Politics over Killing : मृतकों के घर संवेदना के बहाने कश्मीर में तनाव बढ़ाने की कोशिशें
दिवंगतों के स्वजनों से संवेदना के बहाने तनाव बढ़ाने की कोशिश हो रही है। पीडीपी ने कश्मीर के हालात को बदतर करार देते हुए उपराज्यपाल से इस्तीफे की मांग की तो नेशनल कांफ्रेंस ने पंडित कर्मियों को अवकाश देने के मामले में सिख कर्मियो को नजरअंदाज करने का शिगूफा छेड़ा
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : कश्मीर में नागरिक हत्याओं पर राजनीति शुरू हो गई है। दिवंगतों के स्वजनों से संवेदना के बहाने तनाव बढ़ाने की कोशिश हो रही है। पीडीपी ने कश्मीर के मौजूदा हालात को बदतर करार देते हुए उपराज्यपाल से इस्तीफे की मांग की तो नेशनल कांफ्रेंस ने पंडित कर्मियों को अवकाश देने के मामले में सिख समुदाय कर्मियो को नजरअंदाज करने का शिगूफा छेड़ दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा दिवंगत सुपिंदर कौर के घर जाकर स्वजन के साथ सांत्वना प्रकट की। बेटी जसलीन और बेटा जसजीत को भी गले लगाया। उन्होंने बुजुर्ग मां के साथ शोक जताया। बाद में महबूबा ने कहा कि इससे ज्यादा क्या दर्दनाक होगा कि दो बच्चों से उनकी मां को छीन लिया। कश्मीर में जो दहशत का माहौल है, इसमें निजात चाहिए। भाजपा ने पांच अगस्त 2919 से लेकर अभी तक कश्मीर के संदर्भ में जो भी नीतियां अपनाई है वह, कश्मीर विरोधी रही है। उनके कारण हालात बिगड़े हैं।
निर्दोषों की हत्याएं सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश : नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि वादी में प्रत्येक अल्पसंख्यक खुद को सुरक्षित महसूस करे, इस तरह का माहौल बनाना हमारी कश्मीरी मुस्लिमों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मैं सभी अल्पसख्यकों से अपील करता हूं कि वह 1990 की तरह का व्यवहार न करें, डर के कारण कश्मीर से पलायन न करें। अलूचीबाग में अध्यापिका सुपिंदर कौर के घर सांत्वना व्यक्त करने के बाद उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हालात ठीक नहीं हैं। लोग डरे हुए हैं। मैं यहां शोक जताने आया था।
दिवंगत सुपिंदर कौर के परिजन आज जिस डर और पीड़ा को झेल रहे हैं, उसे मैं महसूस कर सकता हूं। मेरा मानना है कि यह हमले, यह हत्याएं कश्मीर में विभिन्न वर्गाें डर पैदा कर उनहें कश्मीर से खदेड़ने और सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की साजिश का हिस्सा हैं, लेकिन अब हम ऐसा नहीं होने देंगे। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हमलावर आतंकी चाहते हैं कि कश्मीर से दोबारा पलायन हो। हमें उनकी यह साजिश नाकाम बनानी है। मैं अल्पसंख्यक समुदाय के सभी लोगों से अपील करता हूं कि वह यहां से न जाएं।
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही मैं सभी लोगों से गुजारिश करूंगा कि जिस तरह से हम कश्मीरी मुस्लिम चाहते हैं कि दिल्ली, पंजाब या किसी अन्य राज्य में कश्मीरी मुस्लिम को कुछ नहीं होना चाहिए, वह सुरक्षित रहना चाहिए। हम उन राज्यों की सरकार और वहां के लोगों से उम्मीद रखते हैं। उसी भावना के साथ यह हम सभी कश्मीरी मुस्लिमों की जिम्मेदारी है कि यहां रहने वाला प्रत्येक कश्मीरी पंडित, कश्मीरी सिख या अन्य अल्पसंख्यक खुद को सुरक्षित समझें। कश्मीर में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं और इसलिए यहां प्रत्येक नागरिक खुद को सुरक्षित महसूस करें। उसके भीतर यह भावना पैदा करने, इस तरह का माहौल बनाना हम मुस्लिमों की जिम्मेदारी है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर जम्मू कश्मीर प्रदेश सरकार द्वारा कश्मीरी पंडित समुदाय के सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों को 10 दिन का अवकाश प्रदान करने और सिख समुदाय के अधिकारियों व कर्मियों को इससे वंचित किए जाने पर कड़ा एतराज जताया। उन्होंने कहा कि यह अवकाश तो सिख समुदाय के कर्मचारियो को भी दिया जाना चाहिए। सरकार का यह पक्षपातपूर्ण रवैया मेरी समझ से बाहर है। सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
पीडीपी ने उपराज्यपाल से मांगा इस्तीफा : पीडीपी कार्यकर्ताओं ने बिगड़ती कानून व्यवस्था और आतंकी हिंसा में वृद्धि के खिलाफ जुलूस निकाला। पीडीपी कार्यकर्ताओं ने सुहेल अहमद बुखारी के नेतृत्व में कश्मीर के नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाने, कातिलों की गिरफ्तार के नारे लगाते हुए जब लाल चौक की तरफ मार्च करने तो पुलिस ने रोक लिया। कार्यकर्ताओं ने कार्यालय के बाहर कुछ देर नारेबाजी की और उसके बाद चले गए। उन्होंने हालात बिगड़ने केे लिए इस्तीफे की मांग की।