बिजली की अघोषित कटौती के विरोध में प्रदर्शन
संवाद सहयोगी हीरानगर लाकडाउन के दौरान भी बिजली की अघोषित कटौती किए जाने पर ग्रामीण क्षेत्र के
संवाद सहयोगी, हीरानगर: लाकडाउन के दौरान भी बिजली की अघोषित कटौती किए जाने पर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में रोष व्याप्त है।
बुधवार को नेकां नेता धर्मपाल कुंडल के नेतृत्व में लोगों ने बिजली विभाग के खिलाफ प्रदर्शन कर अपनी भड़ास निकाली। साथ ही चेतावनी दी कि अगर लाकडाउन के दौरान नियमित बिजली नहीं मिली तो गांवों में धरना- प्रदर्शन शुरू करने को मजबूर होंगे। धर्मपाल कुंडल ने कहा कि इस समय गावों में भी कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं। लोग सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करते हुए लाकडाउन के दौरान घरों में बैठे हुए हैं, लेकिन बिजली विभाग की लचर कार्यप्रणाली की वजह से लोगों को मजबूरन घरों से बाहर निकलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि विभाग लाकडाउन के दौरान भी अघोषित कटौती कर रहा। बिजली बंद रहने से लोगों को गर्मी में घरों से बाहर निकलने को मजबूर होना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि पिछले साल भी लाकडाउन लगता था, तब 24घटे बिजली रहती थी। इस दौरान लोग घरों में पंखे कूलर चला कर टीवी लगाकर समय गुजार कर लेते थे। लेकिन इस बार स्वास्थ्य विभाग के अलावा कोई भी विभाग लोगों की सुध नहीं ले रहा। उन्होंने कहा कि जब तक बिजली रहती है लोग घरों के अंदर रहते हैं। जैसे ही बिजली बंद होती है, लोग घरों से बाहर आ जाते हैं। इससे संक्रमण फैल सकता है। लाकडाउन लगाने के साथ - साथ सरकार को बिजली पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी मुहैया करवानी चाहिए। अन्यथा लोगों को मजबूरन अपनी जायज माग को लेकर धरना देने को मजबूर होना पड़ेगा।
इस मौके पर राज कुमार शर्मा, करनैल सिंह, बलवीर सिंह, दर्शन कुमार, गोशा महाजन, गणेश सिंह, बंसी लाल, दलबीर सैनी आदि शामिल थे। उधर, बिजली की अघोषित कटौती के विरोध में चक चंगा व छनटाडा आदि गावों के लोगों ने भी बिजली विभाग के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया। स्थानीय लोगों का कहना है कि मंगलवार को भी बीस घटे तक बिजली बंद रही थी और बुधवार को भी बिजली की बार-बार कटौती की जा रही है। क्षेत्र निवासी नानक चंद, मुकेश कुमार, दौलत राम, संजय कुमार, मदन लाल का कहना है कि कोविड - 19 खतरे को देखते हुए लोग तो सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन का पालन कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन लोगों की सुध नहीं ले रहा। अगर लाकडाउन के दौरान नियमित बिजली पानी नहीं मिला तो लोग को मजबूरन अपनी जायज मागों को लेकर बाहर निकलना पड़ेगा।