श्रीनगर में अवैध निर्माण पर कार्रवाई से खफा मेयर मट्टू धरने पर डटे

अवैध निर्माण पर कार्रवाई से खफा श्रीनगर नगर निगम के मेयर जुनैद अजीम मट्टू लगातार दूसरे दिन शुक्रवार को भी अन्य काउंसलरों के साथ धरने पर डटे रहे।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 29 May 2021 05:49 AM (IST) Updated:Sat, 29 May 2021 05:49 AM (IST)
श्रीनगर में अवैध निर्माण पर कार्रवाई से खफा मेयर मट्टू धरने पर डटे
श्रीनगर में अवैध निर्माण पर कार्रवाई से खफा मेयर मट्टू धरने पर डटे

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : अवैध निर्माण पर कार्रवाई से खफा श्रीनगर नगर निगम के मेयर जुनैद अजीम मट्टू लगातार दूसरे दिन शुक्रवार को भी अन्य काउंसलरों के साथ धरने पर डटे रहे। वह संयुक्त योजना आयुक्त (जेसीपी) गुलाम हसन मीर को हटाए जाने की माग कर रहे हैं और मांग न मानने पर अनिश्चितकाल भूख हड़ताल शुरू करने की चेतावनी दी है।

इस बीच, जेसीपी गुलाम हसन मीर ने आरोपों को नकारते हुए मेयर और उनके साथियों के खिलाफ पाच करोड़ रुपये का मानहानि का दावा करने की चेतावनी दी है।

उल्लेखनीय है कि श्रीनगर और उसके साथ सटे इलाकों में अवैध निर्माण, रिहायशी इलाकों में बिना अनुमति चल रही व्यावसायिक गतिविधियों के मुद्दे पर मेयर व जेसीपी गुलाम हसन मीर में ठनी हुई है। मेयर व उनके साथियों का कहना है कि जेसीपी जानबूझकर भवन निर्माण की अनुमति नहीं देते। इसके अलावा उन्होंने खुद कई अवैध निर्माण कराए हैं। मीर श्रीनगर के निगम आयुक्त द्वारा अवैध निर्माण के खिलाफ गठित कार्यबल का नेतृत्व कर रहे हैं। उनका यह अभियान 6 जून तक जारी रहेगा। मीर ने कई अवैध इमारतों को गिराया है। इनमें से कई व्यावसायिक परिसर भी हैं। उन्होंने श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र नारकारा वेटलैंड में एक इमारत के निर्माण की अनुमति को भी रद किया है। बताया जा रहा है कि उक्त व्यक्ति ने निर्माण अनुमति शुल्क के तौर पर 1.33 करोड़ की राशि भी निगम में जमा कराई है।

मेयर मट्टू व पार्षदों ने मीर को जेसीपी के पद से हटाकर वापस आवास एवं शहरी विकास विभाग में भेजने का आग्रह किया है। उन्होंने इसके लिए 61 काउंसिलरों द्वारा हस्ताक्षरित एक ज्ञापन निगम आयुक्त और संबधित प्रशासन को भेजा है। इस पर कोई कार्रवाई न किए जाने से खफा जुनैद अजीम मट्टू बृहस्पतिवार को धरने पर बैठ गए थे।

मेयर ने कहा कि मैं और सात अन्य काउंसलर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर रहे हैं। हमने नियमों के मुताबिक प्रस्ताव पारित कर जेसीपी को हटाने की माग की है। इसके बावजूद उन्हें नहीं हटाया गया। यह साबित करता है कि प्रदेश सरकार लोकतात्रिक संस्थानों को नौकरशाही का पिछलग्गू बनाने पर तुली हुई है। जेसीपी गुलाम हसन मीर ने कहा कि मैंने नियमों के मुताबिक कार्य किया है। मैं किसी राजनीतिक दबाव में नहीं आने वाला। मेयर ने मेरी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है। इसके लिए वह सार्वजनिक तौर पर क्षमा याचना करें, अन्यथा मैं उनके खिलाफ अदालत में पाच करोड़ का मानहानि का दवा करुंगा।

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