दस हजार आबादी को जान खतरे में डाल पार करना होगा उज्ज दरिया

जागरण संवाददाता कठुआ जिले में विकास कार्यो के लिए फंड जारी होने के बावजूद निर्माण कार्य

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 05:49 AM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 05:49 AM (IST)
दस हजार आबादी को जान खतरे में डाल पार करना होगा उज्ज दरिया
दस हजार आबादी को जान खतरे में डाल पार करना होगा उज्ज दरिया

जागरण संवाददाता, कठुआ: जिले में विकास कार्यो के लिए फंड जारी होने के बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण परियोजना कंडी क्षेत्र में उज्ज दरिया पर जुथाना पुल का निर्माण कार्य है, जिसका निर्माण कार्य विगत दो साल से फंड के अभाव में रुका पड़ा था। इसके बाद रुके निर्माण कार्य को शुरू करने के लिए गत छह माह पहले सरकार ने फंड जारी कर दिए, इसके बाद भी निर्माण एजेंसी जम्मू कश्मीर परियोजना निर्माण (जेकेपीसीसी) काम शुरू नहीं करा पाई है। ऐसे में ग्रामीण अधर में रुकी परियोजनाओं के चलते अपने आपको उपेक्षित महसूस कर रहे हैं, जबकि निर्माण एजेंसी ने गत मार्च महीने में फंड उपलब्ध होने पर बरसात से पूर्व ही पुल का निर्माण करने का दावा किया था।

इतना ही नहीं, निर्माण एजेंसी का दावा तो दूर अभी तक निर्माण कार्य भी शुरू नहीं किया गया। इसके चलते छह दशक से पुल बनने का सपना देख रहे जुथाना क्षेत्र के लोगों को इस बरसात में भी हर साल की तरह मुसीबतें ही झेलनी पड़ेगी और जान खतरे में डाल कर उफनते उज्ज दरिया को पार करना पड़ेगा। पुल के अभाव में तीन दर्जन के करीब लोग अब तक उज्ज दरिया के तेज बहाव में समा चुके हैं, इससे ग्रामीणों के लिए पुल कितना महत्वपूर्ण होगा, इसी से अनुमान लगाया जा सकता है।

बीडीसी के बाद अब डीडीसी गठित हुए छह माह हो चुके हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य अभी भी तेजी से शुरू नहीं हो पा रहे हैं। इस पुल के बनने से जुथाना व लाहड़ी पंचायतों की 10 हजार आबादी को लाभ मिलने से नया युग शुरू होने जैसा होगा।

लाहड़ी पंचायत की सरपंच अनु ठाकुर व स्थानीय निवासी ठाकुर महेंद्र सिंह ने बताया कि पुल का रुका निर्माण कार्य शुरू होने की गत जनवरी माह में उम्मीद जगी थी, जब सरकार ने फंड के अभाव में रुके कार्य के लिए राशि जारी की और निर्माण एजेंसी जेकेपीसीसी ने बरसात से पहले निर्माण पूरा करने का दावा किया था। गत मार्च तक जब निर्माण शुरू नहीं हुआ तो उन्होंने तब भी आवाज उठाई थी, उस समय जल्द ही कार्य शुरू करने का दावा किया। इससे उन्हें बरसात से पहले पुल का निर्माण पूरा होने की उम्मीद जगी, लेकिन विभागीय सुस्ती एवं सरकारी अनदेखी से उम्मीद फिर धरी रह गई है। अब बरसात में 10 हजार आबादी को फिर जान खतरे में डाल कर जरूरी व आपात कार्याें के लिए उज्ज दरिया पार करना पड़ेगा। सामान्य रूप से तो लोग बरसात में तीन माह तक कटे ही रहते हैं। इस पुल को सपना उन्हें अब तक की सरकारों ने 4 दशक पूर्व दिखाना शुरू किया था। वर्ष 2016 में मंजूरी देकर निर्माण कार्य शुरू करने से सपना पूरा होने की उम्मीद जगी थी, लेकिन निर्माण कार्य ने जो दो साल में पूरा होना था, वह पांच साल बीतने के बाद भी पूरा नहीं हो पा रहा है। बाक्स---

45 करोड़ की लागत से बनने हैं पुल

करीब 45 करोड़ की लागत से बन रहे 500 मीटर लंबे पुल का निर्माण उज्ज दरिया पर वर्ष 2016 में शुरू किया गया, जिसे 2019 में पूरा करने का लक्ष्य था। जारी निर्माण कार्य के बीच अब तक 13 पिल्लर बने हैं, चार पर स्लैब भी पड़ चुकी है, बाकी बिना स्लैब के जैसे तैसे पड़े हैं। हालांकि, स्लैब का निर्माण इतना ज्यादा नहीं है। उससे ज्यादा कार्य पुल के दोनों छोर पर 1800 मीटर एप्रोच रोड का निर्माण करना है जो कि एक सिरे जखोल से जुड़ कर दूसरे सिरे जुथान को जोड़ना है। अभी इस पुल का निर्माण कार्य करीब पौने दो साल से फंड के अभाव में बंद पड़ा था, जबकि सरकार ने गत 9 जनवरी को पुल के निर्माण के लिए फंड जारी भी कर दिए हैं, तब ग्रामीणों को बरसात से पहले पुल का निर्माण होने की उम्मीद जगी थी।

कोट्स---

फंड तो सरकार ने जारी कर दिए है, लेकिन तकनीकी कारणों से निर्माण करने वाले ठेकेदार को समय पर जारी नहीं किए। अब उसे कुछ राशि दी गई है और जल्द ही उसे निर्माण शुरू करने के लिए कहा जा रहा है। उम्मीद है कि रुका निर्माण कार्य जल्द शुरू होगा।

-विनोद गुप्ता, उप महाप्रबंधक, जम्मू कश्मीर परियोजना निर्माण एजेंसी, कठुआ।

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