परिसीमन से कई नेताओं का सियासी भविष्य बनेगा तो कुछ के बिगड़ेंगे समीकरण

जागरण संवाददाता कठुआ आने वाले दिनों में परिसीमन रिपोर्ट जहां कई नेताओं का राजनीतिक

By JagranEdited By: Publish:Fri, 09 Jul 2021 05:57 PM (IST) Updated:Fri, 09 Jul 2021 05:57 PM (IST)
परिसीमन से कई नेताओं का सियासी भविष्य बनेगा तो कुछ के बिगड़ेंगे समीकरण
परिसीमन से कई नेताओं का सियासी भविष्य बनेगा तो कुछ के बिगड़ेंगे समीकरण

जागरण संवाददाता, कठुआ: आने वाले दिनों में परिसीमन रिपोर्ट जहां कई नेताओं का राजनीतिक भाग्य उदय करेगी तो कुछ का बना बनाया सियासी समीकरण भी बिगाड़ सकती है। इसे लेकर अभी से ही कुछ नेताओं की नींद उड़ गई है। कुछ अपने राजनीति भविष्य चमकते दिख रहे हैं। इसी कड़ी में आयोग के समक्ष अपने-अपने क्षेत्र में कई दशकों से बनी विसंगति को दूर करने के लिए अपना पक्ष रखने के लिए उतावले दिख रहे हैं।

दरअसल, राजनेताओं को आयोग की रिपोर्ट से कई क्षेत्रों में परिसीमन से बदलाव होने की उम्मीद है, जिसमें कुछ विधान सभा क्षेत्र बढ़ सकते हैं तो कुछ का क्षेत्र दूसरे विधान सभा क्षेत्र से जुड़ सकता है। इसी को लेकर अभी से ही कुछ नेताओं ने अपनी सक्रियता बढ़ानी शुरू कर दी है। हालांकि, अभी रिपोर्ट में क्या है, यह किसी को पता नहीं है। फिलहाल, आयोग लोगों की राय ले रहा है, इसके बाद ही अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक करेगा।

उधर, लोगों को आयोग की रिपोर्ट को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है। इसी के चलते पहले से ही फलां क्षेत्र उसके साथ तो फलां उसके साथ जोड़ा जा रहा है कि चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। इसका उदाहरण जिले के रामकोट क्षेत्र में देखने को मिल रहा है, जहां के लोग रिपोर्ट सार्वजनिक होने से पहले ही आक्रोश में आ गए हैं। रिपोर्ट में काफी कुछ बदलाव की उम्मीद है, अगर इस बार भी बदलाव नहीं हुआ तो कब होगा और उसके बाद हो भी नहीं सकता है, क्योंकि अब आयोग भारतीय संविधान के तहत काम कर रहा है। इसलिए काफी बदलाव की उम्मीद आवश्य की जा सकती है। इसी के चलते कठुआ जिला में बनी विधान सभा क्षेत्र वर्ष 1995 के परिसीमन में मात्र 27 हजार वोटों की संख्या के आधार पर बनाया गया था, तब भी जिले के कठुआ, हीरानगर, बसोहली और बिलावर विस क्षेत्र में वोटों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा थी,जो अब तक तीन गुणा बढ़ गई है। उस समय कुछ ऐसे क्षेत्र बसोहली और बिलावर विस क्षेत्र से जोड़ दिए गए जो कठुआ व हीरानगर विस क्षेत्र से जुड़ने थे, लेकिन कश्मीरी शासकों के अधीन काम करने वाला आयोग स्वतंत्र रूप से काम करने की बजाय उनकी मर्जी से करता था। इसी के चलते पूर्व मुख्यमंत्री ने वर्ष 2026 तक जम्मू कश्मीर में राजनीतिक परिसीमन पर पाबंदी लगा रखी थी, लेकिन अब प्रदेश केंद्र सरकार के अधीन होने और अनुच्छेद 370 समाप्त होने पर आयोग पूर्ण रूप से स्वतंत्र होकर अपना काम कर रहा है। इससे बदलाव और विसंगतियां दूर होने की काफी उम्मीदें हैं। निसंदेह अगर बदलाव होता है तो जिले के कई नेताओं का राजनीतिक भविष्य चमक सकता है तो कुछ का बिगड़ भी सकता है। ऐसा इसलिए कि अगर जिले में एक और विधान सभा क्षेत्र बनता है तो पांच की बजाय छह विधायक होंगे, इससे नये नेताओं को विधान सभा में पहुंचने का मौका मिलेगा। अगर मौजूदा विस क्षेत्रों के कुछ इलाके, जो मतदाता गलत परिसीमन मानते हैं, दुरुस्त होने से कई नेताओं के उस क्षेत्र को दूसरे के साथ जोड़ने पर अपने पक्के मतदाताओं पर सेंध लगेगी। कुछ मतों के अंतर से चुनाव में पिछड़ जाने वाले नेताओं का रास्ता साफ होगा और उन्हें भी मौका मिलेगा। हालांकि, यह सब कुछ रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर होगा, लेकिन रिपोर्ट को लेकर राजनीतिक उत्सुकता पूरे प्रदेश में बढ़ गई है।

chat bot
आपका साथी