काम की सराहना से प्रेरणा मिलती है मुझे : डा. शिवानी

जागरण संवाददाता कठुआ कोरोना महामारी के दौरान जिले में हालांकि विभिन्न अस्पतालों में फ्र

By JagranEdited By: Publish:Sat, 05 Jun 2021 06:03 AM (IST) Updated:Sat, 05 Jun 2021 06:03 AM (IST)
काम की सराहना से प्रेरणा मिलती है मुझे : डा. शिवानी
काम की सराहना से प्रेरणा मिलती है मुझे : डा. शिवानी

जागरण संवाददाता, कठुआ : कोरोना महामारी के दौरान जिले में हालांकि विभिन्न अस्पतालों में फ्रंटलाइन में डाक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मी अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों का उपचार कर रहे हैं। ऐसे ही कोरोना योद्धा डा. शिवानी शर्मा गर्भवती होने पर भी जिले के मुख्य प्रवेश द्वार लखनपुर में पिछले आठ महीने से अपनी सेवा दे रही हैं। लखनपुर पीएचसी में तैनात मेडिकल आफिसर शिवानी शर्मा ने खुद कोविड-19 संकट के बीच मरीजों की सेवा को चुना है। इस साल मार्च में डा शिवानी को सीधे पीएचसी लखनपुर में ड्यूटी सौंपी गई, जहां पर देश भर से विभिन्न राज्यों से सड़क मार्ग से आने वाले यात्रियों की भीड़ भी रहती है। इससे वहां कोरोना के दौरान ड्यूटी देना और भी खतरनाक हो जाता है। इसके अलावा आसपास की आबादी की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के अलावा पीएचसी लखनपुर में कोरोना टेस्ट प्रक्रिया भी जारी रहती है। यानी कोरोना से संबधित ड्यूटी का ज्यादा भार रहता है। इसके अलावा वैक्सीनेशन कार्यक्रम भी इसी सेंटर में रहता है। नियमित ओपीडी सेवाएं भी जारी है। मार्च के अंत में जब शिवानी ने चिकित्सा अधिकारी के रूप में अपनी ड्यूटी ज्वाइन की, तो 5 महीने की गर्भवती होने पर खुश भी थीं, लेकिन थोड़ा तनाव में भी थीं, क्योंकि ऐसी परिस्थितियों में ड्यूटी देना मुश्किल हो सकता था। 30 वर्षीय डा. शिवानी नहीं चाहती थीं कि उनका बच्चा उनके कर्तव्यों का पालन न करने का कोई कारण बन जाए। ऐसे समय में परिवार का समर्थन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि ससुराल वालों के साथ रहकर ऐसी स्थिति में काम करने के उनके फैसले का हर सदस्य ने समर्थन किया। उनके पति भी डाक्टर हैं। उन्होंने भी ऐसे समय में उसे जरूरतमंदों की मदद करना पहला कर्तव्य बताकर उनका हौसला बढ़ाया। उनकी होने वाली संतान भी जरूरतमंदों की सेवा करने से अवश्य उनके आशीर्वाद से सुरक्षित रहेगी, यही सोच लेकर डा. शिवानी शर्मा जो अब गर्भावस्था के आठवें महीने में हैं, भी ड्यूटी दे रही है। पति सुबह ड्यूटी पर छोड़ते और शाम को लेने आते हैं। सीमित कर्मचारियों के बिना किसी छुट्टी नियमित ओपीडी में भाग लेना कठिन है। विशेष रूप से आठ महीने की गर्भावस्था के साथ मेरी टीम मददगार है और वे सुनिश्चित करते हैं कि मैं अधिक काम नहीं कर रही हूं। अच्छा लगता है जब लोग कहते हैं कि मैं बहादुर हूं, इससे मुझे प्रेरणा मिलती है। भले ही मैं सीधे तौर पर कोविड मरीजों को नहीं संभाल रही हूं, लेकिन मैं सख्त कोविड प्रोटोकाल का पालन करती हूं, मैं ड्यूटी पर व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) पहनती हूं और खुद को और बच्चे को वायरस से बचाने के लिए मरीजों के साथ बातचीत को सीमित करने की कोशिश करती हूं। उनके पास सबसे आगे रहने और देखभाल और करुणा की आवश्यकता वाले लोगों की सेवा करने का अवसर है।

डा. शिवानी, पीएचसी, लखनपुर

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