अमरनाथ यात्रा की छड़ी मुबारक पूजा 24 जुलाई को होगी
पहलगाम में दरिया लिद्दर किनारे 24 जुलाई को छड़ी मुबारक का भूमि पूजन नैवग्रह पूजन और ध्वजारोहण का अनुष्ठान होगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुरूप व्यास पूíणमा पर अमरनाथ यात्रा का शुभारंभ होता है लेकिन इस बार भी यात्रा कोरोना के कारण श्रद्धालुओं के लिए बंद रखी है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : पहलगाम में दरिया लिद्दर किनारे 24 जुलाई को छड़ी मुबारक का भूमि पूजन, नैवग्रह पूजन और ध्वजारोहण का अनुष्ठान होगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुरूप व्यास पूíणमा पर अमरनाथ यात्रा का शुभारंभ होता है, लेकिन इस बार भी यात्रा कोरोना के कारण श्रद्धालुओं के लिए बंद रखी है। दशनामी अखाड़ा के महंत दीपेंद्र गिरी के नेतृत्व में छड़ी मुबारक 22 अगस्त को रक्षाबंधन की सुबह पवित्र गुफा में प्रवेश करेगी।
हिमलिंग स्वरूप में विराजमान भगवान अमरेश्वर की पूजा करेगी। दशनामी अखाड़ा के महंत दीपेंद्र गिरी ही भगवान अमरेश्वर की छड़ी मुबारक के संरक्षक हैं। शनिवार 24 जुलाई को व्यास पूíणमा है। उसी दिन सनातन परंपरानुसार, पहलगाम में छड़ी मुबारक का भूमि पूजन,नवग्रह पूजन और ध्वजारोहण का अनुष्ठान होता है। छड़ी मुबारक शनिवार सुबह कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच लाल चौक के पास मैसूमा में विश्रामस्थली दशनामी अखाड़ा से पहलगाम रवाना होगा। लिद्दर किनारे धाíमक अनुष्ठान संपन्न करने के बाद शाम को दशनामी अखाड़ा लौट आएगी। शिव-शक्ति स्वरूपिणी पवित्र छड़ी मुबारक को आठ अगस्त अमावस्या के दिन पूजन के लिए ऐतिहासिक शकराचार्य मंदिर और नौ अगस्त सोमवार सुबह हरि पर्वत श्रीनगर स्थित मा शारिका भवानी के मंदिर में पूजा अर्चना के लिए लेकर जाया जाएगा। दशनामी अखाड़ा श्रीनगर में स्थित श्री अमरेश्वर मंदिर में 11 अगस्त को छड़ियों का पूजन कर वहा स्थापित किया जाएगा। आम श्रद्धालुओं को छड़ी मुबारक के दर्शन की अनुमति भी होगी। श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन 13 अगस्त को शुभ मुहूर्त में परंपरागत छड़ी पूजन करने के पश्चात छड़ी मुबारक का दशनामी अखाड़ा से पवित्र गुफा के लिए प्रस्थान का विधान है। दो दिन तक पहलगाम और चंदनबाड़ी में विश्राम के बाद छड़ी मुबारक आगे की यात्रा के लिए रवाना होगी और मार्ग में स्थित तीर्थस्थलों पर धाíमक अनुष्ठान पूरा करते हुए श्रावण पूíणमा (रक्षाबंधन) के दिन जोकि इस वर्ष 22 अगस्त को है, अमरेश्वर गुफा में प्रवेश करेगी।
महंत दीपेंद्र गिरी ने बताया कि हम सभी धाíमक अनुष्ठान पूरा करेंगे और पौराणिक व धाíमक मान्यताओं के मुताबिक दशनामी अखाड़ा से प्रस्थान करेंगे। अगर सरकार हमें हेलीकाप्टर की सुविधा प्रदान करती है तो फिर छड़ी मुबारक के कार्यक्रम में कुछ बदलाव किया जा सकेगा। पहले भी जब कभी आपात परिस्थितियों में तीर्थयात्रा को स्थगित किया है, या रास्ते में बर्फ बहुत ज्यादा हो तो प्रशासन ने हेलीकाप्टर की सुविधा प्रदान की है। बीते साल कोरोना के करण तीर्थयात्रा को आम श्रद्धालुओं के लिए बंद रखा था और सिर्फ छड़ी मुबारक ही धाíमक अनुष्ठान पूरा करते हुए पवित्र गुफा में हिमलिंग स्वरूप में विराजमान भगवान शकर जिन्हें अमरेश्वर भी कहते हैं, की पूजा के लिए थी। इस साल भी कोविड के कारण यात्रा का आम लागों के बंद रखा है। अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने पवित्र गुफा में सुबह-शाम होने वाली भगवान की शकर की पूजा और आरती का श्रद्धालुओं के लिए सीधा प्रसारण किया जा रहा है। श्रद्धालुओं के आनलाइन पूजा की सुविधा भी है।