Jammu Kashmir : महबूबा को सताई मीडिया की स्वतंत्रता की फिक्र, भारतीय प्रेस परिषद को लिखा पत्र

प्रदेश में विशेषकर कश्मीर मेें पत्रकारों की प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए भारतीय प्रेस परिषद से एक जांच समिति भी घाटी भेजने का आग्रह किया है। उन्होंने इस संदर्भ में प्रेस परिषद को एक पत्र भी लिखा है।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 09:17 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 09:17 PM (IST)
Jammu Kashmir : महबूबा को सताई मीडिया की स्वतंत्रता की फिक्र, भारतीय प्रेस परिषद को लिखा पत्र
पार्टी कार्यालय के बाहर मीडिया की स्वतंत्रता और अधिकारों के तथाकथित हनन के खिलाफ एक रोष प्रदर्शन भी किया।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती को अब मीडिया की स्वतंत्रता की फिक्र सताने लगी है। उन्होंने सोमवार को प्रदेश में विशेषकर कश्मीर मेें पत्रकारों की प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए भारतीय प्रेस परिषद से एक जांच समिति भी घाटी भेजने का आग्रह किया है। उन्होंने इस संदर्भ में प्रेस परिषद को एक पत्र भी लिखा है। इस बीच, उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ग्रीष्मकालीन राजधानी में पार्टी कार्यालय के बाहर मीडिया की स्वतंत्रता और अधिकारों के तथाकथित हनन के खिलाफ एक रोष प्रदर्शन भी किया।

महबूबा मुफ्ती ने प्रेस परिषद को लिखे अपने पत्र में बताया है कि जम्मू कश्मीर में पत्रकारों को डराया जा रहा है, उनके फोन टेप किए जाते हैं, उनके आइकार्ड और एटीएम कार्ड तक अकसर जब्त कर उनकी जांच की जाती है। उनके घराें में पुलिस द्वारा अक्सर छापा डाला जाता है, उन्हेें पूछताछ के नाम पर थानों में बुलाकर लंबे समय तक बैठाया जाता है। अगर वह किसी मुठभेड़स्थल या किसी प्रदर्शनस्थल पर कवरेज के लिए जाते हैं तो उन्हें सुरक्षाकर्मियाें की लाठियां सहनी पड़ती है। कई छायाकारोें के कैमरे जानबूझकर तोड़ दिए जाते हैं। इंटरनेट मीडिया पर अगर वह किसी विषय में लिखते हैं या अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं तो उन्हेें सरकारी खुफिया एजेंसियां घेर लेती हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने पत्र मेें आराेप लगाया है कि कश्मीर मेें मीडियाकर्मियोें और उनके स्वजनों की पृष्ठभूमि की भी जांच की जा रही है। कई वरिष्ठ पत्रकारोें के मोबाइल फोन, लैपटाप भीं जांच के लिए जब्त किए गए हैं। उन्होेंने कहा कि मीडियाकर्मियों के साथ प्रशासन-शासन के अक्सर मतभेद हाेते हैं और जम्मू-कश्मीर मेें पहले भी कई बार मीडियाकर्मी विभिन्न मुद्दों पर सरकारी नीतियों से असहमत रहे हैं, लेकिन कभी उनकी आवाज को इस तरह से नहीं दबाया गया।

उन्होंने भारतीय प्रेस परिषद को कश्मीर के हालात पर मूकदर्शक बने रहने पर लताड़ा और कहा कि प्रेस परिषद से उम्मीद थी कि वह कश्मीर में मीडियाकर्मियों की प्रताड़ना और प्रेस की स्वतंत्रता पर आघात का स्वयं संज्ञान लेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसलिए मुझे मजबूरी में यह पत्र लिखना पड़ रहा है। उन्हाेंने कहा कि इस पत्र की एक प्रति एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को भी भेजी गई है।

इससे पूर्व आज सुबह पीडीपी महासचिव गुलाम नबी लोन हंजूरा के नेतृत्व में पीडीपी कार्यकर्ताओं ने यहां पार्टी मुख्यालय के बाहर मीडियाकर्मियोें की प्रताड़ना के खिलाफ एक रोष प्रदर्शन भी किया। गुलाम नबी लोन ने कहा कि कश्मीर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार समाप्त हो चुका है।यहां कोई भी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ नहीं बोल सकता। जो मुंह खोलता है, उसे झूठे मामलों में फंसाया जाता है।

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