धर्म के मार्ग पर चलें, तभी जीवन यात्रा होती है पूरी: सुभाष शास्त्री जी

संवाद सहयोगी बिलावर धर्म प्रचारक संत सुभाष शास्त्री जी महाराज ने देवल में आयोजित सत्संग में कहा

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 12:27 AM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 12:27 AM (IST)
धर्म के मार्ग पर चलें, तभी जीवन यात्रा होती है पूरी: सुभाष शास्त्री जी
धर्म के मार्ग पर चलें, तभी जीवन यात्रा होती है पूरी: सुभाष शास्त्री जी

संवाद सहयोगी, बिलावर: धर्म प्रचारक संत सुभाष शास्त्री जी महाराज ने देवल में आयोजित सत्संग में कहा कि धर्म के मार्ग पर चलते हुए ही हमें अपनी जीवन यात्रा को पूरा करना चाहिए, परंतु प्रश्न उठता है कि क्या धर्म के मार्ग पर चलकर जीवन यापन कर पाना संभव है।

उन्होंने बताया कि हितोपदेश में वर्णन है कि विद्या द्धति विनय अर्थात विद्या मनुष्य को विनय देती है। विनय से व्यक्ति पात्रता प्राप्त करता है, पात्रता से धन प्राप्त होता है, धन से धर्म का पालन होता है और धर्म पालन से सुख प्राप्त होता है। शास्त्री जी ने कहा कि पुरुषार्थ करने वाले के पास गरीबी नहीं आती जप करने वाले से पाप दूर रहता है। मौन रहने पर लड़ाई झगड़ा नहीं होता और जागृत व्यक्ति को भी नहीं होता। देखो सत्य रूप में पुरुषार्थ जाने की मेहनत का करने वाले व्यक्ति को अंतत: सफलता मिल ही जाती है और उसे गरीबी नहीं भोगनी पड़ती। ग्रंथ बताता है कि उद्योग करने में सिंह के समान पुरुषार्थ, पुरुष के पास लक्ष्मी धन संपदा आई है, जिससे प्राप्त धन संपदा होती है उसका मन धर्म के कायरें को करने के लिए सदैव प्रेरित रहता है, इसलिए सदा पुरुषार्थ कर धन अर्जित करें, पाप कायरें से नहीं। अंत में शास्त्री जी ने कहा कि जप का इस जीवन में बहुत महत्व है, क्योंकि इससे मन की एकाग्रता सिद्ध होती है और फिर मनुष्य ध्यान का अभ्यास कर समाधि को उपलब्ध हो सकता है। जब तक मन की एकाग्रता और ध्यान की स्थिति प्राप्त नहीं, तब तक इष्ट सिद्धि नहीं होती। मनुष्य को अनावश्यक बोलते नहीं रहना चाहिए। मौन धारण करने से विवाद नहीं होते और जागृत स्वास्थ्य में रहने से भय नहीं लगता, जागृत अर्थात धार्मिक होने से है।

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