देश के लिए मर मिटने वाले 377 जाबाज पुलिस कर्मियों का पढ़ा एक-एक कर नाम

जागरण संवाददाता कठुआ शहीदों की चिताओ पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मिटने वालों का यही

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 04:58 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 04:58 AM (IST)
देश के लिए मर मिटने वाले 377 जाबाज पुलिस कर्मियों का पढ़ा एक-एक कर नाम
देश के लिए मर मिटने वाले 377 जाबाज पुलिस कर्मियों का पढ़ा एक-एक कर नाम

जागरण संवाददाता, कठुआ: शहीदों की चिताओ पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का यहीं बस एक निशा होगा..। देश पर मर मिटने वाले जाबाजों की याद में अक्सर उनकी शहादत के मौके पर दोहराई जाने वाली उक्त पंक्तिया फिर वीरवार को जिला पुलिस लाइन में आयोजित श्रद्धाजलि समारोह में उपस्थिति की जुबां पर बार-बार आईं, क्योंकि मौका था उनकी शहादत को याद और नमन करने का।

जब पूरे देश में 21 अक्टूबर को जगह-जगह आयोजित समारोह में श्रद्धाजलि दी जा रही थी, उसी कड़ी में जिला पुलिस लाइन में बने शहीदी स्मारक को फूलों से सजाया गया था। जिला प्रशासन, जिला पुलिस अधिकारियों के अलावा प्रमुख नागरिक एवं शहीदों के परिवारों से सदस्य शामिल थे। समारोह में माहौल पूरी तरह से शात एवं भावुक रहा। इससे पहले सभी शहीदों को जवानों ने शस्त्र उल्टे कर सलामी दी और उनकी याद में मौन रखा। इसके उपरात एसएसपी रमेश चंद्र कोतवाल ने उपस्थिति के समक्ष पूरे देश में इस वर्ष गत 31 अगस्त से 1 सितंबर 2021 तक अलग अलग राज्यों में ड्यूटी के दौरान विभिन्न आतंकी सहित अन्य हमलों में शहादत पाने वाले 377 पुलिस कर्मियों का एक-एक का नाम पढ़कर उन्हें याद करते हुए सम्मान दिया। इन पुलिस कर्मियों में जम्मू कश्मीर पुलिस के अलावा, आइटीबीपी, सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआइएसएफ, एसएसबी, होम गार्ड सहित सभी सशस्त्र बल के जवान शामिल है।

इसमें जम्मू कश्मीर में शहीद हुए 17 और एक लद्दाख में शहीद हुए का नाम भी शामिल रहा। इसके अलावा पंजाब, उत्तराखड, उत्तर प्रदेश, बिहार, आध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों के सशस्त्र बलों के जवान शामिल थे, जिन्होंने आतंकियों, नक्सलियों सहित अन्य हमलों में अपने प्राण न्योच्छावर किए।

श्रद्धाजलि समारोह में आईआरपीएफ की 19वीं बटालियन के कमाडेंट एसएसपी बेनाम तोष सहित जिला के तमाम पुलिस अधिकारी शामिल रहे।

मौके पर एसएसपी रमेश चंद्र कोतवाल ने बताया कि देश में शहादत का सिलसिला लद्दाख में 1959 में शुरू हुआ था, जब चीन के हमले का मुहंतोड़ जवाब देने के लिए सीआरपीएफ के 10 जवानों ने अपनी शहादत पाई थी। हर साल जम्मू कश्मीर सहित देश के विभिन्न राज्यों में जवान शहादत का जाम पीते हैं और ये कारवा बढ़ता ही जा रहा है।

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