कठुआ से उठी आवाज, जम्मू संभाग में एक और बने संसदीय क्षेत्र

जागरण संवाददाता कठुआ जम्मू संभाग में एक और संसदीय क्षेत्र बनाने की मांग उठने लगी है। हालांकि

By JagranEdited By: Publish:Thu, 08 Jul 2021 05:44 AM (IST) Updated:Thu, 08 Jul 2021 05:44 AM (IST)
कठुआ से उठी आवाज, जम्मू संभाग में एक और बने संसदीय क्षेत्र
कठुआ से उठी आवाज, जम्मू संभाग में एक और बने संसदीय क्षेत्र

जागरण संवाददाता, कठुआ: जम्मू संभाग में एक और संसदीय क्षेत्र बनाने की मांग उठने लगी है। हालांकि, 12 सदस्यी एक प्रतिनिधिमंडल आज यानि वीरवार को जम्मू में परिसीमन आयोग से भी अपनी बातों को रखने के लिए मिलेंगे। प्रतिनिधि मंडल में शामिल सदस्यों को इंसाफ मिलने की हैं काफी उम्मीदें भी हैं।

दरअसल, जम्मू कश्मीर में पहली बार केंद्रीय कानून नियम के तहत परिसीमन होने जा रहा है। इसके चलते जम्मू संभाग के लोगों को परिसीमन में अभी तक हुए भेदभाव के दूर होने की काफी उम्मीदें हैं। दशकों से जम्मू संभाग क्षेत्रफल और आबादी के लिहाज से कश्मीर संभाग से बड़ा क्षेत्र होने के बावजूद सिर्फ दो संसदीय क्षेत्र बनाए गए हैं, जो इस बार के परिसीमन में जनप्रतिनिधि समेत आम लोग तीन होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। जनप्रतिनिधियों का मानना है कि तभी राजनीतिक भेदभाव दूर होगा और लोगों की परेशानियां भी जल्द हल होंगी। जनप्रतिनिधियों का मानना है कि जम्मू संभाग में तीन संसदीय क्षेत्र बनने चाहिए। इतना ही नहीं, विधान सभा क्षेत्रों में तो भी कई तरह की विसंगतियां हैं, जिसे अब दूर करने का सुनहरा मौका है, क्योंकि पहली बार परिसीमन पूरी पारदर्शित और बिना किसी राजनीति के दवाब से होने की उम्मीद है।

इससे पहले दो बार हुए परिसीमन में पूर्व की सरकारों ने अपनी मनमर्जी की। उनके अपने -अपने आयोग होते थे, ऐसा इसलिए कि जम्मू कश्मीर के पास अपना विशेष दर्जा था, जिसमें कोई भी केंद्रीय कानून यहां की विधान सभा के स्वीकृति के बिना सीधे लागू नहीं हो पाते, जिसका पूरा लाभ लेकर यहां की सरकारों ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए इंसाफ और कानून को ताक रखकर विधान सभा और संसदीय क्षेत्र बना लिए। इसके चलते राजनीतिक भेदभाव का जम्मू संभाग के लोग शिकार हुए और अब तक होते रहे हैं। ऐसे में अब मौका है कि केंद्रीय सरकार दशकों से इस भेदभाव को दूरकर जम्मू संभाग में विस और संसदीय क्षेत्र गठित करने में पाई गई विसंगितयां दूर कर सभी को राजनीतिक इंसाफ दे सकती है।

जेके डिलिमिटेशन फोरम का कहना है कि फोरम पिछले पांच वर्षो से तत्कालीन राज्यपाल, सलाहकार, आयोग के चेयरमैन, सदस्यों एवं मुख्य चुनाव आयुक्त के माध्यम से लिखित में ज्ञापन दे चुका है, अब भी मौजूदा परिसीमन आयोग से भेंट करने के लिए आवदेन किया गया है। फोरम की कठुआ जिला के पांच से छह विस क्षेत्र करने की शुरू से ही मांग रही है। इसमें बिलावर, बसोहली के कुछ कठुआ और हीरानगर विधान सभा क्षेत्र के साथ जोड़े गए गांवों को विधान सभा व प्रशासनिक मुख्यालय के साथ जोड़ने की मांग है। कुछ विस क्षेत्र 40 हजार मतदाताओं की संख्या वाले तो कुछ एक लाख की संख्या के भी हैं, इस तरह की विसंगति को भी दूर करने की मांग शामिल है।

बहरहाल, पीडीपी के जिला प्रधान जगदीप सिंह एवं महासचिव विनोद गुप्ता ने कहा कि जिला कठुआ से उनकी पार्टी का कोई भी नेता या कार्यकर्ता आयोग से मिलने नहीं जाएगा। उनकी पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती द्वारा बहिष्कार किए जाने के चलते ऐसा फैसला लिया गया है। अगर किसी ने डीसी कार्यालय में उनकी पार्टी का नाम लेकर आयोग से मिलने के लिए आवेदन किया है तो वो स्वयंभू हो सकता है, उनकी पार्टी का नहीं,उनका पार्टी का बहिष्कार है। बाक्स----

टगोत्रा घगवाल को अलग विधान सभा क्षेत्र बनाने की मांग

परिसीमन आयोग के समक्ष हीरानगर विधान सभा क्षेत्र में पड़ते घगवाल को भी अलग से विधान सभा क्षेत्र बनाने की मांग जोरों से उठने लगी है। अभी घगवाल सांबा जिले का उपमंडल है और विधान सभा क्षेत्र हीरानगर व संसदीय क्षेत्र कठुआ ऊधमपुर का है, जबकि प्रशासनिक यूनिट सांबा से हैं। इस विसंगति को दूर कर घगवाल को अलग विस क्षेत्र बनाकर सांबा जिले के साथ जोड़ने का मुद्दा जनप्रतिनिधियों की ओर से उठाए जा रहे हैं। वैसे भी जब से घगवाल कस्बे को प्रशासनिक तौर पर जिला कठुआ से हटाकर सांबा से जोड़ा गया है तब से ही घगवाल को अलग विधान सभा क्षेत्र बनाने की मांग उठ रही है। बाक्स---

इन्हें मिली आज आयोग से मिलने की अनुमति पिकी देवी-- बीडीसी चेयरपर्सन, किडियां गंडयाल ब्लॉक

विजय टगोत्रा-बीडीसी चेयरपर्सन, घगवाल ब्लॉक

अशोक जसरोटिया--प्रधान, जम्मू कश्मीर पंच एसोसिएशन

जगदेव सिंह-- सरपंच, पंचायत हौटार, बिलावर कठुआ

अभिनंदन शर्मा-- डीडीसी, सदस्य हीरानगर

सुनील मजोत्रा-- डीडीसी सदस्य, बसपा नगरी

कोट्स---

जम्मू में परिसीमन आयोग की बैठक में शामिल होने के लिए सांबा के डीसी के माध्यम से आवदेन किए हैं। जम्मू कश्मीर में पिछले सात दशकों से जारी राजनीतिक भेदभाव के कारण लोगों को होने वाली परेशानियों के हल के लिए विगत पांच वर्षाें से जेके डिलिमिटेशन फोरम के बैनर तले पूरे संभाग में संघर्ष कर रहे हैं। फोरम का शुरू से मांग रही है कि जम्मू संभाग व कश्मीर संभाग में विधान सभा सीटों के साथ-साथ संसदीय सीटों के क्षेत्रफल और आबादी के हिसाब से गठन होना चाहिए।

-मुकरजीत शर्मा, सेवानिवृत्त आइएफएस अधिकारी व जेके डिलिमिटेशन फोरम के संयोजक

कोट्स---

परिसीमन आयोग से मिलने का समय मिल गया है, जिसमें टगोत्रा घगवाल को अलग विधान सभा क्षेत्र बनाए जाने का मुद्दा उठाएंगे। घगवाल अब एक बहुत बड़ा क्षेत्र बन चुका है, जिसकी सीमाएं जतवाल से लेकर राजपुरा कूटा और बॉर्डर से जुड़ी है। इसमें 17 से ज्यादा पंचायतें पड़ती है और इसकी आबादी भी 55 हजार और 35 हजार मतदाता है। परिसीमन करके 4 से 5 पंचायतें जोड़ कर 50 हजार आबादी वाला विधान सभा क्षेत्र बन सकता है।

- विजय टगोत्रा, बीडीसी चेयरपर्सन, घगवाल बीडीसी चेयरपर्सन

chat bot
आपका साथी