जब प्रभु से होता है प्रेम तो निष्कामता स्वयं आ जाती

जागरण संवाददाता कठुआ निष्काम भावना से किया गया कोई भी कार्य मनुष्य को जहां आत्मिक शांति

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 11:14 PM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 11:14 PM (IST)
जब प्रभु से होता है प्रेम तो निष्कामता स्वयं आ जाती
जब प्रभु से होता है प्रेम तो निष्कामता स्वयं आ जाती

जागरण संवाददाता, कठुआ: निष्काम भावना से किया गया कोई भी कार्य मनुष्य को जहां आत्मिक शांति प्रदान करने के साथ सफलता की ओर ले जाता है, वहीं प्रभु चरणों में लगन लगती है। जब प्रभु से प्रेम होता है तो निष्कामता अपने आप ही आ जाती है, इसलिए जो भी कार्य करें, पूरी निष्ठा, ईमानदारी और निष्काम भाव से, निष्काम भाव से किए कोई भी कर्म व्यर्थ नहीं जाता है। प्रभु भी उस पर प्रसन्न रहते हैं। ये ज्ञान रूपी बातें डुग्गर प्रदेश के प्रमुख संत सुभाष शास्त्री जी महाराज ने शहर के वार्ड 16 में स्थित शिवा नगर के सरस्वती विहार में तीन दिनों चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं को बताई।

उन्होंने कथा में भागवत पुराण में भगवान के 24 अवतारों का वर्णन किया। इन अवतारों के अलावा चार पुरुषार्य भी हैं। धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष अर्थात भजन करो, शाकाहारी बनों बेइमानी व घूसखोरी से पैसा ना कमाए, अपने धर्म के प्रति ²ढ़ रहो, धर्म की आड़ में अर्थ ना कमाओ। उन्होंने कहा कि भोग विलास का काम सिर्फ इंद्रियां की तृप्ति नहीं, बल्कि जीवन का निर्वाह करना है। यदि देखा जाए तो सारी प्रकृति यज्ञ कर रही है, यज्ञ उसे कहते हैं,जो निस्वार्थ होकर किया जाए। जिसमें दूसरे का भला हो।

वहीं कथा में यह भी स्पष्ट किया कि जो व्यक्ति पूर्ण भागवत पाठ ना कर सके उसे केवल दशम स्कंध पुराण की कथा करने से पूर्ण फल की प्राप्ति हो जाती है। श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन भी कठुआ शहर और उसके आसपास के लोगों ने भाग लिया। वही एसओपी का पालन करते हुए संगत ने सामाजिक दूरी बनाए रखी और मास्क का भी उपयोग किया।

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