भरत को राजगद्दी व राम को वनवास देख लोग हुए दुखी

संवाद सहयोगी बसोहली रामलीला मंचन में देर रात श्रीराम को वनवास का दृश्य मुख्य आकर्षण रहा। ताल

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 12:26 AM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 12:26 AM (IST)
भरत को राजगद्दी व राम को वनवास देख लोग हुए दुखी
भरत को राजगद्दी व राम को वनवास देख लोग हुए दुखी

संवाद सहयोगी, बसोहली: रामलीला मंचन में देर रात श्रीराम को वनवास का दृश्य मुख्य आकर्षण रहा। तालाब में नाव डालकर राम, लक्षमण व सीता को केवट द्वारा पार करते दिखाया गया।

राजा दशरथ अस्वस्थ रहने लगे तो उन्होंने सोचा कि अब राम को राजगद्दी देकर खुद आराम करूंगा। उन्होंने अपने दरबार में इस बात की घोषणा की कि राम का राजतिलक किया जाएगा। इस बात की भनक जैसे ही कैकेयी की सहेली मंथरा को मिली तो उसे बहुत बुरा लगा। वह कैकेयी के कान भरने लगी और कहने लगी कि यह राजतिलक तो भरत का बनता था और राम को कैसे राजा बनाया जा रहा है। कुछ कर वर्ना तू इस महल में एक दासी बनकर रह जाएगी। कैकेयी ने अपने आप को संभालते हुए राजा के निर्णय पर हामी भरी, मगर मंथरा द्वारा कान भरने पर वह मान गई कि मैंने राजा दशरथ से दो वचन लिए हुए हैं उनको पूरा करवाने का समय अब आ गया है, राम को वनवास और भरत को राजगद्दी। इसके बाद मंथरा वहा से चली गई और कैकेयी कोप भवन में बैठ गई।

राजा दशरथ जैसे ही भवन में आये तो कैकेयी को कोप भवन में बैठा देख उससे पूछने लगे कि तेरी यह हालत कैसे बन गई। तुझे किस बात की चिंता है अब तो तेरा प्यारा राम राजा बनने जा रहा है, सारी प्रजा खुश है। इस पर कैकेयी ने अपने मन की बात कह दी और दो वचनों का हवाला दिया। राजा दशरथ स्तब्ध हो गए और दो वचनों का पालन करते हुए उन्होंने कैकेयी के पक्ष में फैसला सुना दिया। प्रजा में निराशा तो हुई, मगर राजा के निर्देश का पालन तो होना ही था। इसके बाद राम ने राजकुमारों वाले वस्त्र त्यागे और वह वन में जाने लगे तो सीता ने जिद्द कर दी कि वह उन की धर्म पत्‍‌नी है वह महलों में नहीं रहेगी जब उसके पति वन वन में विचर रहे होंगे। लक्ष्मण को पता चला तो वह भी जाने के लिये राम को मनाने में लग गये। तीनों ने सभी से आज्ञा ली और वनवास के लिए घर से निकल गये। रास्ते में सरयू को पार करने के लिये जैसे ही केवट से कहा कि हम राम, लक्ष्मण व सीता अयोध्या के कुमार हैं हमें पार करा दो तो वह कहने लगा कि प्रभु मैंने सुना है कि आप जिस पर पैर रखते हो वह स्त्री बन जाती है, मेरी नाव अगर स्त्री बन गई तो मैं घर वाली को क्या जवाब दुंगा। इस पर उसने राम के पैर धुलवाये और नाव के जरिये पार करवाया। नाव को तालाब में डाला गया था, जिस पार करने के लिये मक्खन पटियाडु ने नाव चलाई। वहीं, राजा दशरथ का किरदार योगेंद्र सिंह, राम उदित शर्मा, लक्षमण गौरव जम्वाल और सीता की भूमिका में चंदन रैन रहे।

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