जिले में कृषि विभाग औषधीय व सुगंधित पौधों की खेती को देगा बढ़ावा

जागरण संवाददाता कठुआ जिले में कृषि विभाग ने पारंपरिक फसलों के बाद अब औषधीय व सुगंधित प

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 12:51 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 12:51 AM (IST)
जिले में कृषि विभाग औषधीय व सुगंधित पौधों की खेती को देगा बढ़ावा
जिले में कृषि विभाग औषधीय व सुगंधित पौधों की खेती को देगा बढ़ावा

जागरण संवाददाता, कठुआ: जिले में कृषि विभाग ने पारंपरिक फसलों के बाद अब औषधीय व सुगंधित पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए भी प्रयास शुरू कर दिए है। इसी कड़ी में कृषि विभाग ने अरोमा मिशन के तहत औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए बुधवार को अपने कार्यालय में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।

आइआइआइएम-सीएसआइआर जम्मू के सहयोग से आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य कृषि अधिकारी विजय उपाध्याय ने बताया कि कृषि विभाग आगामी बरसात के मौसम में जिले में औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती और विशेष रूप से लेमन ग्रास की खेती को बढ़ावा देने के लिए कूटा पंचायत से अभियान शुरू कर रहा है। उन्होंने कहा कि विभाग के अधिकारियों द्वारा इसके लिए प्रारंभिक अभ्यास भी किया गया है, जिसमें एलोवेरा के तहत 10 एकड़ क्षेत्र, लेमन ग्रास के तहत 25 एकड़ और लैवेंडर के तहत 10 एकड़ क्षेत्र की पहचान की जा चुकी है। विजय उपाध्याय ने कहा कि कृषि विभाग के उपमंडल दियालाचक को लेमन ग्रास की खेती को बढ़ावा देने के लिए 1 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि इस वर्ष बनी क्षेत्र के किसानों को लैवेंडर के प्रचार के लिए 10 हजार पौधे प्रदान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021-22 के दौरान उत्पादन के पैमाने और मात्रा को बढ़ाने के लिए जिला कठुआ ने एलोवेरा के तहत 10 हेक्टेयर, लेमन ग्रास के तहत 50 हेक्टेयर और लैवेंडर के तहत 10 हेक्टेयर क्षेत्र लाने का लक्ष्य रखा है।

कार्यशाला में मौजूद वैज्ञानिकों ने आइआइआइएम-सीएसआइआर के वी.पी राहुल और डा. राजेंद्र भंवरिया ने औषधीय और सुगंधित पौधों जैसे लेमन ग्रास, एलोवेरा और लैवेंडर की खेती के बारे में तकनीकी ज्ञान प्रदान किया। इस अवसर पर आइआइआइएम-सीएसआइआर के वैज्ञानिकों के साथ किसानों अधिकारियों का एक लाइव इंटरेक्शन सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न प्रश्नों को जवाब दिए गए। वैज्ञानिकों ने औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए सभी आवश्यक सहयोग प्रदान करने का भी आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि कंडी क्षेत्र में लेमन ग्रास और एलोवेरा की खेती, बंदर खतरे से प्रभावित क्षेत्र, असिचित परित्यक्त राज्य भूमि और जीरो लाइन सीमा क्षेत्र पर परित्यक्त भूमि की खेती की जबरदस्त गुंजाइश है। प्रतिभागियों को तकनीकी मार्गदर्शन साझा करते हुए कहा कि लैवेंडर की खेती जिले के समशीतोष्ण क्षेत्रों में छोटे और सीमांत किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। पारंपरिक खेती से औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती में बदलाव कठुआ जिले के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में कृषि आय को दोगुना करने में निर्णायक भूमिका निभाएगा। विभाग के जिला कृषि अधिकारी एक्स्टेंशन राजू महाजन ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। उक्त कार्यशाला में लगभग 60 अधिकारियों व किसानों ने भाग लिया।

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