श्रवण, महापुरुषों के उपदेश से होता है भक्ति का उदय

जागरण संवाददाता कठुआ नगरी के माता बाला सुंदरी मंदिर के प्रांगण में जारी श्रीमद् भागवत क

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 04:24 AM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 04:24 AM (IST)
श्रवण, महापुरुषों के उपदेश से होता है भक्ति का उदय
श्रवण, महापुरुषों के उपदेश से होता है भक्ति का उदय

जागरण संवाददाता, कठुआ: नगरी के माता बाला सुंदरी मंदिर के प्रांगण में जारी श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन डुग्गर प्रदेश के संत सुभाष शास्त्री जी महाराज ने संगत से कहा कि आज पर मानव दुखी ही दिखता है, कारण भौतिकवादता।

दरअसल, हमारी सोच कहती है कि इस संसार की वस्तु व्यक्ति पदार्थों को प्राप्त कर लेने के उपरांत हम सुखी हो जाएंगे, परंतु ऐसा कभी नहीं होता क्योंकि गुरु ग्रंथ साहिब अनुसार जो दिखे सो सकल विनाशी अर्थात इस संसार में लिखने वाली हर चीज का विनाश, अंत अवश्यमेव है और जब यह प्राप्त चीजें हमसे छूटेंगी तो वही हमारे दुखों का कारण बन जाता है।

शास्त्री ने कहा कि अब प्रश्न यह है कि मन को इस भौतिकतावाद से कैसे हटाया जाए? इसका समाधान सिर्फ मन को श्री प्रभु के चरणों में लगा देना अर्थात भक्ति करना है। सांसारिक विषयों से विश्क्त होकर ही परमात्मा में अनुरंकित रूपी भक्ति की प्राप्ति होती है। यह व्यक्ति सब दुखों का श्रेय कर देती है इसे मुक्ति कह सकते हैं। उपनिषद, पुराण आदि के श्रवण, महापुरुषों के उपदेश और सत्संग से भक्ति का उदय होता है, इसलिए हर समय सर्वभाव से निश्चित होकर भगवान का ही भजन करें, आचार्य ने एकमत से भक्ति को सर्वश्रेष्ठ माना है। भगवान स्वत: प्रकट होकर भक्तों को अनुभव करा देते हैं और फिर जीवन भगवन्मय हो जाता है। अर्थात सब कष्टों से स्वत: ही छुटकारा मिल जाता है। आखिर में शास्त्री जी ने समझाया कि साधक, नैतिक जीवन जीते हुए हिसा का मार्ग छोड़, सत्य, नम्रता, निस्वार्थ व पवित्र भाव के मार्ग पर ही चलें। हर प्राणी में अपना अर्थात परमात्मा का रूप नजर आएगा। तू परमात्मा की अपेक्षा नहीं करेगा, शोषण नहीं करेगा, किसी को प्रताड़ित नहीं करेगा और अपने भाव की ही तरह हर प्राणी से समभाव करेगा। प्राणी मात्र से प्यार करके आप परमात्मा को प्रिय होंगे।

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