पाकिस्तान में दाखिले के नाम पर सीटें बेच तिजोरियां भरते रहे अलगाववादी

नवीन नवाज श्रीनगर अलगाववादी कश्मीरी युवाओं को बरगलाकर हिंसा की आग में झोंकते रहे और उनकी

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Jul 2020 09:39 AM (IST) Updated:Tue, 07 Jul 2020 09:39 AM (IST)
पाकिस्तान में दाखिले के नाम पर सीटें बेच तिजोरियां भरते रहे अलगाववादी
पाकिस्तान में दाखिले के नाम पर सीटें बेच तिजोरियां भरते रहे अलगाववादी

नवीन नवाज, श्रीनगर : अलगाववादी कश्मीरी युवाओं को बरगलाकर हिंसा की आग में झोंकते रहे और उनकी मौत के बाद भी उनके नाम पर अपनी तिजोरिया भरते रहे। पाकिस्तान सरकार कश्मीर में आतंकी हिसा को उकसाने के लिए मारे गए आतंकियों रिश्तेदारों के लिए एमबीबीएस व इंजीनियरिंग की 150 सीटें आरक्षित करती है। अलगाववादी इन सीटों को बेचकर अपनी तिजोरियां भर लेते। हुर्रियत के विवाद में गिलानी की चिट्ठी ने इस बंदरबाट की पोल खोल दी है। टेरर फंडिंग की जाच कर रही एनआइए (राष्ट्रीय जाच एजेंसी) के हाथ भी ऐसे कई पत्र लगे हैं। इससे कई बड़े अलगाववादियों पर शिकंजा कसना तय है।

पाकिस्तान में सीटों की आड़ में हुए पैसे का खेल काफी पुराना है। वर्ष 2015 में गुलाम कश्मीर स्थित हुर्रियत काफ्रेंस के संयोजक महमूद सागर को इसी नाम पर कुर्सी छोड़नी पड़ी थी और शब्बीर शाह को हुर्रियत से किनारा करना पड़ा था। तब एमएबीबीएस की एक सीट के लिए 13 लाख रुपये वसूलने का आरोप था।

1990 में बाद से कश्मीर में आतंकवाद की आग को और भड़काने के लिए पाकिस्तान ने मारे गए आतंकियों के रिश्तेदारों के लिए निशुल्क मेडिकल और इंजीनियरिग कालेजों में दाखिला देना आरंभ किया। इन छात्रों को हॉस्टल, फीस समेत अन्य सुविधाएं निशुल्क प्रदान की जाती हैं। इसके अलावा जम्मू कश्मीर के छात्रों को विदेशी छात्र वर्ग से भी दाखिले की छूट दी। आरक्षित सीटों पर प्रवेश आतंकी संगठन या फिर अलगाववादी नेताओं की पुष्टि के आधार पर ही दिया जाता है। इसी को अलगाववादियों ने जेब भरने का औजार बना लिया। व्यापारियों व कर्मचारियों के बेटे जाते रहे हैं पाकिस्तान

अलगाववादी खेमे से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कट्टरपंथियों को उनके कद के मुताबिक दो से चार सीटें मिलती हैं। ऐसे में दाखिला लेने के इच्छुक छात्रों से अलगाववादी मोल-भाव कर मोटा पैसा वसूल कर लेते हैं। इस खेल को जानते हुए भी पाकिस्तान चुप रहा। इस तरह अलगाववादी कश्मीरियों का हितैषी होने का ढोंग रचते हुए तिजोरी भरते रहे। वर्ष 2008 के बाद इन दाखिलों को लेकर अलगाववादी नेताओं में जबरदस्त होड़ मच गई। कश्मीर के कई नामी व्यापारियों के बच्चे को भी इन सीटों पर दाखिला दिलवा दिया गया। उन्होंने बताया कि कुछ सरकारी कíमयों के बच्चे भी इस कोटे से पाकिस्तान में पढ़ चुके हैं। बड़े नेताओं के नाम पर बड़ा खेल

करीब पाच साल पहले कुछ छात्रों ने कोटा न मिलने पर हंगामा कर दिया और एक नेता द्वारा पैसे मागने के खेल का खुलासा किया। जनवरी 2015 में कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी के करीबी रहे शब्बीर शाह को इन सीटों को बेचने के आरोपों के चलते हुर्रियत छोड़नी पड़ी और उस समय गुलाम कश्मीर में हुर्रियत की कमान संभाल रहे महमूद सागर को निकाल दिया गया। उसके बाद गुलाम मोहम्मद साफी भी इस गोरखधंधे में लिप्त हो गए। मामले ने तूल पकड़ा तो गिलानी ने उन्हें भी हटा दिया। इसके साथ गिलानी ने दावा किया कि वह अब स्कॉलरशिप कोटे से किसी को पाकिस्तान नहीं भेजेंगे। बावजूद इसके गिलानी गुट और मीरवाइज मौलवी उमर फारूक के करीबी इस खेल में जुटे रहे। एनआइए को मिले अहम दस्तावेज

एनआइए को टेरर फंडिंग के सिलसिले में पकड़े गए गिलानी के खासमखास एयाज अकबर और मीरवाइज के प्रवक्ता शाहिद उल इस्लाम के घर से मिले दस्तावेजों से भी पाकिस्तान में दाखिलों के नाम पर हुए खेल की पुष्टि हुई है। सूत्र बताते हैं कि अब हर साल करीब 100 छात्रों को पाकिस्तान भेजा जा रहा है। इससे फिर साबित हो गया है कि यह लोग पहले युवाओं को बरगला कर हिंसा में धकेलने के लिए पाकिस्तान से पैसा लेते हैं। फिर यह इन आतंकियों की मौत को बेचते हुए तिजोरिया भरते हैं। इन्हें कश्मीर या कश्मीरियों से नहीं सिर्फ पैसे से मतलब है।

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