घरों में ही ईद की नमाज अता कर मांगी कोरोना से मुक्ति

जागरण टीम कठुआ / बिलावर / बसोहली कोरोना महामारी आस्था पर भी भारी पड़ रही है। इस वर्ष

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 11:37 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 11:37 PM (IST)
घरों में ही ईद की नमाज अता कर मांगी कोरोना से मुक्ति
घरों में ही ईद की नमाज अता कर मांगी कोरोना से मुक्ति

जागरण टीम, कठुआ / बिलावर / बसोहली: कोरोना महामारी आस्था पर भी भारी पड़ रही है। इस वर्ष भी ईद के मौके पर मस्जिदों व ईदगाह मैदान में सन्नाटा पसरा रहा। सभी मुस्लिम भाइयों ने सरकार द्वारा जारी एसओपी की पालना करते हुए खुद और परिवार को सुरक्षित रख कर घरों में ही नमाज अता की। इस बार नमाज में खुदा से कोरोना महामारी से जल्द मुक्ति दिलाने की मुराद मांगी।

वीरवार सुबह घरों में चार बजे फजर की नमाज अता करने के बाद 7 बजे ईद की नमाज अता की गई। इसके बाद एक महीने से रखे गए गए रोजे के बाद सेमिया खाकर रोजा तोड़ा गया। इस बीच आस पड़ोस में भी परंपरा के चलते ईद की मुबारक दी गई और खुदा से दुआ की गई कि जो बीमारी इस समय घरों से लेकर मोहल्ले, शहर, प्रदेश व देश में फैली है, इससे जल्द निजात दी जाए, ताकि सभी लोग अपने घरों, परिवार और शहर व देश में स्वस्थ होकर खुशहाली से जीवन व्यतीत कर सके। परिवार के साथ नमाज अता करने के बाद ईद की खुशी साझा करते हुए शहर के शिक्षिक मोहम्मद सदीक ने बताया कि रमजान का महीना मुस्लिमों के लिए बहुत ही पवित्र माना गया है, जिसमें मुस्लिम एक महीना तक रोजा यानि पूरा दिन कुछ भी जहां तक की पानी भी नहीं पीते हैं। इसके बाद ईद आती है। इस मौके पर वे रोजा समाप्त कर परिवार के साथ सेमियां बनाकर पहले उसे खाते हैं। शाम को फिर मगरिब की नमाज अता की जाती है। पूरा दिन खुशियां बांटने वाला होता है। एक महीना रोजे के दौरान भूखे रहने के पीछे सब्र का इम्तिहान होता है कि कैसे आप एक महीना बिना खाए और पानी पीए रहें और आपको कैसा सहन करना पड़ा। उधर, एक गरीब जिसे गरीबी के कारण खाना न मिले, उसकी क्या हालत होती होगी, ये रोजा उसके दर्द को समझने का अहसास करता है। उनके धर्म में भी गरीब की सेवा और आसपड़ोस में कोई भूखा न सोये,यही सिखाया गया है।

उधर, बिलावर के जामा मस्जिद के इमाम अख्तर हुसैन सिदकी ने सभी से नेकी और खुशहाली के लिए दुआ की। इस दौरान सभी ने एक दूसरे को सोशल मीडिया के माध्यम से ही ईद की मुबारकबाद दी। इसी तरह, बसोहली में भी रमजान माह में रोजे का फर्ज अता कर पाक साफ हुए मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जगह-जगह ईद की नमाज अता की। लाकडाउन के नियमों का पालन करते हुए मस्जिद तक गए और नमाज अता की। कस्बे की बड़ी मस्जिद में मौलाना गुफरान ने कहा कि यह समय बहुत ही खतरनाक चल रहा है, खुदा सभी को कोविड-19 से बचाए। उन्होंने कौम की शांति खुशहाली के लिए दुआ मागी। कस्बे के वार्ड नंबर 10 स्थित डक्की मुहल्ला के मस्जिद में मौलाना मोहम्मद रफीक ने नमाज के दौरान कौम की शांति के लिए दुआ मागी। उन्होंने कहा कि खुदा की इबादत से ताकत मिलती है, कई परेशानियों से बचाव होता है। सभी लोग पांच समय नमाज पढ़ें। बाक्स---

बनी के जामा मस्जिद में 10 लोग ही पढ़ी नमाज

संवाद सहयोगी, बनी: में घर के अंदर ही बैठ कर नमाज अता की गई, जबकि हर वर्ष ईद के मौके पर जामा मस्जिद बनी और लोहाग में हजारों की संख्या में लोग एक साथ नमाज अता करते थे, लेकिन वीरवार को जामा मस्जिद बनी और लोहाग में 5 से 10 लोग ही नमाज पढ़ते देखे गए। कस्बे में अभी कोई खास रौनक देखने को नहीं मिली, लेकिन लोग अपने अपने रिश्तेदार के घर नए कपड़े पहन कर आते जाते देखे। इस दौरान छोटे बच्चों में उत्साह दिखा। तहसील के गाव चंडीहार, चोलोग, धमान, डोगन से भी ईद उल फितर मनाई गई।

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