पहाड़ी हॉस्टल के छात्र बुनियादी सुविधाओं से वंचित

जागरण संवाददाता राजौरी जिला के पहाड़ी हॉस्टल में रह कर पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियो

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Oct 2019 02:49 AM (IST) Updated:Sat, 26 Oct 2019 06:40 AM (IST)
पहाड़ी हॉस्टल के छात्र बुनियादी सुविधाओं से वंचित
पहाड़ी हॉस्टल के छात्र बुनियादी सुविधाओं से वंचित

जागरण संवाददाता, राजौरी : जिला के पहाड़ी हॉस्टल में रह कर पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को पहाड़ी सलाहकार बोर्ड ने भगवान के भरोसे पर ही छोड़ दिया है। हॉस्टल में मौजूदा समय 150 विद्यार्थी जिले के विभिन्न हिस्सों से आकर शिक्षा ग्रहण कर रहे है। जबकि हॉस्टल में 80 बैड की क्षमता है। लेकिन मजबूरन एक बैड पर दो विद्याíथयों को रहना पड़ रहा है। इसके अलावा विद्याíथयों को जरूरत का सामान भी नहीं मिल रहा है। यहां तक की साबुन व पेस्ट के लिए पैसे भी जारी नहीं किए जा रहे है। सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है, लेकिन विद्याíथयों के लिए न तो गर्म वर्दी आई है और न ही कोई अन्य गर्म कपड़ा। हॉस्टल में मात्र खाने के लिए ही फंड आ रहा है। इस कारण विद्याíथयों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पहाड़ी बॉयज हॉस्टल राजौरी में 150 छात्रों को प्रवेश दिया गया है। जहां छात्र क्षेत्र के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई करते हैं। सभी छात्र गरीब परिवारों से ताल्लुक रखते हैं और कई अनाथ भी हैं, जिनके पास हॉस्टल के अलावा कोई अन्य आवास का स्त्रोत भी नहीं है। वहीं12वीं कक्षा के छात्र करण शर्मा ने अंतहीन और अनगिनत समस्याओं की अपनी कहानी के बारे में बताते हुए कहा कि उनके सामने मुख्य समस्या हॉस्टल में बैठने की व्यवस्था का अभाव है। जहां वह फर्श पर बैठकर अपना भोजन ग्रहण करते हैं। हॉस्टल की मेस इमारत से बारिश का पानी रिसता है, जिसका निर्माण 2009 में किया गया था। तब से इमारत को मरम्मत नहीं किया गया है। जबकि फर्श और दीवारों में दरारें, कॉकरोच और अन्य कीड़ों रसोई मे चलते हुए साफ नजर आ जाते है। हॉस्टल के आठवीं क्लास के छात्र मुहम्मद शकील ने कहा कि एक बिस्तर पर दो विद्यार्थी रह रहे है, जिनके पास उपलब्ध कंबल और रजाई भी नहीं हैं। इससे सर्दियों का सामना करना पड़ रहा है। शकील ने कहा शौचालय और बाथरूम की संख्या केवल दो है। इससे छात्रों को शौचालय का उपयोग करने के लिए एक साथ घंटों इंतजार करना पड़ता है। वहीं दरहाल के 12वीं छात्र वकार अहमद ने कहा कि छात्रावास में उनके लिए कोई बिस्तर उपलब्ध नहीं है। छात्रावास में नामांकित हर बच्चे को सर्दियां भी इसी तरह झेलनी पड़ेंगी। हमने गर्मी भी बिना पंखे के रात के खुले मैदान में ही गुजारी है। उन्होंने कहा कि हम जानवरों की तरह महसूस करते हैं, जिन्हें एक पशु शेड में धकेल दिया गया हो। कुछ महीने पहले होस्टल में शामिल हुए बुद्धल के मुहम्मद असलम ने कहा, मैं एक ऊर्जावान और हर्षित मनोदशा से हॉस्टल में शामिल हुआ। लेकिन एक अलग बिस्तर भी नहीं दिया गया और हमें किसी भी बुनियादी सुविधा के साथ किसी अन्य लड़के के साथ बिस्तर साझा करना पड़ा। बुद्धल के एक मजदूर के बेटे राशिद नाइक ने कहा। बारिश का पानी छत से हमारे बिस्तर पर गिरता है। हमें अधिकारियों द्वारा भगवान की दया पर छोड़ दिया गया है। 10 साल से पहाड़ी हॉस्टल इमारत की मरम्मत का काम नहीं किया गया है। हॉस्टल में सेना द्वारा प्रदान की जा रही बेड, बिस्तर सामग्री और कुछ कुर्सियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हॉस्टल में केवल एक इन्वर्टर है। जो हमेशा खराब रहता है, जिससे पूरे हॉस्टल में अंधेरा रहता है। इससे बच्चों की पढ़ाई सीधे प्रभावित होती है। पूरे छात्रावास में केवल सात पंखे हैं। इसमें 150 छात्र हैं और सात में से केवल तीन पंखे ही पूरी गति से झूलते हैं। वर्तमान सत्र में कोई वर्दी, स्वेटर, स्टेशनरी आइटम, किताबें, जूते उन छात्रों को प्रदान नहीं किए गए हैं। जो हॉस्टल की एक नियमित विशेषता थी और न ही साबुन, टूथपेस्ट और अन्य बुनियादी उपयोग की वस्तुओं की खरीद के लिए मूल धन भी दिया गया है।

पूर्व जिला आयुक्त राजौरी डॉ. शाहिद इकबाल द्वारा उपलब्ध कराए गए कुछ बिस्तरों, किताबों और अन्य उपयोगी वस्तुओं को छोड़कर, पूर्व एमएलसी विबोध गुप्ता द्वारा दिए गए दो लाख रुपये के अलावा किसी अन्य सरकारी एजेंसी ने धनराशि प्रदान नहीं की। यहां तक की हॉस्टल के मदर डिपार्टमेंट के राज्य पहाड़ी सलाहकार बोर्ड केवल भोजन शुल्क प्रदान कर रहा है।

इस संबंध में जब पहाड़ी हॉस्टल के वार्डन शाहबाज खान से संपर्क किया गया, तो उन्होंने छात्रावास में नामांकित छात्रों द्वारा उठाए गए सभी समस्याओं को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि उनके पास इन समस्याओं को हल करने के लिए धन नहीं है। साथ ही उच्च अधिकारियों ने इन समस्याओं को दूर करने के लिए धन राशि उपलब्ध करवाई है। वार्डन शाहबाज खान ने कहा, आप जो भी समस्याएं पूछ रहे हैं। वह उच्च अधिकारियों और छात्रावास प्रबंधन के ज्ञान में हैं। फिर से उच्च अधिकारियों द्वारा कोई भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

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