कृषि विभाग ने शिविर लगाकर किसानों को किया जागरूक

संवाद सहयोगी पुंछ भूमि पोषण अभियान के तहत चन्नी पंचायत में कृषि विभाग की ओर से वीरवार औ

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 06:51 AM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 06:51 AM (IST)
कृषि विभाग ने शिविर लगाकर किसानों को किया जागरूक
कृषि विभाग ने शिविर लगाकर किसानों को किया जागरूक

संवाद सहयोगी, पुंछ : भूमि पोषण अभियान के तहत चन्नी पंचायत में कृषि विभाग की ओर से वीरवार और शुक्रवार को दो दिवसीय जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें तहसील कृषि अधिकारी विश्व शर्मा मुख्य अतिथि रहे।

कार्यक्रम में पहुंचे किसानों को जागरूक करते हुए विश्व शर्मा ने बताया कि किसानों की आय को दोगुना करने और कृषि संबंधी जानकारियां किसानों तक पहुंचाने के लिए इस जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया है। उन्होंने बताया कि जैविक प्रक्रिया से किसान अपनी आय किस तरह से दोगुनी कर सकते हैं और फसलों को बीमारियों से किस तरह बचा सकते हैं। उन्होंने बताया कि किसानों को अपनी फसल का बीमा करवाना चाहिए। कई बार बेमौसम बारिश से फसलों को नुकसान पहुंचता है, ऐसे में सरकार द्वारा किसानों के हुए नुकसान की भरपाई करना मुश्किल हो जाता है। पंचायत के सरपंच दर्शन लाल ने कृषि विभाग अकाउंट की पंचायत में जागरूकता कैंप आयोजित करने के लिए आभार जताया और कहा कि किसानों को जो बातें कृषि अधिकारियों द्वारा बताई गई हैं, किसान उसका सही से पालन कर सरकार द्वारा चलाई जा रही कृषि योजनाओं का पूरा लाभ उठाएं।

वहीं, किश्तवाड़ जिले के पुशाल में क्षेत्र के किसानों के लिए 60 दिवसीय केसर की खेती का समापन समारोह आयोजित किया गया। भारतीय सेना द्वारा कृषि विभाग के सहयोग से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। केसर की खेती परियोजना को बढ़ावा देना एक 60 दिन का उपक्रम था, जिसका उद्देश्य स्थानीय लोगों के बीच आर्थिक स्वतंत्रता और सामाजिक समावेश प्रदान करना था। यह कार्यक्रम पुछाल क्षेत्र के दूर-दराज के इलाकों से आने वाले ग्रामीणों के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट भी है, जिन्हें उद्यम के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और कृषि कच्चे माल की सहायता के साथ-साथ वैज्ञानिक खेती पर प्रशिक्षण दिया गया था। मुख्य कृषि अधिकारी द्वारा नियमित परामर्श और सलाह के लिए जिला कृषि विभाग के सभी लाभार्थियों और अधिकारियों सहित सोशल मीडिया ग्रुप भी बनाया गया था। इस पहल को आर्थिक रूप से टिकाऊ बनाने के लिए सेना ने समान विचारधारा वाले किसानों को कृषि स्वयं सहायता समूह के लिए सहयोग करने के रास्ते तलाशे।

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