शब्बीर शाह की बेटी मनी लांड्रिग मामले में तलब

राज्य ब्यूरो श्रीनगर प्रवर्तन निदेशालय ने अलगाववादी नेता शब्बीर शाह की 19 वर्षीय बेटी समा शब्ब

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Apr 2019 05:41 AM (IST) Updated:Thu, 25 Apr 2019 05:41 AM (IST)
शब्बीर शाह की बेटी मनी  लांड्रिग मामले में तलब
शब्बीर शाह की बेटी मनी लांड्रिग मामले में तलब

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : प्रवर्तन निदेशालय ने अलगाववादी नेता शब्बीर शाह की 19 वर्षीय बेटी समा शब्बीर को अपने पिता से संबंधित हवाला और मनी लांड्रिग मामले में पूछताछ के लिए तलब किया है। हालांकि इस मामले के दर्ज किए जाने के समय वह मात्र पांच साल की थी।

इंग्लैंड के मानचेस्टर में कानून की पढ़ाई कर रही समा शब्बीर को उसके श्रीनगर स्थित घर के पते पर समन भेजा गया है। प्रवर्तन निदेशालय ने उसे 18 अप्रैल और उसके बाद बुधवार को तलब किया था।

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी के चेयरमैन शब्बीर शाह को टेरर फंडिंग से जुड़े वर्ष 2005 के एक मामले में 25 जुलाई 2017 को गिरफ्तार किया गया है। प्रवर्तन निदेशालय ने अगस्त 2005 में दर्ज मामले की दिल्ली पुलिस के विशेष सेल की जांच के आधार पर पकड़ा है। अगस्त 2005 में दिल्ली पुलिस ने हवाला कारोबारी मुहम्मद असलम वानी को पकड़ा था। उसने बताया है कि वह शब्बीर शाह तक 2.25 करोड़ की राशि पहुंचा चुका है।

समा बशीर की मां डॉ. बिल्कीस बशीर जम्मू और दिल्ली स्थित प्रवर्तन निदेशालय के कार्यालयों में चक्कर काट रही है ताकि इंग्लैंड में पढ़ रही उसकी बेटी को पूछताछ के लिए निजी तौर पर पेश होने से छूट मिले। डॉ. बिल्कीस ने असिस्टेंट डायरेक्टर पीएमएलए, ईडी को भेजे एक जवाब में लिखा है कि मेरी बेटी समा बशीर इस समय मानचेस्टर विश्वविद्यालय, यूके में पढ़ाई कर रही है। इस बारे में आपको 15 अप्रैल 2019 को एक स्पीड पोस्ट खत के जरिये सूचित किया गया है। ज्ञात हो कि समा बशीर ने बीते साल सीबीएसई की 12वीं बोर्ड परीक्षा में 97.8 फीसद अंक अíजत किए थे।

डॉ. बिल्कीस ने बताया कि इस समय मैं कानूनी औपचारिकताओं को पूरा कर रही हूं। मैं हैरान हूं कि वर्ष 2005 में जब वह पांच साल की थी, उस समय के एक मामले में उसे पूछताछ के लिए तलब किया जा रहा है। यह कैसे हो सकता है। संबंधित अधिकारी और प्रशासन ही जान सकते हैं कि वह आखिर चाहते क्या हैं। अगर कल मुझे मेरी छोटी बेटी सहर के लिए समन आए तो मुझे हैरानी नहीं होगी। मैं उसके लिए भी खुद को तैयार कर रही हूं। वर्ष 2005 में वह मात्र दो साल की थी। प्रवर्तन निदेशालय ने जो हमारा मकान अटैच किया है, वह मुझे मेरे पिता से 1999 में मिला था। मैंने बैंक से 20 लाख रुपये कर्ज लेकर मकान बनाया। आज यहां मकान अटैच कर दिया गया है। यह कौन सा इंसाफ है। मुझे और मेरी बेटियों को मकान की अटैचमेंट का नोटिस मिला है। मेरी बेटियां तो मकान बनाने के समय पैदा भी नहीं हुई थी।

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