिस ए उलेमा की बैठक बुला रहे हैं।
जो विरोध करे वो गैर इस्लामिक
मुफ्ती नासिर ने कहा कि कोविड-19 के प्रोटोकाल का पालन करते हुए दिवंगत को दफनाया जाता है। अगर कोई इसका विरोध करता है तो वह गैर इस्लामिक है। उन्होंने कहा कि अगर वादी में कहीं भी किसी दिवंगत को दफनाए जाने पर किसी व्यक्ति को दिक्कत आती है तो वह तुरंत हमसे संपर्क करे। जो लोग विरोध करते हैं, उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई को सुनिश्चित बनाएंगे।
कश्मीर घाटी में कोरोना से अब तक 46 मौतें
प्रदेश में कोविड-19 से मरने वालों की तादाद 51 हो चुकी है। इनमें से 46 मौतें कश्मीर घाटी में हुई हैं। संक्रमण के डर से कई जगह लोगों ने मृतकों की शमशानघाट में अंत्येष्टि का विरोध किया तो कई जगह कब्रिस्तान में स्थानीय लोगों ने उन्हें दफनाने नहीं दिया। वादी में कई जगह तो शव उठाने के लिए भी लोग सामने नहीं आए। श्रीनगर में कई बार पुलिसकर्मियों ने कब्र तैयार करनी पड़ी। श्रीनगर में एक कोरोना पीडि़त को उसके पैतृक कब्रिस्तान में नहीं दफनाने दिया गया। बाद में एक एनजीओ ने जब उसे दूसरी जगह ले जाकर सुपुर्दे खाक करना चाहा तो वहां भी स्थानीय लोगों के साथ विवाद पैदा हुआ।