सीमावर्ती गांवों में फंड के अभाव में बंकर का निर्माण कार्य अधर में

राजिंदर माथुर हीरानगर पाकिस्तान की ओर से एक तरफ सीजफायर का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 06:41 AM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 06:41 AM (IST)
सीमावर्ती गांवों में फंड के अभाव में बंकर का निर्माण कार्य अधर में
सीमावर्ती गांवों में फंड के अभाव में बंकर का निर्माण कार्य अधर में

राजिंदर माथुर, हीरानगर : पाकिस्तान की ओर से एक तरफ सीजफायर का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर फंड के अभाव में सीमावर्ती गांवों में बंकर का निर्माण कार्य अधर में लटक गया। इसके कारण ग्रामीणों को हमेशा डर सता रहा है कि कब पाक की ओर से दागे गए मोर्टार के गोले घर पर गिर जाए और कोई जानी नुकसान न हो जाए। हालांकि, इसके बावजूद ग्रामीणों का हौसला बुलंद है, फिर भी ग्रामीण जल्द से जल्द बंकर का निर्माण कार्य शुरू किए जाने की मांग कर रहे हैं।

दरअसल, अब पाकिस्तान की ओर से दिन में भी गोलाबारी किए जाने के कारण सीमावर्ती गांवों में बंकरों की माग बढ़ती जा रही है। आलम यह है कि एलओसी अर्थात लाइन ऑफ कंट्रोल से सटे गावों के रहने वाले लाखों परिवारों को भोजन, सड़क, बिजली और पानी से अधिक भूमिगत बंकरों की जरुरत है, ताकि गोलाबारी के दौरान छुपकर अपनी जान बचा सके। एक तरह से कहा जा सकता है कि भूमिगत बंकर सीमात नागरिकों के जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है।

सीमावर्ती ग्रामीणों का कहना है कि पाकिस्तान पिछले छह माह से हीरानगर सेक्टर में लगातार गोलाबारी कर रहा है। इसके बावजूद गांवों में अभी तक सभी परिवारों के बंकर तक नहीं बने। ग्रामीणों का कहना है कि पाकिस्तान ने अगर गावों में दोबारा गोलाबारी की तो बंकर न होने पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पलायन करना पड़ेगा। इससे लोगों को भी आने-जाने में काफी परेशानी होगी और प्रशासन को भी। ऐसे में सरकार को बंकर निर्माण कार्य जल्द पूरा करना चाहिए।

बहरहाल, पाकिस्तान की तरफ से हीरानगर सेक्टर में पिछले दो सालों से गोलीबारी का क्रम लगातार जारी है। हालांकि, गोलीबारी के दौरान लोग रात को बंकरों के अंदर चले जाते हैं, जिससे वे सुरक्षित हैं। लेकिन कई परिवारों के अभी तक बंकर नहीं बने। उन्हें मजबूरन मकानों के अंदर ही रहना पड़ता है और उनके लिए खतरा बना रहता है। हालाकि, ग्रामीण विकास विभाग ने जिन लोगों के बंकर नहीं थे, उनके भी बनाने शुरू किए थे। इसके कारण 258 बंकर मुकम्मल हो भी गए है, लेकिन आगे का काम फंड के अभाव में अधर में लटका हुआ है। आलम यह है कि ठेकेदारों को भी अभी तक पेमेंट नहीं मिली। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि फंड नहीं आ रहा, जिस कारण काम रूका हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि पाकिस्तान लगातार गोलीबारी कर रहा है। मोर्टार गिरने से मकान क्षतिग्रस्त हो जाते है, इसके कारण मकान के अंदर रहना खतरे से खाली नहीं। सरकार को अन्य लोगों के बंकर भी जल्द तैयार करवाने चाहिए या फिर गोलीबारी के दौरान उनके रहने की सुरक्षित जगह पर व्यवस्था करनी चाहिए। कोट्स--

गाव में 15 परिवारों के बंकर अभी तक नहीं बने। घरों में जगह कम होने की वजह से बंकर नहीं बन पाए थे। बाद में प्रशासन ने दोबारा सर्वे करवाया और घर में जितनी जगह थी, उसी में बंकर बनाने की मंजूरी दी। ग्रामीण विकास विभाग ने कुछ गावों में काम शुरू किया था जो अब रूका हुआ है। गोलीबारी के दौरान मकान के अंदर रहना खतरे से खाली नहीं। बच्चे खौफ से रात को सो नहीं पाते। अन्य लोगों के बंकर भी जल्द तैयार होने चाहिए।

- रमेश लाल, छनटाडा। कोट्स--- सीमावर्ती गावों में बंकर बनने से लोग अपने आप को सुरक्षित समझते हैं। पहले गोलीबारी के दौरान लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पलायन करना पड़ता था, जिसके कारण कई तरह कि दिक्कतें आती थी। केंद्र सरकार का बंकर बनाने का फैसला सराहनीय है। कुछ लोगों के अभी तक बंकर नहीं बने। सरकार को उनके भी जल्द बनाने चाहिए, ताकि लोग सुरक्षित रह सकें।

- मनोहर लाल, कडियाला। कोट्स---

पाकिस्तान की तरफ से हीरानगर सेक्टर में गोलीबारी जारी है, लेकिन कुछ घरों में अभी तक बंकर नहीं बने। अभी काम रूका हुआ है। मोर्टार के गोले फटने से कुछ लोगों के मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। ऐसे में जिनके घरों में बंकर नहीं, उनके लिए रात काटना मुश्किल हो जाता है। दूसरा व्यक्तिगत बंकरों में शौचालय नहीं है। उन कमियों को भी पूरा करना चाहिए, ताकि लोग सुरक्षित रह सकें।

- रतन चंद, चेयरमैन, बार्डर वेलफेयर कमेटी, हीरानगर। कोट्स---

बंकर परिवार के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट की तरह है। अगर सभी निवासियों को उनके घरों पर बंकर मिलते हैं तो पाकिस्तान कितनी भी भारी गोलाबारी क्यों ना करें, चिंता की कोई बात नहीं होगी। ग्रामीण विकास विभाग ने फरवरी 2020 में बंकर बनाने का काम शुरू करवाया था। इस कड़ी में मैने भी 19 बंकर बनाए थे, लेकिन आज तक पेमेंट नहीं मिली। इसके लिए कार्यालयों के कई चक्कर भी लगा चुके हैं। इस वजह से भी आगे काम रूका हुआ है, सरकार को जल्द से जल्द बकाया राशि का भुगतान करना चाहिए।

-निशांत शर्मा कोट्स---बाक्स---

ग्रामीण विकास विभाग को 819 बंकर बनाने थे। इनमें 258 बंकर हीरानगर, मढीन ब्लाक में तैयार भी हो गए हैं। फंड नहीं आने से काम रुका हुआ है। फंड की माग की गई है, जैसे ही आता है दोबारा काम शुरू करवा दिया जाएगा।

- ओपी भगत, डीसी कठुआ।

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सीमात गाववासियों के लिए सुरक्षा ढाल साबित हुए हैं बंकर

सीमा पार से पाकिस्तान की ओर से हीरानगर सीमात क्षेत्र में गोलीबारी से लोगों को बचाने के लिए बनाए जा रहे बंकर ग्रामीणों की सुरक्षा ढाल बन रहे हैं। आलम यह है कि बंकर उनकी जान की सुरक्षा में महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं। सबसे अहम ग्रामीणों को अब अपने घरों में ही सुरक्षा मिलने लगी है। ग्रामीण विकास विभाग ने फरवरी 2020 में बंकर बनाने का काम शुरू करवाया था, जो बाद में लाकडाउन की वजह से मई तक रोक दिया गया। हालांकि, कुछ गांवों में बंकर बनने के बाद ग्रामीणों को अब गोलीबारी से बचने के लिए सुरक्षित स्थानों की ओर बार-बार किए जाने वाले पलायन से छुटकारा मिल गया है। इसी के चलते अब बंकर बनने के बाद ग्रामीणों ने गोलीबारी तेज होने पर भी सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन नहीं कर रहे। ग्रामीण अब शाम ढलते ही गोलीबारी से बचने के लिए बंकरों में जाकर छिप जाते हैं और वहीं सुरक्षित रात बिताते हैं। सुबह जब गोलीबारी का सिलसिला बंद हो जाता है तो बाहर निकल कर अपनी दिनचर्या में जुट जाते हैं। बाक्स----

बंकरों में सुविधाएं बढ़ाए जाने की मांग

ग्रामीण अब बंकरों में सुविधाएं बढ़ाए जाने की माग करने लगे है। प्रशासन उनकी इस माग को जायज मान कर सरकार से सुविधाएं देने के लिए मामला भी उठा रहा है। ग्रामीण बंकरों में ही सभी सुविधाएं देने की मांग कर रहे हैं जो एक घर के कमरे में मिलती हैं। हालाकि, उनके मुख्य पशुधन को अभी भी गोलीबारी से खतरा बना हुआ है। ग्रामीण उनके लिए भी सुरक्षित शेड बनाए जाने की माग कर रहे हैं, ताकि आगन में या सर्दी के मौसम में अंदर बंधे पशुओं को भी गोलीबारी से बचाया जा सके, क्योंकि कृषि से जुड़े ग्रामीणों का पशु मुख्य धन है। इसलिए वे खुद तो बंकर बनने के बाद अपनी जान बचा रहे हैं, लेकिन अपने पशुओं को भी बचाना चाहते हैं। इसके अलावा शौचालय की भी सुविधा दिए जाने की मांग कर रहे हैं।

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