कठुआ को इंतजार था नई बसों का, चली गई सभी जम्मू व श्रीनगर
राकेश शर्मा कठुआ जिलावासियों को नई बसें मिलने का इंतजार था लेकिन सभी चली गई श्रीनगर व
राकेश शर्मा, कठुआ: जिलावासियों को नई बसें मिलने का इंतजार था, लेकिन सभी चली गई श्रीनगर व जम्मू।
दरअसल, कुछ माह पहले जम्मू कश्मीर में दो दशकों के बाद 800 नई सरकारी बसें खरीदी गई, जिसे विभिन्न शहरों, जिलों, कस्बों व ग्रामीण क्षेत्र के अलावा अंतरराज्यीय रूट पर दौड़ाना भी शुरू कर दिया, लेकिन कठुआ जिले के एक लिए एक भी बस सरकार न देकर भेदभाव और अनदेखी का सबसे बड़ा उदाहरण दिया है। हालात यह है कि कोरोना काल से पहले जो एक दो जम्मू कश्मीर पथ परिवहन निगम सरकारी बस पठानकोट के लिए रोजाना चलती थी, लेकिन वह भी बंद कर दी गई। नई चलाना तो दूर की बात रह गई है।
उससे पहले कठुआ नगर से अमृतसर के लिए भी बस सेवा शुरू की गई थी, वह भी बंद कर दी गई है। अब तो कठुआ जिला मुख्यालय के जनरल बस स्टैंड पर बने एसआरटीसी के डिपो पर भी ताला लगा हुआ है, जबकि उसी बस स्टैंड से निजी बसें जम्मू-कठुआ रूट पर करीब ढाई सौ रोजाना चल रही है, लेकिन सभी सिर्फ हाईवे पर जम्मू-कठुआ के बीच ही दौड़ती है। कठुआ स्थित सरकारी बस डिपो को देखकर ऐसा लगता है कि एसआरटीसी के नक्शे से जिला में सरकारी बस सेवा को हटा दिया गया है, तभी जो दो बसें चलती थीं, वह भी बंद कर दी है।
कठुआ से पठानकोट की दूरी 20 से 25 किलोमीटर है, जो कि इंटर स्टेट रूट है। इससे स्थानीय जिलावासियों को हाईवे पर पूरे जिला में आज तक एक भी इंटर स्टेट बस स्टाप नहीं होने से अन्य राज्यों में सफर करने के लिए परेशान होना पड़ता है, यात्रियों को हाईवे पर खड़े होकर दौड़ती बसों को रुकने के लिए हाथ देना पड़ता है, जो कि चालक की मर्जी है कि वे बस रोके या नहीं, इसके लिए आज तक उसे बाध्य नहीं किया गया है। बाक्स---
पड़ोसी राज्यों के लिए सड़क कनेक्टिविटी पर जोर
पिछले कुछ सालों से पड़ोसी राज्य पंजाब के साथ लखनपुर के अलावा किड़ियां गंडयाल, नगरी, अटल सेतु आदि नए मार्ग बनाकर इंटर स्टेट सड़क कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया गया, लेकिन उन रूटों पर आज तक कोई भी सरकारी बसें नहीं चलाई गई हैं। यात्रियों को अपने निजी वाहनों, या किराए की टैक्सी का सहारा लेना पड़ता है, क्योंकि हाईवे पर या तो लखनपुर में ही इंटर स्टेट रूट पर बस सुविधा लेनी पड़ती है। जबकि प्रतिदिन जिला कठुआ से हजारों यात्री इंटर स्टेट रूट पर सफर करते हैं। इसके अलावा जिला का ओल्ड सांबा कठुआ रोड जो सड़क कनेक्टिविटी टूटने से पिछले चार दशक से बंद होने पर लोग बस सेवा से भी वंचित थे, वहां पर भी एक नई सरकारी बस सेवा शुरू नहीं की गई। बनी-बसोहली-बिलावर आदि रूट पर एक बस चलाई गई है, जबकि वहां पर कई बसें शुरू की जानी चाहिए थी। कोट्स---
कठुआ-पठानकोट के बीच सरकारी बसें चलाने से नुकसान होता है। फिर भी कठुआ डिपो के बंद होने की रिपोर्ट मांगेंगे। अगर वहां से बसें चलाने की मांग आई तो उस पर अमल किया जा सकता है।
-अंग्रेज सिंह, प्रबंधक निदेशक, जम्मू कश्मीर पथ परिवहन निगम