सत्संग से ज्ञान, मुक्ति व भगवान मिलेगा: संत सुभाष शास्त्री

जागरण संवाददाता कठुआ नौनाथ आश्रम में मकर संक्रांति महापर्व के उपलक्ष्य में डुग्गर प्रदेश क

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Jan 2021 12:49 AM (IST) Updated:Fri, 15 Jan 2021 12:49 AM (IST)
सत्संग से ज्ञान, मुक्ति व भगवान मिलेगा: संत सुभाष शास्त्री
सत्संग से ज्ञान, मुक्ति व भगवान मिलेगा: संत सुभाष शास्त्री

जागरण संवाददाता, कठुआ: नौनाथ आश्रम में मकर संक्रांति महापर्व के उपलक्ष्य में डुग्गर प्रदेश के महान संत सुभाष शास्त्री जी ने आयोजित सत्संग में कहा कि सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर संत महात्मा और आस्थावन लोग तीर्थराज प्रयाग के त्रिवेणी संगम में स्नान करते हैं, वहां वास करने से कल्पवास का फल प्राप्त होता है। सनातन धर्म के अनुसार जिन लोगों को स्वर्ग की कामना हो, उन्हें माघ में मकर राशि के सूर्य की स्थिति में अपने नगर अथवा गांव के समीप स्थित नदी, सरोवर अथवा कुंड में सूर्योदय से पूर्व स्नान आवश्य करना चाहिए।

मकर सक्रांति सूरज का मकर राशि में प्रवेश करना मकर सक्रांति कहलाता है, इस दिन सूर्य देव उत्तरायण होकर विशेष फलदायक हो जाते हैं, जैसे सूरज का उत्तरायण में प्रवेश करने से रातें छोटी और दिन लंबे होने लगते हैं अर्थात अंधकार घटने और प्रकाश भरने लगता है, ऐसे ही मनुष्य का सत्संग में प्रवेश करने से अज्ञान अंधकार घटने और विवेकी रूप से प्रकाश बढ़ने लगता है। शास्त्रों में उत्तरायण की अवधि में देवताओं का दिन बताया गया है। मकर संक्रांति के पुण्य काल में स्नान दान जप हो आदि करने का बड़ा महत्व है, ऐसी मान्यता है कि इस दिन किया गया दान दानदाता को 100 गुना होकर प्राप्त होता है। मकर संक्रांति को खिचड़ी का दान और खिचड़ी खाने की भी प्रथा है, तिल के बने पदार्थों का भी दान भी लोग करते हैं, न्याय नीतिपूर्वक कमाए धन का दान करने से कल्याण होता है, अन्याय पूर्वक अर्जित धन से नहीं। दान सुपात्र को दिया जाए जो प्राप्त धन को श्रेष्ठ कार्य में लगा सके, वहीं दान पुण्य फल देने के समर्थ है।

हरि नाम श्लोक के माध्यम से सत्संग की महिमा को बताते हुए शास्त्री जी ने कहा कि भक्ति मिलेगी, सत्संग से ज्ञान मिलेगा, सत्संग से मुक्ति मिलेगी, सत्संग से भगवान मिलेगा, जिसे सत्संग मिल जाता है उसे कल्याण के लिए अन्य साधन की आवश्यकता नहीं है सत्संग सर्वोपरि है, पापी भी सत्संग में से तर जाते हैं और दुष्ट भी सत्संग से सुधर जाते हैं। इस दौरान हाल ही में हुए डीडीसी चुनाव में नवनिर्वाचित सदस्यों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और नतमस्तक हुए, जिन्हें शास्त्री जी ने आशीर्वाद देकर लोक सेवा में जुट जाने का आह्वान किया।

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