यात्री बसों में सफर करने से परहेज कर रहे लोग

सरकार ने आठ जून से पब्लिक ट्रांसपोर्ट को एसओपी के साथ अंतरजिला चलने की अनुमति तो दी थी लेकिन निजी बस आपरेटरों ने 50 फीसद सवारी बैठाने की शर्त को घाटे वाला सौदा बताकर अपने वाहन सड़कों पर नहीं दौड़ाए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 06:31 AM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 06:31 AM (IST)
यात्री बसों में सफर करने से परहेज कर रहे लोग
यात्री बसों में सफर करने से परहेज कर रहे लोग

जागरण संवाददाता, कठुआ : सरकार ने आठ जून से पब्लिक ट्रांसपोर्ट को एसओपी के साथ अंतरजिला चलने की अनुमति तो दी थी, लेकिन निजी बस आपरेटरों ने 50 फीसद सवारी बैठाने की शर्त को घाटे वाला सौदा बताकर अपने वाहन सड़कों पर नहीं दौड़ाए हैं। इसी को देखते हुए सरकार ने जिले में कुछ सरकारी बसों को विभिन्न रूटों पर चला दिया, लेकिन लोग उनमें भी सफर करने से परहेज कर रहे हैं। इसके चलते विभिन्न रूटों पर दौड़ रही बसों में सवारी अभी भी नहीं के बराबर है।

मौजूदा समय में जिले में जम्मू से कठुआ-लखनपुर के बीच दो बसें, जम्मू से बनी-बसोहली, जम्मू से बिलावर रूट पर सरकारी बसें दौड़ रही हैं, लेकिन कोरोना के डर से उनमें सवारियां नहीं के बराबर रहती हैं। खासकर लखनपुर-जम्मू के बीच तो बसों में सवारी और भी कम हैं। दरअसल इस रूट पर अधिकांश लोगों के पास निजी वाहन हैं। इसके अलावा जिला मुख्यालय सहित सरकारी कार्यालयों में तैनात सरकारी कर्मी भी यात्री वाहनों में सवारी करने की बजाय अपने निजी वाहनों का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। इस कारण लोग सरकारी बसों में कोरोना महामारी के जारी रहते अभी सवारी करने से परहेज कर रहे हैं। स्थानीय शहर के वार्ड 6 के पवन सिंह, सरकारी कर्मी विकास का कहना है कि बसों में सफर करते हुए वहां एहतियात बरतना काफी जोखिम रहता है। उसमें कौन कहां से बैठा होगा, उसकी क्या गारंटी है कि वे संक्रमित नहीं हैं। भले ही सरकार ने बसों में भी शारीरिक दूरी बनाकर अभी 50 फीसद सवारी बैठाने का निर्देश दे रखा है, लेकिन फिर भी उसमें संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। इसके चलते वे बसों में बैठने से परहेज कर रहे हैं। 50 फीसद सवारी बसों को चलाना संभव नहीं मिनी बस आपरेटर यूनियन प्रधान हरमोहिद्र सिंह एवं सामान्य बस ऑपरेटर के प्रधान अनूप वालिया ने कहा कि 50 फीसद सवारी लेकर जम्मू कठुआ या गांवों से शहर में चलने पर उन्हें कुछ लाभ नहीं होगा। इसलिए अभी वे अपने वाहन नहीं निकाल रहे हैं। जिले में 200 के करीब सामान्य निजी बसों के अलावा 800 के करीब निजी मिनी बसें हैं, जो लॉकडाउन के बाद मार्च से पूरी तरह बंद हैं।

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