कश्मीर के कैसर निजामी ग्रैमी अवार्ड के लिए नामांकित

श्रीनगर के हारवन इलाके के रहने वाले कैसर निजामी कश्मीर के प्रसिद्ध गायक व संगीतकार हैं। ए-ग्रेड सिंगर की श्रेणी वाले निजामी कश्मीरी व उर्दू भाषा के मंझे हुए गायकों में से एक हैं। उन्हें उनके गीत हरमुख बारताल जगई.. के लिए जाना जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 16 Nov 2021 05:36 AM (IST) Updated:Tue, 16 Nov 2021 05:36 AM (IST)
कश्मीर के कैसर निजामी ग्रैमी अवार्ड के लिए नामांकित
कश्मीर के कैसर निजामी ग्रैमी अवार्ड के लिए नामांकित

संवाद सहयोगी, श्रीनगर: कश्मीर के प्रसिद्ध गायक व संगीतकार कैसर निजामी का नाम ग्रैमी पुरस्कार के लिए कलाकारों की सूची में शामिल किया गया है। उनका नाम 2019 में अमेरिका में द वॉयस एंड ब्रिजस नामक प्रोजेक्ट के तहत कश्मीरी और उर्दू भाषा में गाए एक गीत के लिए प्रस्तावित किया गया है। पुरस्कार पाने वालों का एलान 23 नवंबर को होगा। कश्मीर में अभी तक किसी को भी यह पुरस्कार नहीं मिला है। अगर निजामी का चयन होता है तो वह ग्रैमी पुरस्कार पाने वाले कश्मीर के पहले गायक होंगे।

श्रीनगर के हारवन इलाके के रहने वाले कैसर निजामी कश्मीर के प्रसिद्ध गायक व संगीतकार हैं। ए-ग्रेड सिंगर की श्रेणी वाले निजामी कश्मीरी व उर्दू भाषा के मंझे हुए गायकों में से एक हैं। उन्हें उनके गीत हरमुख बारताल जगई.. के लिए जाना जाता है। पुरस्कार के लिए मनोनीत कलाकारों की सूची में शामिल किए जाने पर निजामी ने खुशी जताते हुए कहा कि ग्रैमी जैसे पुरस्कार की सूची में अपना नाम दर्ज कराना पूरी घाटी के लिए एक बड़े सम्मान की बात है। उन्होंने बताया कि द वॉयस एंड ब्रिजस प्रोजेक्ट के तहत उन्होंने अमेरिका के प्रसिद्ध संगीतकार व संतूरवादक अहसान मतूरी के संगीत निदेशन में हूर माह चोन नूरे जबीनय नाजनीनय.. गाया था। लाकडाउन में फंस गए थे अमेरिका में, वहीं मिला गाने का मौका

निजामी ने बताया कि वर्ष 2019 में कोविड लाकडाउन के दौरान हवाई सेवा रद होने के चलते वह अमेरिका में फंस गए थे। इसी दौरान उन्हें अहसान मतूरी से भेंट करने का अवसर मिला। मतूरी उन दिनों द वॉयस एंड ब्रिजस के तहत विभिन्न देशों के गायकों को लेकर अलबम तैयार कर रहे थे। उन्होंने मुझे भी इस अलबम में काम करने का न्योता दिया। इस पर उन्होंने कवि इब्राहिम मिसकीन का गीत नाजनीनय रिकार्ड करवाया। यही गीत ग्रैमी पुरस्कार की सूची में शामिल किया गया है। सात हजार गीत गए हैं कश्मीरी और उर्दू में

कैसर निजामी ने वर्ष 1989 से गीत गाना शुरू किया था। वह अब तक उर्दू और कश्मीरी भाषा में करीब सात हजार गीत गा चुके हैं। उनके पिता शौकिया तौर पर बांसुरी बजाते थे और रेडियो विभाग में ब्राडकास्टर थे। उन्होंने अपने पिता से ही प्रेरणा लेकर गायन के क्षेत्र में आए। निजामी ने मशहूर संतूर वादक भजन सोपोरी से भी प्रशिक्षण लिया है।

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