लाकडाउन से शहर की सूनी सड़कें बनी बेसहारा पशुओं की आरामगाह

जागरण संवाददाता कठुआ लाकडाउन के चलते शहर में घूमने वाले बेसहारा पशुओं के लिए सूनी

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 11:48 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 11:48 PM (IST)
लाकडाउन से शहर की सूनी सड़कें बनी बेसहारा पशुओं की आरामगाह
लाकडाउन से शहर की सूनी सड़कें बनी बेसहारा पशुओं की आरामगाह

जागरण संवाददाता, कठुआ : लाकडाउन के चलते शहर में घूमने वाले बेसहारा पशुओं के लिए सूनी सड़कें फिर आरामगाह बन गई है। यातायात से व्यस्त मार्गाें पर शहर में दर्जनों पशु जगह-जगह झुंड बनाकर प्रतिदिन आराम करते देखे जाते हैं। सबसे अहम यह है कि अब इन पशुओं को मार्ग से हटाने के लिए शहर के लोग नगर परिषद से मांग भी नहीं करते देखे जा रहे हैं।

दरअसल, अब लोग खुद भी पहले की तुलना लाकडाउन के चलते सड़कों पर कम आ रहे हैं, दूसरा सामान्य बसों के साथ मिनी बसें भी करीब 3 सप्ताह से हड़ताल पर हैं। ऐसे में सड़कों पर हल्के वाहनों के सिवाय सामान्य यातायात नहीं दौड़ रहा है। इससे बीच सड़क में आराम कर रहे पशुओं से यातायात पहले की तरह प्रभावित नहीं हो रहा है, इक्का दुक्का वाहन शहर में घूमने वाले बेसहारा पशुओं से अब किसी को इतनी परेशानी नहीं हो रही है। इसके पीछे लोगों का बदलते दौर में यहीं कहना है कि जब सड़कें हमारे काम नहीं आ रही है तो अगर वहां पशु आराम कर रहे हैं, उनके लिए रुकावट भी नहीं रहे है तो उन्हें हटाना उचित भी नहीं है।

बता दें कि शहर में यहीं सैकड़ों की संख्या में बेसहारा पशु सामान्य दिनों में कॉलेज रोड, शहीदी चौक, आंबेडकर ब्रिज, मुखर्जी चौक, जराई चौक से जोड़ने वाले पुल पर बीच सड़क में बैठे दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं, लोग भी लगातार नगर परिषद से बेसहारा पशुओं को हटाने की मांग करते रहते हैं, लेकिन बदले हालात में ऐसा नहीं है। अब लोग इनके प्रति सहानुभूति जताते हैं, पशुओं से प्रेम करने वाले कुछ गिने चुने लोग ऐसे हालात में उन्हें सड़कों पर चारा भी डालते हैं। ऐसे में सामान्य दिनों में तो ऐसे पशु इधर- उधर सब कुछ खुला रहने से लोगों द्वारा फेंके गए कचरे पर मुंह आदि मार कर गुजारा कर लेते हैं, लेकिन लाकडाउन की स्थिति में इनके लिए भी मुसीबत बन जाती है। इसके चलते ऐसे दिनों में हर किसी के लिए मुसीबत या परेशानी की बजाय सहानुभूति बन जाते है। इस समय शहर में 500 से ज्यादा बेसहारा पशु सड़कों पर जगह-जगह घूमते रहते हैं। नगर परिषद भी अब ऐसे पशुओं को सड़कों पर हटाने के लिए काम नहीं करती है, जिससे शहर में ऐसे पशुओं की संख्या दिन व दिन बढ़ती जा रही है।

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