'भाग्यशाली व्यक्ति के ही स्वप्न में आते हैं गुरु'
जागरण संवाददाता कठुआ स्वामी परमानंद गिरि ने कहा कि अक्सर मनुष्य को स्वप्न में रोजमर्रा के
जागरण संवाददाता, कठुआ : स्वामी परमानंद गिरि ने कहा कि अक्सर मनुष्य को स्वप्न में रोजमर्रा के जीवन में घटने वाले दृश्य ही दिखते हैं, जिसमें बेटा, पत्नी, कारोबार और दुकान आदि शामिल है, लेकिन वह कोई भाग्यशाली व्यक्ति ही होगा, जिसके स्वप्न में गुरु आ जाए और फिर सत्य को स्वप्न में गुरु हमें समझाए कि जहां कोई नहीं है, तुम ही हो। यह सब समझ तब आए, जब आप में बहुत श्रद्धा हो। वे मंगलवार को घगवाल स्थित श्री अखंड परमधाम नौनाथ में आयोजित हरि कथा व संत समागम में सैकड़ों श्रद्धालुओं को बताई।
उन्होंने कहा कि स्वप्न में जो आप देखते है, आप उसे सत्य मान रहे हैं। आपका अनुभव कहता है कि जो स्वप्न में दिख रहा है, वह सब अलग-अलग है, जिसे आप समझ बैठे हैं, लेकिन जागृत अवस्था में दिखने वाला जीव एक ही है, जो आप ही है, इसे गुरु समझाते है कि जहां कोई नहीं है, तुम ही हो, एक ही जीवात्मा है और वह तुम हो। एक ही चेतन है, एक ही ²ष्टता है, यह सब स्वप्न में एक ही देखने वाला है, लेकिन दिमाग में वे अनेकों लगते हैं, लेकिन श्रद्धा हो एक। इसमें बड़े-बड़े सिद्ध भी हो गए। अगर श्रद्धा या विश्वास नहीं तो कुछ भी नहीं है। अंदर से गहराई में जाकर जानने पर ही ज्ञान मिलता है।
उन्होंने कहा कि जब हम कुछ भी नहीं जानते थे, तब श्रद्धा थी, जैसे बचपन में जब हम बच्चे होते हैं तो हर कुछ सीखने जानने की श्रद्धा रखते है, लेकिन जब जानने का मौका आया तो श्रद्धा नहीं रही। इसलिए गुरु की बात मानने के लिए हमें बच्चों की तरह सरल बनना है। यदि ज्ञान देने वाले श्रीराम जी को भी गुरु की जरूरत पड़ी, जो सब कुछ जानने वाले ही नहीं, बल्कि इस सृष्टि के रचियता थे, उसके आगे हम क्या है। इसलिए हम बिना गुरु के ज्ञान से अपने भीतर के राक्षसों से नहीं लड़ सकते और बाहरी राक्षस के लिए जैसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लड़ रहे है, इसलिए अपने अंदर के राक्षस को मारने के लिए आत्म ज्ञान का बोध होना जरूरी है। मैं ऐसा हूं, ये आपको पता है, इतना भी तुमे पता है कि हम मर जाएंगे, जिन लोगों ने गुरु को नहीं माना है, उनके भी परिवार से क्या कोई नहीं मरता है, इन्हीं दुखों से बचने के लिए आत्म बोध होना जरूरी है।
इससे पहले महामंडलेश्वर ज्योतिर्मानंद ने कहा कि जो भक्तों की बांह पकड़कर भगवान के घर तक ले जाते हैं, उसे ही गुरु कहते है। यह वही कर सकते हैं जो सत्संग करते हैं, उनका नाम मनुष्य है। इससे पहले महामंडलेश्वर ज्योतिर्मानंद, महामंडलेश्वर दिव्य चेतना, संत सुभाष शास्त्री, पीयूष महाराज ने अपनी मधुर वाणी से गुरु की महिमा का गुणगान कर उपस्थिति श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। कथा का शुभारंभ गुरु की सामूहिक आरती के साथ हुआ।