लोगों की आस्था पर कोरोना वायरस ने लगाया ग्रहण
करुण शर्मा बिलावर कोरोना महामारी ने आम जिंदगी पर लगातार दूसरे साल भी ब्रेक लगा के रखी हुई है
करुण शर्मा, बिलावर: कोरोना महामारी ने आम जिंदगी पर लगातार दूसरे साल भी ब्रेक लगा के रखी हुई है। आलम यह है कि लोग घरों में ही कैद हैं। लोगों के घरों से बाहर नहीं निकलने के कारण जहां कारोबार प्रभावित हो रहा है, वहीं जिंदगी का पहिया भी बिल्कुल जाम होने लगा है। इतना ही नहीं, कोरोना का ग्रहण लोगों की आस्था पर लगा चुका है। मंदिरों के कपाट बंद होने के कारण मंदिरों में सन्नाटा पसरा हुआ है।
दरअसल, बिलावर उपजिला स्थित विश्व प्रसिद्ध पाडवों द्वारा निर्मित 5000 साल पहले बनाए गए भगवान शिव के बिलकेश्वर मंदिर में बैसाखी से ही मंदिर के कपाट पर ताला लगा हुआ है। कोरोना महामारी के चलते लगाए गए लाकडाउन के चलते सन्नाटा पसरा हुआ है। माता सुकराला देवी क्षेत्र में कोरोना संक्रमित मिलने के बाद माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाया गया है। इसके चलते माता सुकराला देवी के दरबार में भक्तों की आमद भी नहीं हो रही है। सुकराला माता मंदिर परिसर के साथ-साथ अन्य स्थानों पर दुकानें लगाए बैठे लोगों और स्थानीय दुकानदार काफी मायूस हैं।
बिल्केश्वर मंदिर के पुजारी मनोहर लाल नाथ, संजय नाथ, सुकराला पंचायत के नायब सरपंच सतीश शर्मा, अमन शर्मा, किशोर कुमार, लवली उपाध्याय आदि ने बताया कि कोरोना वायरस के ग्रहण से लोगों की आस्था भी नहीं बच पाई। बैसाखी पर जहा बिलकेश्वर मंदिर में लाखों की संख्या में शिव भक्त भगवान बिलकेश्वर पर जलधारा करने पहुंचते हैं, लेकिन इस बार मंदिर के कपाट बंद होने के कारण बिल्कुल बंद है। नवरात्र पर भी माता के मंदिर में एक भी भक्तों की आमद नहीं हुई। पहले नवरात्र में भी माता का दरबार खचाखच भक्तों से भरा रहता था। अमूमन हर सप्ताह के रविवार और मंगलवार को श्रद्धालुओं का ताता माता सुकराला देवी के दरबार में लगा रहता था, लेकिन अब कोरोना वायरस का ऐसा ग्रहण लगा है कि लोगों की आस्था भी इससे इससे अछूती नहीं रह रही है। कोरोना महामारी का ग्रहण का छाया लोगों की आस्था पर असर डालने लगा है। मंदिरों के कपाट सिर्फ पूजा के लिए खुलते हैं, जिसके बाद पुजारी मंदिरों में पूजा की औपचारिकता पूरी करते हैं, लेकिन भक्त माता के दर्शन से वंचित है। भक्तों के नहीं आने के कारण मंदिरों में सन्नाटा पसरा हुआ है। कोट्स---
सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार सिर्फ मंदिर के पुजारी ही माता के मंदिर में पूजा करते हैं, और कोई भी श्रद्धालु मंदिर में दर्शनों के लिए नहीं आता। एहतिहात के तौर पर प्रशासन द्वारा मंदिर को सिर्फ पूजा के लिए ही खोला जाता है। पूरा दिन मंदिरों के कपाटों को बंद रखा जाता है।
-संदेश कुमार शर्मा, एडीसी, बिलावर।